सर्दियों में बढ़ा RSV का खतरा, एक्सपर्ट से जानें कैसे दें बच्चों को सुरक्षा
punjabkesari.in Friday, Dec 09, 2022 - 10:59 AM (IST)
सर्दियां आते ही हर मां- बाप को अपने बच्चों की चिंता सताने लगती है। एक्सपर्ट की माने तो सर्दी के मौसम में तेजी से तापमान में उतार चढ़ाव के चलते बच्चों को बच्चों को खांसी, जुखाम और बुखार जैसी बीमारियों से जकड़ लेती हैं। कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो बच्चे के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं। हाल ही में एक अध्ययन में यह पाया गया कि रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) के कारण होने वाले निचले श्वसन संक्रमण पांंच साल से कम उम्र के बच्चों में अधिक पाया जाता है, जो बेहद चिंता का विषय है।
बच्चों को RSV ले रहा अपनी चपेट में
अमेरिका में इन दिनों बच्चों के अस्पतालों में रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। दरअसल ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है, ऐसे में इसे लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम अगर बच्चों को बुखार या खांसी-जुकाम की शिकायत भी हो रही है तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ज़्यादातर मामलों में इसमें सामान्य सर्दी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन चरम स्थिति में यह निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस में परिवर्तित हो जाता है।
क्या है RSV
आरएसवी वायरस एक तरह का श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है, जो सबसे ज्यादा 5 साल तक के बच्चों में देखा जाता है। इस संक्रमण की वजह से बच्चों में निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म के बाद से ही बोतल से दूध पीते हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। वयस्कों, बुजुर्गों, स्वस्थ बच्चों में इसके लक्षण हल्के या सामान्य हो सकते हैं। नवजात शिशुओं खासतौर पर प्रीमैच्योर शिशु, बुजुर्ग, हार्ट और फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यह समस्या गंभीर हो सकती है।
आरएसवी के लक्षण
-खांसी, बुखार और जुकाम
-गले में दर्द और खराश
-घबराहट और सांस लेने में परेशानी
-सिरदर्द
-स्किन के रंग में बदलाव
ये है आरएसवी का पूरा नाम
आरएसवी वायरस का पूरा नाम ह्यूमन रेस्पिरेटरी सीनसीटियल वायरस (Human Respiratory Syncytial Virus) है। यह सबसे पहले मरीज के फेफड़ों और सांस की नली पर अटैक करता है। जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। पिछले महीने भारत में आरएसवी वायरस के केस में बढ़ोतरी देखी गई थी, हालांकि सभी मरीज 2 हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो गए थे।
शिशुओं में RSV का क्या है कारण ?
शिशु या वयस्क इसका शिकार तब भी बन सकते हैं, जब उनके आसपास इस वायरस का शिकार कोई व्यक्ति छींकता और खांसता है। बच्चों के खिलौनों, पलंग या अन्य चीजों पर यह वायरस कई घंटों तक जीवित रह सकता है। जब बच्चे इन दूषित चीजों को उठाते हैं और उसके बाद अपने मुंह, नाक और आंखों को छूते हैं, तो वह इस वायरस का शिकार हो सकते हैं।
आरएसवी संक्रमण का इलाज
आरएसवी वायरस का कोई पुख्ता इलाज नहीं है। इसके लक्षणों को खत्म करने के लिए सपोर्टिव केयर दी जाती है। जिसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल दवाओं का सेवन, आईवी फ्लूइड, ह्यूमिडिफाइड ऑक्सीजन आदि शामिल हैं। हालांकि, कुछ एहतियात बरतकर आरएसवी वायरस से बचाव किया जा सकता है। संक्रमित बच्चों के इलाज में डॉक्टर लक्षणों को कम करने के लिए दवाएं देते हैं।
आरवीएस कैसे प्रसारित किया जाता है
रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।
जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वह हवा में वायरस युक्त कणों को छोड़ता है।
विशेष रूप से, संक्रमित नाक या मुख स्राव को हाथों से छूने और फिर आंखों या नाक को रगड़ने से संक्रमण होता है।
आरवीएस टेबल, दरवाज़े के हैंडल, खिलौनों और चारपाई जैसी कठोर सतहों पर कई घंटों तक जीवित रह सकता है।
रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस '2 साल से कम उम्र के बच्चों में रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का सबसे आम कारण है।
यह एक वर्ष से कम उम्र के अस्पताल में भर्ती होने का प्रमुख कारण है।
ठंड में तो बच्चों को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि अगर डिहाइड्रेशन की प्रॉब्लम शुरू हो गई तो बच्चों की बॉडी ठीक ढंग से काम नहीं कर पाती और कई बीमारियां उन्हे घेर सकती है। चलिए जानते हैं बच्चों को Hydrate रखने का तरीका।
-ठंड के मौसम में बच्चे को सूप जरूर पिलाएं। यह न सिर्फ बच्चे को हाइड्रेट रखने में मदद करेगा बल्कि इससे उन्हें गर्माहट भी महसूस होगी।
-बच्चों को को खीरे का सूप या टमाटर का सूप बनाकर भी पिला सकते हैं, ये सब्जियां उन्हें हाइड्रेट रखने में मदद कर सकती हैं।
- अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है तो सर्दियों में उसे डिहाइड्रेशन की समस्या से बचाने के लिए स्तनपान करवाएं।
- अगर आप बच्चों को पोटैशियम से भरपूर फूड्स खिलाते हैं तो इससे भी बच्चा हाइड्रेट रहता है।
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ठंड में बच्चों को हाइड्रेटिड रखने के लिए उन्हें टाइम-टाइम पर पानी पिलाते रहना बहुत जरूरी है।