बच्चा न होने पर तानों का सामना कर रही महिलाओं के लिए प्रेमानंद जी महाराज की खास सीख

punjabkesari.in Monday, May 12, 2025 - 03:04 PM (IST)

नारी डेस्क: शादी के कुछ सालों बाद, अगर किसी महिला को संतान नहीं होती तो समाज में उनके बारे में तरह-तरह की बातें होने लगती हैं। यह मुद्दा उनके लिए मानसिक परेशानी का कारण बन सकता है। समाज के लोग ताने देने से भी नहीं चूकते और कई बार अपशब्द भी बोलने लगते हैं। जो महिलाएं संतान न होने के कारण पहले से ही दुखी और तनाव में होती हैं, उनके लिए यह ताने और भी ज्यादा दर्दनाक हो जाते हैं। हालांकि, सवाल यह है कि ऐसी महिलाएं इन तानों से कैसे निपटें? अगर वे पलटकर जवाब देती हैं तो भी लोग उन्हें गलत ही समझते हैं और अगर चुप रहती हैं तो खुद को अंदर ही अंदर घुटते हुए महसूस करती हैं। ऐसी ही एक महिला के सवाल का उत्तर प्रेमानंद जी महाराज ने दिया है।

प्रेमानंद जी महाराज का नाम भगवान श्री कृष्ण के भक्तों और धर्म में आस्था रखने वालों के बीच बहुत ही सम्मानित है। राधा रानी के भक्त प्रेमानंद जी महाराज अक्सर अपने प्रवचनों में जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करते हैं। उनका उद्देश्य है कि वे लोगों को जीवन के कठिन सवालों का समाधान देकर उनकी समस्याओं को दूर करने में मदद करें। वे अक्सर परिवार में सामंजस्य बनाए रखने, बच्चों को अच्छे संस्कार देने और जीवन के अन्य पहलुओं पर प्रवचन देते हैं। हाल ही में, उन्होंने एक महिला के सवाल पर भी विशेष शिक्षा दी।

महिला का सवाल

प्रेमानंद जी महाराज की सभा में बहुत से भक्त आते हैं, जिसमें स्त्री, पुरुष और बच्चे शामिल होते हैं। एक बार एक महिला प्रेमानंद जी महाराज के दरबार में आई और उन्होंने संतान न होने के विषय में सवाल पूछा। महिला ने बताया कि उसकी शादी को 12 साल हो चुके हैं लेकिन अब तक उसे संतान नहीं हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने कई बार कंसीव किया था, लेकिन फिर भी बच्चा नहीं हुआ। इस स्थिति में अब लोग उसे ताने देने लगे हैं और यहां तक कि उसके पति की दूसरी शादी की चर्चा भी होने लगी है। रिश्तेदारों और समाज के तानों से उसका मानसिक तनाव बढ़ रहा था।

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प्रेमानंद जी महाराज की सलाह

महिला का दर्द सुनकर प्रेमानंद जी महाराज ने कहा, "लोग इस तरह की बातें करते रहेंगे और ताने मारते रहेंगे लेकिन आपको इन पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उनकी सलाह मानने की कोई जरूरत नहीं है।" उन्होंने आगे कहा कि संतान की प्राप्ति या न होना पूर्व जन्म के कर्मों से जुड़ा होता है। ये एक ऐसी स्थिति है, जो भगवान की इच्छा और हमारे कर्मों पर निर्भर करती है।

प्रेमानंद जी महाराज ने एक उदाहरण भी दिया,"माता गंगा को महाराज शांतनु से पुत्र हुए थे, लेकिन वे अपने सातों पुत्रों को गंगा नदी में प्रवाहित कर देती थीं। हालांकि, आठवें पुत्र को वे प्रवाहित नहीं कर पाईं क्योंकि महाराज शांतनु ने उन्हें रोक लिया था।" इस घटना के माध्यम से प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया कि जीवन में कभी-कभी हमें अपने पुराने जन्म के कर्मों का फल भोगना पड़ता है।

पुरानी घटनाओं का संदर्भ

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाएं सदियों से होती आई हैं। हम जो कर्म करते हैं, उनका असर अगले जन्म में भी हो सकता है। कभी-कभी संतान न होने का कारण भी हमारे पुराने जन्म के कर्म होते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि हमें दुखी हो जाना चाहिए, बल्कि हमें अपनी स्थिति को स्वीकार करना चाहिए और भगवान की कृपा पर विश्वास रखना चाहिए।

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ईश्वर पर विश्वास और भजन का महत्व

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, संतान न होने का दुख माता-पिता के लिए सबसे बड़ा दुख हो सकता है, लेकिन इस दुख से उबरने का सबसे अच्छा तरीका है भगवान के चरणों में मन लगाना। अगर हम ईश्वर के नाम का जाप करते हैं और उनका ध्यान करते हैं, तो वे हमें इस मुश्किल से उबरने का रास्ता दिखाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान ने चाहा तो हमें इस दुख से बाहर निकलने का मार्ग भी बताएंगे।

प्रेमानंद जी महाराज ने इस महिला को यह सिखाया कि तानों और समाज के दबाव को अपने जीवन का हिस्सा बना कर न झेलें। अगर भगवान ने संतान दी तो वह आएगी, और अगर नहीं दी, तो भी भगवान की इच्छा समझ कर हम अपने जीवन में संतुष्टि पा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संतान न होने के कारण अपने जीवन को दुखी नहीं बनाना चाहिए। बल्कि, हमें भगवान के चरणों में मन लगाकर, भजन और ध्यान करने में अपना समय बिताना चाहिए, ताकि हमारा मानसिक संतुलन बना रहे और जीवन में शांति मिले।


 


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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