शारदीय नवरात्रि से पहले 21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण,शास्त्रों में छिपा है इसका बड़ा रहस्य
punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 12:30 PM (IST)

नारी डेस्क: 21 सितंबर 2025 को सूर्य ग्रहण लगने वाला है, जो कि अगले दिन से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि के ठीक पहले होगा। इस दुर्लभ संयोग को शास्त्रों में खास माना गया है, क्योंकि यह केवल एक खगोलीय घटना नहीं बल्कि एक चेतावनी और शक्ति साधना का प्रतीक भी है।सूर्य ग्रहण रात को लगभग 10:59 बजे शुरू होकर अगले दिन 22 सितंबर की रात 1:11 बजे खत्म होगा। इस ग्रहण के ठीक बाद 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। शास्त्रों के अनुसार यह संयोग कोई सामान्य बात नहीं है, बल्कि एक चेतावनी और ऊर्जा के पुनः जागरण का संकेत है।
ग्रहण को क्यों माना जाता है अशुभ?
मनुस्मृति, धर्मसूत्र और भविष्य पुराण जैसे प्राचीन शास्त्रों में सूर्य ग्रहण को असुर शक्तियों का प्रभाव माना गया है। जब सूर्य पर छाया पड़ती है, तो इसे राज्य, समाज और व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता, विघ्न और नकारात्मक प्रभावों का सूचक माना जाता है। ग्रहण के दौरान शुभ कार्य, शादी, यात्रा आदि से बचने की सलाह दी जाती है। इसे दैवी चेतावनी भी कहा गया है कि यह समय नकारात्मक ऊर्जा का होता है।
नवरात्रि का महत्व और शक्ति साधना
नवरात्रि यानी नौ रातें, देवी दुर्गा की पूजा और उपासना का पर्व है। दुर्गा सप्तशती में लिखा है कि जो कोई भी देवी की उपासना करता है, वह हर संकट से बच जाता है। ग्रहण के बाद नवरात्रि की शुरुआत यह संदेश देती है कि केवल देवी की साधना से ग्रहण के दोष दूर हो सकते हैं और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिल सकती है।
कुंडली में सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है। इसे पाप ग्रह या दुष्ट ग्रह भी कहा जाता है। इससे संबंधित ग्रह विनाशकारी हो जाते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य और आय पर सूर्य का बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, सरकारी मामलों से जुड़ा कोई भी मामला भी सूर्य के कारण होता है। इसकी शांति के… pic.twitter.com/Qn9s1Z21h3
— Anirudh Kumar Mishra (Astrologer) (@Anirudh_Astro) September 13, 2025
शास्त्रीय प्रमाण और उपाय
भविष्य पुराण में कहा गया है, "ग्रहणं विघ्नकारकं, ततः पश्चात् शुद्ध्यर्थं पूजा।" अर्थात ग्रहण विघ्नों का संकेत है, लेकिन उसके बाद की पूजा, व्रत और साधना से ये दोष समाप्त हो जाते हैं। इस बार नवरात्रि की शुरुआत सीधे ग्रहण के बाद होने से इसका आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप करना चाहिए, अशुभ विचारों से बचना चाहिए। ग्रहण खत्म होने पर स्नान और दान देने का विधान है। नवरात्रि स्थापना से पहले सूर्य देव को जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। अथर्ववेद के मंत्रों का जाप कर जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता लाने का प्रयास करें।
समाज, राजनीति और व्यक्तिगत जीवन पर असर
राजनीति और समाज: सूर्य ग्रहण सत्ता और नेतृत्व के ग्रहण की निशानी है। इससे राजनीतिक अस्थिरता, विवाद और सामाजिक तनाव की आशंका बढ़ जाती है।
वैश्विक स्तर: अंतरराष्ट्रीय तनाव, आर्थिक मंदी जैसी परेशानियों का संकेत हो सकता है।
व्यक्तिगत जीवन: लोग मानसिक तनाव, बेचैनी और असुरक्षा महसूस कर सकते हैं। स्वास्थ्य में नेत्र, हृदय और रक्त संबंधी समस्याओं से सावधानी बरतनी चाहिए।
करियर: जल्दबाजी में फैसले लेने से बचें।
परिवार: नवरात्रि की साधना से परिवार में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।
21 सितंबर का सूर्य ग्रहण और 22 सितंबर से शुरू होने वाली शारदीय नवरात्रि का यह मेल केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि शास्त्रों में एक बड़ा आध्यात्मिक संदेश है। यह बताता है कि जीवन में आने वाली नकारात्मक शक्तियों और संकटों से निपटने का सबसे सशक्त तरीका है देवी की शक्ति साधना। इस बार की नवरात्रि हमें चेतावनी के साथ-साथ एक अवसर भी देती है कि हम अपने जीवन और समाज को नकारात्मकता से मुक्त कर नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर सकें।
इसलिए इस खास समय में शास्त्रों के बताए हुए उपाय अपनाएं, मंत्र जाप करें, दान दें और देवी की उपासना में मन लगाएं ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव कम हों और नवरात्रि का शुभ प्रभाव आप सभी पर बना रहे।