शनि के प्रकोप से मुक्ति दिलाता है शनिवार का व्रत, यहां जानिए पूजा की विधि और नियम

punjabkesari.in Friday, Feb 23, 2024 - 06:23 PM (IST)

शनि देव को कर्मदाता कहा जाता है। वो लोगों का उनके कर्मों के हिसाब से न्याय करते हैं फल देते हैं। जिन लोगों पर शनि देव की कृपा बरसती हैं, उनके लिए सारी राहें आसान हो जाती हैं। लेकिन वहीं अगर वो रूठ जाएं तो जीवन में बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ये ही वजह है कि हर मनुष्य  चाहता है कि उस पर शनिदेव की कृपा बरसती रहे और उनकी दृष्टि कभी टेढ़ी न हो। अगर आप शनिदेव को खुश करना चाहते हैं तो शनिवार का व्रत रख सकते हैं। इस व्रत को रखने से सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। आपको बताते हैं कि इस व्रत के नियम और विधि...

शनि व्रत और पूजा की विधि

शनिवार का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। शनिदेव की लोहे से बनी प्रतिमा को पंचामृत से नहलाएं फिर इस प्रतिमा को चावलों से बनाए गले कमल दल पर स्थापित करें। इसके बाद काले तिल, काला कपड़ा, तेल, धूप और दीप जलाकर शनिदेव की पूजा करें। इस दौरान शनि चालीसा पढ़ेंऔर पूजा में हुई गलतियों के लिए उनसे क्षमा मांगना न भूलें।

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जान लें शनिवार व्रत के नियम

व्रत रखने से एक दिन पहले यानी शु्क्रवार के दिन कोई तामसिक खाना नहीं खाएं। व्रत वाले दिन किसी के लिए भी अपशब्द न बोलें और न ही अपने मन में गलत विचार लाएं। चीटियों को आंटा खिलाएं और गरीबों को भी दान दें। इस दिन फलाहार ही करें। शाम के समय उड़द की दाल की खिचड़ी खाकर व्रत खोलें। व्रत के अगले दिन सुबह नहाकर पूजा करने के बाद ही कुछ खाएं चाहिए, वरना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। शनिदेव की पूजा करते समय शनिदेव की आंखों में देखने की बजाय ध्यान उनके चरणों में रखें। 

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शनिवार व्रत में महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान

अगर महिलाएं शनिवार का व्रत रख रही हैं तो उन्हें शनि देव की प्रतिमा को छूना नहीं चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक ऐसा करने से उन पर नेगेटिव एनर्जी का प्रभाव पड़ता है। महिलाओं को शनि की प्रतिमा पर तेल भी नहीं चढ़ाना चाहिए, यह नियम सिर्फ पुरुषों के लिए है। महिलाओं के लिए मंदिर में शनि चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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