Shardiya Navratri 2020: शुभ मूहूर्त में करें कलश पूजन, जानिए स्थापना का महत्व

punjabkesari.in Friday, Oct 16, 2020 - 09:44 AM (IST)

शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। नौ दिन चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां की पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ लोग 9 तो कुछ शुरूआत या आखिरी के 2 दिन व्रत भी करते हैं। फिर नवरात्रि के आंठवे या नौंवें दिन घर कन्याओं को बुलाकर कंजक पूजन किया जाता है।

एक साल में 4 बार आते हैं नवरात्रे

बता दें कि एक साल में 4 बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में नवरात्र आते हैं लेकिन वासंती यानि चैत्र और आश्विन यानि शरद नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्र के पहले दिन लोग अपने घर में घट स्थापना यानि कलश स्थापित करते हैं, जिसके बाद लगातार 9 दिन देवी मां की पूजा व व्रत किया जाता है।

PunjabKesari

क्या होते हैं गुप्त नवरात्रे

आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाते हैं।, जिन्हें आमतौर पर मनाया नहीं जाता। यह नवरात्रे तंत्र साधना करने वालों के लिए मान्य रखते हैं क्योंकि इस दौरान वह देवी मां की साधना करते हैं।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

घट स्थापना मुहूर्त - शनिवार, अक्टूबर 17, 2020 प्रात:काल 06:27 से 10:13 तक
अभिजित मुहूर्त - प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक

नवमी और दशमी एक दिन:

साल 2020 की शारदीय नवरात्रि में नवमी और दशमी एक ही दिन आ रही है। 25 अक्टूबर को सुबह 11:14 तक नवमी और 11:14 मिनट के बाद हवन के साथ विजयादशमी मनाई जाएगी। इसके बाद शाम को दशहरा मनाया जाएगा।

PunjabKesari

घट स्थापना की विधि

कलश के साथ देवी दुर्गा की मूर्ती स्थापित करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वास्तु के अनुसार, पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में ही होना चाहिए इसलिए घट स्थापना भी इसी दिशा में करें। चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। चांदी, तांबा, मिट्टी या पीतल के कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। फिर 'ॐ भूम्यै नमः' मंत्र का जाप करते हुए मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित करके अखंड जोत जगाएं। कलश के ऊपर पानी वाला नारियल जरूर रखें।

कलश स्थापना के नियम

. एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाकर उसपर चावल से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
. कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. 
. कलश के पास 9 दिन तक अखंड दीप जरूर जलाएं।
. कलश का मुंह खुला ना रखें। उसे नारियल या किसी और चीज से ढक दें।

तिथि और मां का पूजन:

17 अक्टूबर - प्रतिपदा - घट स्थापना और शैलपुत्री पूजन
18 अक्टूबर - द्वितीया - मां ब्रह्मचारिणी पूजन
19 अक्टूबर - तृतीया - मां चंद्रघंटा पूजन
20 अक्टूबर - चतुर्थी - मां कुष्मांडा पूजन
21 अक्टूबर - पंचमी - मां स्कन्दमाता पूजन
22 अक्टूबर - षष्ठी - मां कात्यायनी पूजन
23 अक्टूबर - सप्तमी - मां कालरात्रि पूजन
24 अक्टूबर - अष्टमी - मां महागौरी पूजन
25 अक्टूबर - नवमी, दशमी - मां सिद्धिदात्री पूजन व विजया दशमी

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static