शबाना आजमी नहींं बनीं सौतेली मां, ऐसी एक्ट्रेस जिसने 5 बार National Award जीत बनाया रिकाॅर्ड
punjabkesari.in Friday, Aug 20, 2021 - 11:43 AM (IST)
मंझी हुई अदाकारों में एक नाम शबाना आजमी का भी हैं जिन्होंने हर किरदार में अपने आपको फिट कर दिखाया। उन्होंने हिंदी फिल्मों में कई तरह के रोल निभाए। शबाना ने लगभग 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उन्हें अपने दौर में स्मिता पाटिल की ही तरह बेस्ट एक्ट्रेस में गिना जाता था। उनकी जोड़ी राजेश खन्ना से खूब जमी और दोनों ने 7 सुपरहिट फिल्में दी। सिर्फ फिल्मों में ही नहीं बल्कि वह सामाजिक कार्यों में भी आगे रही। वह सोशल वर्कर भी हैं। उन्होंने झुग्गी निवासियों, विस्थापित कश्मीरी पंडित प्रवासियों और महाराष्ट्र में लातूर भूकंप के पीड़ितों की मदद के लिए वह आगे आईं।
चलिए आपको उनकी लाइफस्टोरी के बारे में बताते हैं...
शबाना आजमी का जन्म हैदराबाद में 18 सिंतबर 1950 को कैफी आजमी और शौकत आजमी के घर हुआ। शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी एक मशहूर शायर और कवि थे और उनकी मां शौकत आजमी भारतीय थिएटर की आर्टिस्ट थीं और अपनी मां से ही उन्होंने अभिनय प्रतिभा का गुण मिला। उनके माता-पिता दोनों ही कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के मेंबर भी थे। बॉलीवुड एक्ट्रेस फराह नाज और तब्बू उनकी भतीजियां है।शबाना ने क्वीन मैरी स्कूल मुंबई से अपनी स्कूलिंग की मनोविज्ञानमें स्नातक की डिग्री मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से ली है। इसके बाद पूणे से शबाना आजमी ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिटीयूट ऑफ इंडिया से एक्टिंग का कोर्स किया। उन्होंने जया भादुरी की फिल्म सुमन देखी थी, फिल्म में जया की एक्टिंग उन्हें खूब भाई। उसके बाद ही वह इस जगत में आना चाहती थी बस फिर क्या शबाना ने फैसला लिया कि वह FTTI में एडमिशन लेंगी। ये 1972 की बात है और वह अपने बैच की टॉपर रही थीं। बता दें कि यॉर्कशायर स्थित लीड्स मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के चांसलर ब्रैंडन फोस्टर के द्वारा उन्हें कला में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।
करियर की बात करें तो शबाना ने साल 1973 में श्याम बेनेगल की फिल्म 'अंकुर' से शुरूआत की। पहली ही फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुआ और इसी के साथ उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बना ली। फिल्म अकुंर के बाद लगातार 3 सालों तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मान मिला। वो फिल्में थी अर्थ, खंडहर और पार। वैसे शबाना आजमी को 5 बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया जो एक रिकॉर्ड है।
ग्लैमर्स अभिनेत्रियों के बीच शबाना ने खुद को अलग ही रूप से साबित किया हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फिल्म के लिए शबाना डायरेक्टर्स की पहली पसंद नहीं थी लेकिन उस वक्त की टॉप हिरोइनों ने जब मूवी के लिए मना कर दिया तो उनके पास आज़मी को लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।इसमें शबाना ने ब्याही नौकरानी का रोल प्ले किया था जो बाद में एक कॉलेज स्टूडेंट के प्यार में पड़ जाती है। फिल्म में शानदार परफॉरमेंस के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड दिया गया था। शबाना के नाम बहुत सारे अवॉर्ड हैं और उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
