अब गहने नहीं Mutual Fund पर पैसा लगा रही ''घर की लक्ष्मी'' , मुंबई-दिल्ली की महिलाएं सबसे आगे

punjabkesari.in Tuesday, May 20, 2025 - 10:29 AM (IST)

नारी डेस्क: पिछले पांच वर्षों में भारत में महिलाओं की म्यूचुअल फंड में भागीदारी दोगुनी हो गई है , जो वित्तीय स्वतंत्रता और जागरूकता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों के निवेशकों ने म्यूचुअल फंड्स में 26 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें महिलाओं का योगदान अब तेजी से बढ़ रहा है। चलिए जानते हैं महिलाओं को कितना है योगदान और क्या है उनकी योजना।

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महिलाओं का म्यूचुअल फंड में बढ़ता योगदान

2019–2024 तक    पिछले 5 वर्षों में महिलाओं के द्वारा म्यूचुअल फंड्स में निवेश की राशि दोगुनी से ज्यादा हो गई है। 2019 में महिला निवेशकों की संख्या सीमित थी 2024 में ये संख्या लाखों में पहुंच गई है, खासकर वर्किंग वुमन और गृहणियों के बीच। अब केवल मेट्रो सिटी ही नहीं, बल्कि टीयर-2 और टीयर-3 शहरों की महिलाएं भी SIP (Systematic Investment Plan) के जरिए नियमित निवेश कर रही हैं।

 

मुंबई और दिल्ली के निवेशकों की भूमिका

 मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे और कोलकाता सामूहिक रूप से मार्च 2025 तक देश की कुल म्यूचुअल फंड प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) का 52.52 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं। इसका मतलब है कि कुल एयूएम कॉर्पस 65.74 लाख करोड़ रुपये में से 34.52 लाख करोड़ रुपये इन पांच शहरों से आए हैं। मुंबई 27 प्रतिशत हिस्सेदारी (17.75 लाख करोड़ रुपये) के साथ पैक में सबसे आगे है, इसके बाद नई दिल्ली 12.63 प्रतिशत, बेंगलुरु 5.39 प्रतिशत, पुणे 4 प्रतिशत और कोलकाता 3.49 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के अनुसार, यह प्रवृत्ति पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुरूप है। इनमें भी महिला निवेशकों का योगदान लगातार बढ़ रहा है, जो पारंपरिक सेविंग्स से आगे बढ़कर इक्विटी और स्मॉलकैप फंड्स में निवेश कर रही हैं।


स्मॉलकैप फंड्स: महिलाओं की पहली पसंद

स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड्स में जोखिम थोड़े ज्यादा होते हैं, लेकिन रिटर्न भी आकर्षक होते हैं। युवा और जागरूक महिला निवेशक अब लॉन्ग टर्म गोल्स (जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई, घर खरीदना) के लिए इन फंड्स को प्राथमिकता दे रही हैं।

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क्यों बढ़ी महिलाओं की भागीदारी?

-वित्तीय साक्षरता में वृद्धि
-ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स की आसानी
-रोजगार में बढ़ती भागीदारी और स्वावलंबन की भावना
पारंपरिक निवेश जैसे एफडी और सोना से हटकर विविध विकल्प अपनाना।


भारतीय महिलाएं अब सिर्फ बचत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि निवेश और वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। म्यूचुअल फंड्स में उनका यह बढ़ता योगदान एक आर्थिक रूप से सशक्त भारत की दिशा में सकारात्मक संकेत है।


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vasudha

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