आज मनाई जा रही है अपरा एकादशी, इस दिन होती है भगवान विष्णु की पांचवे अवतार की पूजा
punjabkesari.in Monday, May 15, 2023 - 11:28 AM (IST)
हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि का बहुत ही महत्व बताया गया है। इन सभी एकादशियों में से अपरा एकादशी भी बहुत ही पूजनीय मानी जाती है। हिंदू पंचागों की मानें तो ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के रुप में मनाया जाता है। इस साल अपरा एकादशी आज यानी की 15 मई को मनाई जा रही है। भारत के कई देशों में इसे अचला एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की नियमित पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को गोदान के जितना पुण्य मिलता है। वहीं हिंदू धर्म शास्त्रों में भी इस व्रत का काफी महत्व बताया गया है लेकिन यह एकादशी क्यों मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
व्यक्ति को होती है मोक्ष की प्राप्ति
धर्म शास्त्रों की मानें तो इस एकादशी के व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में यह एकादशी व्यक्ति के पापों को मिटाने के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अलावा उनके पांचवे अवतार वामन ऋषि की पूजा भी की जाती है।
ये है अपरा एकादशी की कथा
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो एक समय में युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से जेष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी का महत्व बताने के लिए कहा था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि अपरा एकादशी का व्रत करने से प्रेत, योनि, ब्रह्मा हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है। कथा के अनुसार, प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राज था उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर और अधर्मी थी। वह अपने बड़े भाई और महीध्वज से बहुत ही घृणा और क्रोध की भावना रखता था। राज्य पर अपना हक जमाने के लिए उसने एक रात अपने बड़े भाई की हत्या कर दी और उसकी लाश को एक जंगल में पीपल के पड़ के नीचे गाड़ दिया। राजा महीध्वज की अकाल मृत्यु के कारण प्रेत योनि में प्रेत आत्मा बनकर उस पीपल के पेड़ पर ही रहने लग गया । एक बार वहीं उसी रास्ते से धौम्य ऋषि निकल रहे थे। उन्होंने राजा को प्रेत बने हुए देख लिया और अपनी माया के साथ उनके बारे में सब कुछ पता कर लिया। ऋषि ने खुश होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दे दिया। राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलवाने के लिए ऋषि ने अपरा एकादसी का व्रत रखा था और श्री हरि विष्णु से राजा के लिए कामना की थी। इस पुण्य के प्रभाव से राजा को प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। राजा बहुत ही खुश हुआ और महर्षि को धन्यवाद देता हुआ स्वर्ग लोक में चला गया।
ऐसे करें पूजा
पदमपुराण की मानें तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा वामन स्वरुप में की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को पंचामृत, रोली, मोली, गोपी चंदन, अक्षत, पीले फूल, ऋतुफल, मिष्ठान अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप के साथ आरती करके दीप दान करें। भगवान विष्णु को खुश करने के लिए तुलसी और मंजरी भी जरुर अर्पित करें। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस दिन इस सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।