जागृत महादेव के नाम से जाना जाता है Kedarnath, शिवभक्त से जुड़ी है पौराणिक कथा
punjabkesari.in Thursday, May 25, 2023 - 03:43 PM (IST)
केदारनाथ के धाम भक्तों के लिए खुल चुके हैं। ऐसे में शिव भक्त हर साल इस धाम के दर्शन करने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। माना जाता है कि बाबा केदार जिस भक्त को दर्शन देने की ठान लेते हैं उन्हें अपने दर्शन देकर ही रहते हैं। भगवान शिव के एक भक्त की ऐसी ही कहानी है जिसके बाद से केदारनाथ धाम को जागृत महादेव कहा जाता है। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि कैसे भगवान शिव के प्रिय वास का नाम केदारनाथ पड़ा। आइए जानते हैं इसके बारे में...
इसलिए कहते हैं केदारनाथ को जागृत महादेव
पौराणिक कथाओं की मानें तो एक बार एक शिव भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकल पड़ा। पहले पर्याप्त यातायात की सुविधाएं न होने के कारण उसे अपने सफर पैदल ही तय करना पड़ा। इस रास्ते के दौरान उसे जो भी मिलता था वह उससे केदारनाथ का रास्ता पूछ लेता और मन ही मन भगवान शिव का ध्यान करता रहता था। भक्त को ऐसे ही चलते-चलते महीनों बीत गए थे। आखिरकार वह एक दिन केदारनाथ पहुंच ही गया। केदारनाथ में मंदिर के कपाट 6 महीने खुलते हैं और 6 महीने बंद होते हैं। परंतु भक्त उस समय मंदिर पहुंचा जब कपाट बंद हो रहे थे। मंदिर के पंडित ने भक्त को बताया कि वह महीनों तक चलकर बाबा शिव के दर्शन करने के लिए आया है। कृप्या करके भगवान शिव के दर्शन कपाट खोल दें लेकिन वहां का नियम है कि एक बार द्वार बंद हो जाएं तो इसका मतलब है कि द्वार बंद हैं फिर भक्त बहुत रोया। इसके अलावा बार-बार भगवान शिव को भी याद किया और प्रभु से दर्शन देने की विनती की।
भक्त से मिले बाबा केदार
मंदिर के पंडित बोले कि अब यहां छह महीने के बाद आना क्योंकि कपाट तभी खुलेंगे। यहां छह महीने बर्फ और ठंड पड़ती है सभी लोग वहां से चले गए भक्त वहीं पर रोता रह गया। ऐसे ही उसे रोते-रोते रात होने लग गई और चारों और अंधेरा छा गया लेकिन उसका विश्वास था कि भगवान शिव उसे जरुर दर्शन देंगे। भक्त को बहुत ही भूख लग रही थी तभी उसने किसी की आहट सुनी। उसने जैसा ही देखा एक सन्यासी बाबा उनकी ओर आ रहे हैं। वह बाबा सन्यासी भक्त के पास आया और पास में आकर बैठ गया। सन्यासी बाबा ने उससे पूछा कि बेटा तुम कौन और आखिर कहां से आए हो? भक्त से सारी बात बताई। बाबा भक्त से काफी देर तक बात करते रहे और उन्हें उस पर दया आ गई। वह बोले कि बेटा मुझे लगता है कि सुबह मंदिर जरुर खुलेगा तुम दर्शन जरुर करोगे।
भक्त कीखुली 6 सीधे महीने बाद जाग
बाबा के साथ बात करते-करते उस भक्त को कब नींद आ गई पता नहीं चला। अगले दिन उसकी जैसे आंख खुली तो उसने देखा कि वह सन्यासी बाबा कहीं पर भी नहीं थे। इससे पहले वह अवस्था समझ पाता कि इतने में उसने पंडित को पूरी मंडली के साथ मंदिर की ओर आते देखा। उसने पंडित को प्रणाम किया और बोला कि आपने तो कहा था कि मंदिर अब 6 महीने बाद खुलेगा? इस बीच कोई नहीं आएगा लेकिन आप तो सुबह ही आ गए। पंडित ने उस भक्त को गौर से देखा और उसे पहचानने की कोशिश की। इसके बाद वह बोले कि तुम वही हो जो द्वार बंद होने पर वहां आए थे। मुझसे मिले भी थे छह महीने होती ही वापस आ गए। इतना सुनकर उस भक्त के आश्चर्च का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। पंडित ने कहा कि तुम छह महीने तक जिंदा कैसे रहे थे। तब उस भक्त ने बाबा सन्यासी को मिलने की कहानी सुनाई। भक्त ने कहा कि उसके पास एक सन्यासी बाबा आए थे लंबे और बड़ी-बड़ी जटाओं के साथ एक हाथ में त्रिशूल और हाथ में डमरु लिए मृग शाला पहने हुए थे। पंडित और सब लोग भक्त के चरणों में गिर गए। उन्होंने कहा कि हमने तो पूरी जिंदगी लगा दि लेकिन प्रभु के दर्शन ना पा सके। सच्चे भक्त तो तुम हो। इसी कहानी के कारण केदारनाथ को जागृत महादेव कहते हैं।