घर के मंदिर में गुंबद होना चाहिए है या नहीं? यहां करें अपनी कंफ्यूजन दूर
punjabkesari.in Saturday, Mar 08, 2025 - 05:50 PM (IST)

नारी डेस्क: जितने भी धार्मिक स्थल होते हैं उनकी छत पर गुंबद या शिखर जरूर बना होता है। गुंबद से ही धार्मिक स्थलों की पहचान होती है। माना जाता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे कि आंधी, तूफान, बिजली और वर्षा आदि का प्रभाव गुंबद पर बहुत कम पड़ता है, पर वास्तु शास्त्र में घर के मंदिर में गुंबद बनाने की मनाही होती है। हालांकि ऐसी जानकारी ना होने के चलते कुछ लोग गुंबद बनाने की गलती कर बैठते हैं। चलिए जानते हैं घर का मंदिर बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
मंदिरों में गुंबद का क्या है अर्थ
मंदिर के गुंबद ऊर्जा को केन्द्रित करने का काम करता है। जब कोई यहां प्रार्थना करता है या मंत्र जप करता है, तो इस तरह की गुंबदनुमा बना छत उस ध्वनि को प्रतिध्वनि में बदल देता है। कहने का अर्थ है कि वह ध्वनि वायुमंडल में खो जाने के बजाय छतों से टकराकर पूरे वातावरण में फ़ैल जाती है और साधक तक भी लौटकर आती है। उस मंत्र या प्रार्थना की ऊर्जा से साधक को एक अलग ही प्रकार की ऊर्जा का आभास होता है और इससे मंदिर का वातावरण भी प्रार्थानामय बना रहता है। शास्त्रों के अनुसार घर के लिए अगर मंदिर ले रहे हैं तो गुंबद वाला मंदिर न लें. ये घर के लिए काफी अशुभ होता है।
घर में मंदिर में क्यों नहीं होना चाहिए गुंबद
वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस भी मंदिर में गुंबद होता है उसमें कलश स्थापित होता है और ध्वजा लगाई जाती है और यह दोनों खुली आकाश के नीचे होना चाहिए, जबकि घर में रखे मंदिर में ऐसा करना संभव नहीं होता है। इसलिए घर के मंदिर में गुंबद नहीं होना चाहिए।यह भी मान्यता है कि मंदिर पर लगे झंडे से ऊंची कोई दूसरी चीज नहीं होनी चाहिए, जबकि घर में लोगों के मंदिर का आकार काफी छोटा होता है। दरअसल, गुंबद पर लगे ध्वजा और कलश नेगटिव एनर्जी को मंदिर में प्रवेश करने से रोकते हैं और मंदिर की पवित्रता और शुद्धता बनाए रखते हैं, जबकि घर के मंदिर में बिना कालश या झंडे की गुंबद नेगेटिविटी को बढ़ाती है।
घर के मंदिर की दिशा
मंदिर को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थापित करना शुभ माना जाता है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण होती है। घर के मंदिर के लिए लकड़ी का उपयोग सबसे शुभ माना गया है, क्योंकि यह सौभाग्य और शुभता का प्रतीक होता है। मूर्तियों को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए उनके और दीवार के बीच थोड़ी जगह होनी चाहिए। मंदिर की ऊंचाई इतनी होनी चाहिए कि भगवान के चरण और हमारे हृदय का स्तर समान रहे। अंततः, घर के मंदिर का निर्माण इस प्रकार होना चाहिए कि वह परिवार के सदस्यों के लिए आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बने।