"माता-पिता को अपने बच्चों का दोस्त नहीं बनना चाहिए..." अभिषेक बच्चन ने दिए Parenting से जुड़े टिप्स, क्या आपने सुने ?
punjabkesari.in Friday, Mar 14, 2025 - 09:36 AM (IST)

नारी डेस्क: बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन ने अपनी फिल्म 'बी हैप्पी' को लेकर चर्चाओं में बने हुए हैं, जो एक खूबसूरत पिता-बेटी के रिश्ते को दर्शाती है। हाल ही में अभिनेता ने पेरेंटिंग के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि पिता की भावनाएं अक्सर अनदेखी हो जाती हैं, क्योंकि वे इसे खुलकर व्यक्त नहीं करते हैं। अभिनेता ने खुलासा किया कि उनका मानना है कि माता-पिता को अपने बच्चों के साथ दोस्त नहीं बनना चाहिए।
पुरुष अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते : अभिषेक
अपनी फिल्म की रिलीज़ से पहले, अभिषेक बच्चन ने फीवर एफएम से बात करते हुए पिता होने के बारे में खुलकर बात की। अभिनेता ने कहा- “बहुत बार, आम बातचीत में, हम भूल जाते हैं कि एक पिता किस दौर से गुज़र रहा होगा। मुझे लगता है कि पुरुष अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में बहुत अच्छे नहीं होते। यह एक बहुत बड़ी खामी है और हमें लगता है कि हमें बस बहुत ही चुपचाप अपनी ज़िम्मेदारियां या दबावों को स्वीकार कर लेना चाहिए और आगे बढ़ जाना चाहिए।” जूनियर बच्चन ने स्वीकार किया कि “पिता कभी भी मां की जगह नहीं ले सकते।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं एक "श्रेष्ठ जाति हैं, लेकिन उन्हें पिता के काम को कमतर नहीं आंकना चाहिए।
माता-पिता बच्चे के दोस्त नहीं हो सकते: अभिषेक
बातचीत आगे बढ़ने के साथ ही अभिषेक ने माता-पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते पर बात करते हुए कहा कि आजकल माता-पिता और बच्चे दोस्त की तरह हो गए हैं, लेकिन वे इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा- "मुझे लगता है कि आपको अपने बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए, आप उसके दोस्त नहीं हो सकते। आप उनके माता-पिता हैं। आप उनकी रक्षा करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए हैं। लेकिन आपको उनके लिए इतना दोस्ताना होना चाहिए कि वे आपके पास आकर अपनी बात कहने में सहज महसूस करें। और अगर कुछ भी हो तो वे सबसे पहले आपको ही कॉल करें। लेकिन मेरा यह भी मानना है कि आखिरकार आप ही उनके माता-पिता हैं, उन्हें यह अंतर समझना चाहिए, यही मेरा मानना है।"
हर माता-पिता अलग होते हैं: अभिषेक
इसके अलावा, माता-पिता बनने की यात्रा के बारे में बात करते हुए, अभिनेता का मानना है कि यह आत्म-खोज का मार्ग है। जबकि हर जगह से सलाह मिलती है, यह ऐसा मार्ग है जिस पर व्यक्ति को खुद चलना होता है। उन्होंने कहा- "आखिरकार, आपको अपनी गलतियां खुद करनी होंगी और आपको अपना रास्ता खुद खोजना होगा। यही कुछ ऐसा है जो जीवन आपको सिखाता है। हर माता-पिता अलग होता है और अपने बच्चों की परवरिश करने का उनका तरीका भी अलग होता है। और वास्तव में, यह आत्म-खोज की यात्रा है क्योंकि आप अपने बारे में बहुत कुछ खोजते हैं जब आपको अपने बारे में नहीं बल्कि किसी और के बारे में सोचना होता है, जिसे आप खुद से भी ज्यादा प्यार करते हैं।”