पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए सड़क पर मां संग बेचती हैं चना, नर्स बन करना चाहती हैं गरीबों की सेवा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 03, 2021 - 11:04 AM (IST)

अगर इरादें मजबूत हो तो मुश्किल से मुश्किल हालात भी हिम्मत मिल ही जाती है। इस बात पर खरी उतरती है 12 साल की पालिनी कुमारी जो बड़े होकर नर्स बनना चाहती है और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह मां के साथ मिलकर सड़क किनारे चने बेच रही हैं। पालनी के इरादें बड़े होकर गरीबों की सेवा करने के हैं जिसके लिए वह काफी संघर्ष कर रही हैं।

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नर्स बन गरीबों की सेवा करना चाहती है पालनी

झारखंड के सिमडेगा की पालनी कुमारी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वह हरे चने बेच रही हैं। वह लाइन कॉन्वेंट शामटोली में 7वी कक्षा में पढ़ती है लेकिन उनकी मां के पास इतने पैसे नहीं कि वह उन्हें नर्स बनाने का खर्चा उठा सके। पालनी 6th में 75% मार्क्स से पास हुईं है। वह डेढ़ साल की थी जब उनके पिता की मौत हो गई। पालनी का कहना है कि अगर उनके पिता जिंदा होते तो उनकी मां व उन्हें यह काम नहीं करना पड़ा।

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गौतम अदाणी उठाएंगे पढ़ाई का खर्च

नन्ही पालनी के सपने आर्थिक तंगी के कारण दम तोड़ ही रहे थे कि तभी सोशल मीडिया पर उनकी कहानी सामने आते ही मदद को कई हाथ आगे आए। सबसे पहले अदाणी ग्रुप के गौतम अदाणी ने पालनी की पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा किया। अदाणी ने ट्वीट कर कहा, 'छोटी सी बच्ची के इतने बड़े विचार। पालनी के शिक्षा की जिम्मेदारी उठाना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। ये बिटियां सशक्त भारत की उम्मीद हैं। इन्हें बेहतर कल मिले हैं ये हम सबकी जिम्मेदारी है। बता दें कि अदानी ग्रुप में पालिनी को हर महीने 25 हजार देने की बात कही।

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हेमंत सोरेन ने भी बढ़ाया मदद का हाथ

अब झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि पालनी को सभी सरकारी योजनाओं के द्वारा मदद की जाए और उशकी उत्तम शिक्षा का प्रबंध भी किया जाएगा। इसके अलावा रुंगटा ग्रुप और अन्य संस्थान ने भी मदद का हाथ बढ़ाकर पालनी के सपनों को उड़ान दी। वहीं, जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव ने भी अधिकारियों की एक टीम भेजकर उनके परिवार की स्थिति का जायजा लेने और हर संभंव मदद करने का आदेश दिया है।

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पालनी की मां को मिलता है विधवा पेंशन

पिता की मौत के बाद पालनी और उनकी मां संघर्ष कर रही हैं और दोनों सब्जी, बूटझंगरी बेचकर पेट पाल रही हैं। पालनी ने बताया कि जिस दिन उनकी ब्रिकी नहीं होती वह भूखी ही सो जाती थी। वह सुबह पहले स्कूल जाती हैं और फिर घर आकर सब्जी बेचती हैं। हालांकि सरकारी सुविधा के नाम पर उनकी मां को विधवा पेंशन मिलती है लेकिन उससे गुजारा नहीं हो पाता। उनके पास ना तो लाल कार्ड और ना ही पीएम आवास योजना का फायदा। ऐसे में जैसे तैसे ही दिन काट रही थी।

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Content Writer

Anjali Rajput

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