नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि, भोग, रंग मंत्र और आरती
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 06:15 PM (IST)

नारी डेस्क : शारदीय नवरात्रि नौ दिनों का प्रमुख हिंदू पर्व है, लेकिन इस साल तिथि में वृद्धि होने के कारण इसे 10 दिनों तक मनाया जाएगा। इसी वजह से लोगों के बीच यह भ्रम बन गया है कि किस दिन किस देवी की पूजा होगी। पंचांग के अनुसार, इस साल नवरात्रि की पंचमी तिथि शनिवार, 27 सितंबर 2025 को पड़ रही है, और इस दिन पांचवीं देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी।
स्कंदमाता पूजा शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:36 – 05:24
सुबह का मुहूर्त: 07:50 – 09:19
दोपहर का मुहूर्त: 12:17 – 01:46
अभिजीत मुहूर्त: 11:34 – 12:36
संध्याकाल पूजा मुहूर्त: 06:30 – 07:42
मां स्कंदमाता पूजा विधि
मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इस दिन पीला रंग पहनना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके बाद पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करके उसे पवित्र करें। पूजा स्थल पर लकड़ी की पटिया (चौकी) रखें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां स्कंदमाता की तस्वीर स्थापित करें। मां को फूलों की माला पहनाएं और कुमकुम से तिलक करें। इसके साथ ही फूल, फल, अबीर, गुलाल, सिंदूर, मेहंदी और हल्दी आदि अर्पित करें। पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप करें।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता का प्रिय रंग और भोग : मां स्कंदमाता का प्रिय रंग पीला है, इसलिए पूजा के दौरान पीले रंग की चीजें अर्पित करना शुभ माना जाता है। भोग में पीले रंग के फल जैसे केला, पीली मिठाइयां, हलवा और केसर वाली खीर अर्पित किए जा सकते हैं।
स्कंदमाता का स्वरूप : नवदुर्गा में मां स्कंदमाता पांचवां स्वरूप हैं और इन्हें भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में जाना जाता है। मां का शरीर श्वेतवर्ण और कमल के फूल पर विराजमान है। उनका स्वरूप चार भुजाओं वाला है, जिसमें एक हाथ में भगवान स्कंद, दो हाथों में कमल के फूल और एक हाथ अभय मुद्रा में है।
मां स्कंदमाता आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी।
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए।
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी।