माता रानी के इस मंदिर के आगे पाकिस्तान ने टेके थे घुटने, 3000 बम भी नहीं दे पाए एक भी खरोच

punjabkesari.in Friday, May 09, 2025 - 05:27 PM (IST)

नारी डेस्क:  भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं। इस तनाव के बीच आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके आगे पाकिस्तान घुटने टेकने को मजबूर हाे गया था।  युद्ध की देवी ने 1965 की जंग में पाक सेना को चमत्कार दिखाया था।  भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित यह  ऐतिहासिक मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि देशभक्ति और चमत्कारों की कहानियों से भी जुड़ा हुआ है। आइए जानें इस मंदिर के बारे में विस्तार से
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मंदिर का इतिहास

तनोट माता मंदिर की स्थापना 828 ईस्वी में भाटी राजपूत वंश के राजा तणु राव ने की थी। माता तनोट को हिंगलाज माता का रूप माना जाता है, जो शक्ति की देवी हैं और जिनकी पूजा सिंध और बलूचिस्तान में भी होती है। स्थानीय लोग और सैनिक मानते हैं कि तनोट माता सीमा की रक्षक हैं। ऐसा विश्वास है कि माता की कृपा से जैसलमेर की सीमा पर कभी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

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 युद्धों में चमत्कार (1965 और 1971)

1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दौरान पाकिस्तान ने तनोट क्षेत्र में भारी बमबारी की थी। 3000 से अधिक बम मंदिर के आसपास गिरे, लेकिन मंदिर को एक खरोंच तक नहीं आई। यह माना जाता है कि माता की कृपा से सभी बम या तो फटे ही नहीं या फिर दिशा बदलकर गिर गए। 1971 के युद्ध में भी माता का मंदिर भारतीय जवानों के लिए आस्था का केंद्र बना रहा। लौंगेवाला पोस्ट की लड़ाई में भारतीय सेना ने अभूतपूर्व विजय प्राप्त की, और सैनिकों ने इसका श्रेय तनोट माता को दिया।

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 बीएसएफ और मंदिर का संबंध

युद्धों के बाद भारत सरकार और सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने मंदिर की देखरेख की ज़िम्मेदारी संभाली। आज भी बीएसएफ के जवान ही मंदिर की पूजा करते हैं और इसकी सेवा में लगे रहते हैं। यहां एक वार म्यूज़ियम भी है, जिसमें युद्ध में न फटे बम और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं रखी गई हैं। तनोट माता मंदिर आज भी लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है। हर साल नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है। यह स्थान एकता, आस्था और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत उदाहरण है।


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vasudha

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