पर्सनल लाइफ की बात करें तो शबाना आजमी ने हिंदी सिनेमा के जाने माने गीतकार, कवि और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर से 9 दिसंबर 1984 को शादी की।शबाना के पेरेंट्स को इस शादी से ऐतराज था क्योंकि जावेद शादीशुदा थे और दो बच्चों के पिता भी थे इसलिए वह नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी की वजह से जावेद का घर टूटे। शबाना आज़मी ने अपने पिता को यकीन दिलाया कि जावेद अख्तर की शादी उनकी वजह से नहीं टूटी है। तब कैफी आजमी ने दोनों को शादी की इजाजत दी। बता दें कि जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी थी जो उनसे 10 साल छोटी थीं। उनके दो बच्चे जोया और फरहान अख्तर हैं।
1970 के दिनों जावेद, शबाना आज़मी के पिता कैफी आजमी से लिखने की कला सीखते थे। इसी दौरान जावेद अख्तर और शबाना आज़मी एक दूसरे के करीब आए दोनों के अफेयर की खबरें आने लगी जिसके चलते जावेद और उनकी पत्नी हनी के बीच झगड़े होने लगे। हनी ईरानी, जावेद अख्तर को नहीं छोड़ना चाहती थी लेकिन हर रोज घर में झगड़े होते देख हनी ने जावेद अख्तर को शबाना आज़मी के पास जाने की इजाजत दे दी। जावेद ने अपनी पहली पत्नी हनी ईरानी को तलाक देकर अभिनेत्री शबाना से निकाह किया। हनी अपने बच्चों को मिलती रहती हैं। हनी ने एक इंटरव्यू कहा था कि वे और शबाना एक दूसरे की बहुत इज्जत करती हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि वे सहेलियां हैं।
वहीं शबाना ने दोनों बच्चों को मां का प्यार दिया और कभी उन्हें सौतलेपन का अहसास नहीं होने दिया। शबाना आजमी खुद मां भी नहीं बनीं। हालांकि जावेद से शादी से पहले शबाना आज़मी का नाम फिल्म मेकर शेखर कपूर के साथ जुड़ा था कहा जाता है कि दोनों का 7 साल लंबा रिलेशनशिप था लेकिन बाद में वह टूट गया।
बता दें कि शबाना आजमी मिजवां वेलफेयर सोसाइटी नाम से एक एनजीओ भी चलाती हैं जिसकी शुरूआत उनके पिता कैफी आजमी ने ही की थी। इस संस्था को चलाने का उद्श्य ही महिलाओं को रोजगार दिलानी और विरासती चिकनकारी कढ़ाई की कला को पुनर्जीवित करना है। दरअसल, मिजवां एक गांव का नाम है जो शबाना का पैतृक गांव है। उनके पिता कैफी का सपना था कि उनके गांव की एक अलग पहचान बने जो आज हकीकत हो गई है क्योंकि कभी मिजवां का नाम भारत के नक्शे में नहीं था लेकिन आज यह दुनिया भर में फेमस हैं।
शबाना आज़मी ने कहा था, "मेरे अब्बा का मानना था कि भारत की आर्थिक प्रगति केवल ग्रामीण भारत तक पहुंच कर ही हो सकती है, जहां 80 प्रतिशत लोग रहते हैं, लेकिन उन तक अवसर पहुंचते नहीं हैं। उनके ये शब्द मेरे लिए मंत्र जैसे काम करते हैं। जब कैफी साब ने अकेले यह यात्रा शुरू की थी, तब मिजवां को भारत के नक्शे पर कोई जानता नहीं था और आज मिजवां दुनिया भर में प्रसिद्ध है।"
एक बार एक इवेंट में उन्होंने कहा था कि, 'मेरा मुस्लिम होना केवल एक आस्पेक्ट है। उससे पहले मैं एक बेटी, पत्नी और मां भी हूं। जैसे कश्मीरी पंडित और कश्मीरी मुसलमान के धर्म अलग हैं, लेकिन कल्चर एक है। इसलिए हमें इस तहजीब को महफूज रखना होगा, तभी हम हिंदुस्तान को महफूज रख सकेंगे। मेरे पिता कहा करते थे कि लड़की को शिक्षा देने से बदलाव आता है और इसी से आप समाज में अपने आप बदलाव आ जाता है।' यहां महिलाएं भारतीय पारंपरिक विरासत चिकनकारी कला को जिंदा रखे हैं और खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं। इस एनजीओ में महिलाओं को सिलाई कढ़ाई की फ्री शिक्षा दी जाती हैं।
शबाना आजमी आज भी बेहद एक्टिव हैं और सामाजिक मुद्दों पर अपनी खुलकर राय रखती हैं।