प्रेग्नेंसी में बीपी और शुगर बढ़ना खतरनाक: जानें कैसे हो सकता है बच्चे की सेहत पर असर!

punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 12:10 PM (IST)

नारी डेस्क: प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का सबसे खास और संवेदनशील समय होता है। इस दौरान मां के स्वास्थ्य का सीधा प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। लेकिन अगर गर्भवती महिला को ब्लड शुगर (डायबिटीज) या हाई बीपी की समस्या हो, तो यह न सिर्फ मां बल्कि बच्चे की सेहत के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। हाल ही में एक रिसर्च में यह सामने आया है कि प्रदूषण और अनियंत्रित डायबिटीज प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की ग्रोथ को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

डायबिटीज से बच्चे की ग्रोथ पर असर।  (DIABETES SE BACHE KI GROWTH PAR ASAR)  

चीन की जुनी मेडिकल यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, प्रेग्नेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) होने से बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है। इस रिसर्च में 27 साल की औसत उम्र की 4,338 महिलाओं को शामिल किया गया। इनमें से 302 महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या पाई गई। रिसर्च में यह भी पता चला कि खाना पकाने और गर्म करने के लिए ठोस ईंधन (जैसे लकड़ी या कोयला) का उपयोग करने से महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

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जेस्टेशनल डायबिटीज, जो प्रेग्नेंसी के दौरान होती है, मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। इससे भ्रूण का विकास बाधित हो सकता है, जन्म दोष हो सकते हैं, और यहां तक कि मिसकैरेज का खतरा भी बढ़ सकता है।

बीपी और शुगर बढ़ने से होने वाले खतरे । (BP AUR SUGAR BADNE SE HONE VAALE KHATRE)

प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) और ब्लड शुगर का बढ़ना मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। इन स्थितियों को नजरअंदाज करना गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है, जिससे मां और भ्रूण दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) के खतरे । (HIGH BLOOD PRESSURE KE KHATRE)

बीपी बढ़ने से प्लेसेंटा में ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो सकता है। यह स्थिति भ्रूण तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति को कम कर सकती है। इससे बच्चे का वजन सामान्य से कम हो सकता है, जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है। साथ ही, यह समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी) का कारण भी बन सकता है। अगर बीपी अत्यधिक बढ़ जाए, तो यह गर्भपात (मिसकैरेज) की संभावना को भी बढ़ा देता है। गर्भवती महिलाओं को बीपी बढ़ने के संकेतों, जैसे सिर दर्द और चक्कर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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डायबिटीज के प्रभाव । (DIABETES KE PRABHAV)

गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर का बढ़ना भी गंभीर समस्या बन सकता है। अनियंत्रित ब्लड शुगर भ्रूण के असामान्य विकास का कारण बन सकता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे का जन्म के समय मोटापा हो सकता है, जो आगे चलकर उसकी शारीरिक और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। उच्च ब्लड शुगर से नवजात के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते, जिससे उसे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ शुगर स्तर बच्चे में भविष्य में डायबिटीज होने की संभावना को बढ़ा सकता है।

डायबिटीज और हाई बीपी से बचाव के उपाय

डॉक्टर से नियमित संपर्क रखें । (DOCTORS SE NIYMAT SAMPARK RKHE)

गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच कराना बहुत जरूरी है। ब्लड शुगर और बीपी की स्थिति पर समय-समय पर नजर रखें। अगर कोई असामान्य लक्षण महसूस हो, जैसे तेज सिर दर्द, चक्कर आना, या अत्यधिक थकान, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर से संपर्क बनाए रखना जटिलताओं को रोकने में मदद करता है।

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संतुलित आहार लें । ( HEALTHY DIET LE)

प्रेग्नेंसी के दौरान पोषण से भरपूर आहार लेना बेहद जरूरी है। भोजन में हरी सब्जियां, साबुत अनाज, फाइबर और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। चीनी और ज्यादा तली-भुनी चीजों से बचें। छोटे-छोटे अंतराल पर भोजन करने से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। साथ ही, संतुलित आहार बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है।

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नियमित एक्सरसाइज करें ( EXCERSISE KARE)

हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और ब्लड शुगर और बीपी नियंत्रण में रहता है। गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार वॉक, योग, या स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर सकती हैं। नियमित व्यायाम न केवल मां के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखता है बल्कि बच्चे के विकास में भी मदद करता है।

सीरियल अल्ट्रासाउंड और नियमित जांच कराएं ( MEDICAL CHECK-UP KARWAYE)

बच्चे की ग्रोथ और स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए समय-समय पर अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच करानी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बच्चे का वजन, आकार और विकास सामान्य है। अल्ट्रासाउंड प्लेसेंटा की स्थिति और रक्त प्रवाह को भी मापने में मदद करता है, जो हाई बीपी और ब्लड शुगर से प्रभावित हो सकता है।

तनाव कम करें और आराम करें (TANAAV AUR STRESS KAM KARE)

गर्भावस्था के दौरान तनाव और चिंता को कम करना बेहद जरूरी है। अधिक तनाव ब्लड प्रेशर और शुगर बढ़ा सकता है, जिससे मां और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है। रिलैक्सेशन के लिए मेडिटेशन और प्रेग्नेंसी योग का सहारा लिया जा सकता है। पर्याप्त नींद और आराम भी गर्भवती महिलाओं के लिए अनिवार्य है।

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इन उपायों को अपनाकर गर्भवती महिलाएं अपनी और अपने बच्चे की सेहत को सुरक्षित और बेहतर बना सकती हैं। डॉक्टर की सलाह और नियमित जांच से जटिलताओं से बचा जा सकता है।

ध्यान रखें: मां की सेहत का सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। इसलिए, प्रेग्नेंसी के दौरान खुद का और बच्चे का ध्यान रखना हर महिला की प्राथमिकता होनी चाहिए।

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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