धार्मिक या तीर्थ यात्रा में पीरिएड्स आ जाएं तो क्या करें? जानें प्रेमानंद जी महाराज से...
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 07:02 PM (IST)
नारी डेस्क : तीर्थ यात्रा महिलाओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव होता है। लेकिन कई बार यात्रा के दौरान मासिक धर्म (पीरियड्स) आ जाना चिंता का विषय बन जाता है। ऐसी स्थिति में महिलाएं सोचती हैं कि क्या उन्हें दर्शन करना चाहिए या बीच में यात्रा रोक देनी चाहिए। हाल ही में वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने इस विषय पर स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है।
बीच में छोड़ना सही या मंदिर में कर लें दर्शन?
भक्तों की सभा में एक महिला ने पूछा: "जब हम तीर्थ यात्रा पर जाते हैं और उस दौरान पीरियड्स शुरू हो जाएं, तो क्या हमें दर्शन करना चाहिए या रुक जाना चाहिए?" यह सवाल उस उलझन को दर्शाता है, जो महिलाओं को तीर्थ यात्रा के दौरान मासिक धर्म के कारण होती है। महाराज ने कहा कि दर्शन करने का अवसर नहीं छोड़ना चाहिए। मासिक धर्म कोई गंदगी या पाप नहीं है, बल्कि महिलाओं के शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया है। तीर्थ यात्रा के लिए समय, मेहनत और खर्च किया जाता है, इसलिए इस दौरान भगवान के दर्शन से वंचित नहीं रहना चाहिए।
ध्यान रखने योग्य सावधानियां
महाराज ने कुछ सरल उपाय बताए ताकि महिलाएं सुरक्षित और सहज रूप से दर्शन कर सकें।
स्नान करके और साफ कपड़े पहनकर दर्शन करें।
भगवत प्रसादी या चंदन लगाकर दूर से दर्शन किया जा सकता है।
इस दौरान मंदिर की सेवा, मूर्ति को छूना या पूजा सामग्री चढ़ाना जैसे कार्य न करें।
केवल मन से प्रभु को याद करें और भक्ति भाव से दर्शन करें।
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मासिक धर्म को लेकर समाज की सोच
प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि मासिक धर्म निंदनीय नहीं बल्कि सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि प्राचीन समय में ऋषियों ने देवराज इंद्र पर लगे दोष का भार चार भागों में बांटा: नदी, पेड़, धरती और महिलाओं में। महिलाओं को मिला यह भाग मासिक धर्म के रूप में आता है। इसलिए इसे पाप या गंदगी मानना गलत है। तीर्थ यात्रा के दौरान पीरियड्स आ जाना सामान्य बात है और यह दर्शन के मार्ग में बाधा नहीं बनता। महिलाएं स्वच्छता और सावधानी रखते हुए सहज रूप से भगवान के दर्शन कर सकती हैं। महत्व यह है कि भक्ति और श्रद्धा के भाव से यात्रा पूरी की जाए।

