हिंदू धर्म में शादी के तुरंत बाद हनीमून जाने की है मनाही, दुल्हन इतने दिन तक न निकले घर से बाहर
punjabkesari.in Wednesday, Jun 11, 2025 - 05:27 PM (IST)

नारी डेस्क: नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और इंदौर के राजा रघुवंशी इन दोनों की जिंदगी में खुशियां बस कुछ ही दिन की मेहमान थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही उनकी सांसे छिन ली गई, दोनों में बस फर्क इतना था कि विनय आतंकी के हाथ मारे गए और राजा अपनी ही पत्नी के हाथों। इस तरह के किस्से सुनने के बाद लोगों के मन में हनीमून को लेकर डर बैठ गया है। क्या आप जानते हैं कि दुल्हन को शादी के 45 दिन तक बाहर जाने की मनाही होती है, लेकिन अब इस परंपरा को नजरअंदाज किया जा रहा है।
विवाह के बाद ग्रहों में होता है बदलाव
भारतीय परंपरा में शादी के बाद दुल्हन को लगभग 40 से 45 दिनों तक घर से बाहर न जाने की मनाही है। इसे केवल सामाजिक या पारिवारिक रीतियों से ही नहीं, बल्कि ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी जोड़ा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के बाद लड़की का गृह प्रवेश एक बड़ी ग्रह स्थिति में बदलाव लाता है। उसकी कुंडली के कई ग्रह, खासकर चंद्रमा (मन), *शुक्र (सौंदर्य और प्रेम) और गृहस्थ भाव (चतुर्थ, सप्तम, द्वादश भाव) एक्टिव हो जाते हैं। इस बदलाव के दौरान दुल्हन की ऊर्जा बहुत संवेदनशील होती है। इसलिए 40-45 दिन तक उसे बाहर की नकारात्मक ऊर्जा या बुरी दृष्टि से बचाना* ज़रूरी माना जाता है।
मानसिक और शारीरिक स्थिरता के लिए समय
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन का कारक होता है। विवाह के बाद मानसिक स्थिति थोड़ी अस्थिर हो सकती है। दुल्हन को नई जगह, नए लोग, नई जिम्मेदारियां मिलती हैं। उसे मानसिक रूप से स्थिर होने के लिए समय और सुरक्षित माहौल की ज़रूरत होती है, इसलिए घर से बाहर न भेजने की परंपरा बनाई गई। शादी के बाद जब दुल्हन घर में प्रवेश करती है, तो वह घर की गृहलक्ष्मी मानी जाती है। उस समय घर की ऊर्जा (वास्तु और ग्रह स्थिति) भी बदलती है। ज्योतिष शास्त्र मानता है कि 45 दिन तक दुल्हन का घर में रहना घर की सकारात्मक ऊर्जा को स्थिर करता है।
बुरी नजर और शनि की दृष्टि से सुरक्षा
कुछ शास्त्रों में कहा गया है कि शादी के तुरंत बाद नवविवाहित जोड़ा बुरी नज़र या शनि की दृष्टि का शिकार जल्दी हो सकता है। इसलिए दुल्हन को 45 दिन तक सुरक्षित घर के वातावरण में ही रखा जाता है। हिंदू परंपरा में 40 दिन का समय (चालीसा) किसी भी बदलाव या संस्कार के स्थिर होने के लिए जरूरी माना गया है। चाहे वह जन्म हो, दीक्षा हो, या विवाह – 40-45 दिन का समय उस बदलाव कोआत्मिक और शारीरिक रूप से अपनाने का होता है।
नोट: शादी के बाद दुल्हन को 45 दिन तक बाहर न भेजना केवल सामाजिक परंपरा नहीं, बल्कि गहरे ज्योतिषीय और मानसिक कारणों से जुड़ा हुआ है।