मिर्गी के दौरे में Pregnancy करना कितनी सुरक्षित, क्या शिशु पैदा होता है Healthy ?

punjabkesari.in Tuesday, Dec 03, 2024 - 07:07 PM (IST)

नारी डेस्कः मिर्गी यानि कि एपिलेप्सी (Epilespsy) मानसिक विकार है। एक बार यह रोग होने पर मरीज को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर यह समस्या महिला को हो तो महिला को हमेशा इस बात की चिंता सताती है कि क्या वह नॉर्मल महिला की तरह प्रैग्नेंसी कंसीव कर पाएगी और क्या उसका बच्चा स्वस्थ होगा? 

चलिए, आज इसी टॉपिक पर बात करते हैं क्योंकि यह बहुत जरूरी है। इसका सबसे बड़ा कारण मिर्गी से जुड़े अलग-अलग तरह के कॉमन मिथ्स है जिस पर यकीन करना किसी रोगी की जिंदगी खराब कर सकता हैं। इसमें मिर्गी रोगी महिला के गर्भधारण से जुड़े मिथक भी शामिल है। बहुत से लोगों को लगता है कि मिर्गी पीड़ित महिला की प्रैगनेंसी सुरक्षित नहीं होती और ना ही बच्चा स्वस्थ रहता है लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है कि ऐसी मरीज महिला का बच्चा स्वस्थ नहीं होता। हैल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, मिर्गी से पीड़ित महिलाएं भी स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं। मिर्गी से जुड़े महिला के भी बहुत से सवाल है जैसे मिर्गी होने पर क्या प्रैगनेंसी करना सही है और मिर्गी के दौरे से पैदा होने वाले बच्चे को किसी तरह का कोई नुकसान तो नहीं, अगर प्रैग्नेंसी में ही दौरा आ जाए या ऐसी स्थिति में नॉर्मल  डिलीवरी होगी के नहीं? चलिए कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब आपके साथ साझा करने की कोशिश करते हैं। 

क्या मिर्गी पीड़ित महिला गर्भधारण कर सकती है? Mirgi aur Pregnancy | Kya Mirgi Patient Mahila Pregnant ho Skti hai

मिर्गी, एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर (Neurological disorder) है और यह पुरुष, महिला या बच्चे, किसी को भी हो सकती है। महिला रोगी को एक चिंता जरूर सताती है कि क्या वह इस बीमारी के साथ गर्भधारण  कर पाएगी और क्या उनका बच्चा स्वस्थ होगा तो बता दें कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महिला रोगी का इलाज कैसे हो रहा है। सही ट्रीटमेंट और सही समय पर दवाएं लेना। साथ ही यह भी बहुत जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही सारी जरूरी बातों पर अमल किया जाए।

मिर्गी में प्रैग्नेंसी से पहले प्लानिंग करना जरूरी | Epilespsy and Pregnancy Planning 

मिर्गी से पीड़ित महिला अगर प्रैग्नेंसी कंसीव करने का सोच रही है तो उसे पहले से ही इसकी तैयारियां शुरू करनी जरूरी है। अगर महिला मिर्गी की दवाइयां खा रही हैं तो प्रेगनेंसी से पहले अपने न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह अवश्य लें क्योंकि प्रैगनेंसी से पहले दवाइयों में बदलाव किए जा सकते हैं ताकि बच्चे को दवाओं के साइड-इफेक्ट्स से बचाया जा सके। हालांकि बहुत सी रिसर्च और स्टडी के अनुसार, मिर्गी की ज्यादातर दवाइयां ऐसी हैं जो फर्टिलिटी पॉवर को प्रभावित नहीं करती हैं।
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मिर्गी की वजह से प्रेगनेंसी में क्या क्या दिक्कतें आ सकती हैं? Mirgi Mein Pregnancy problems 

अन्य गर्भवती महिलाओं की तुलना में मिर्गी रोगी महिला को परेशानी हो सकती है। मिर्गी की दवाइयों का बच्चे पर खराब असर पड़ सकता है या प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती को हाई ब्लड प्रेशर और ब्लीडिंग का रिस्क बढ़ सकता है। इसी तरह इन महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद  डिप्रेशन में जाने की संभावना हो सकती है।

क्या मिर्गी रोगी महिला की नॉर्मल डिलिवरी हो सकती है? Mirgi Mein Normal Delivery | Pregnancy Mein Mirgi ka Dora 

जिन महिलाओं को मिर्गी की समस्या के चलते नींद ना आने (अनिद्रा ) जैसी परेशानी होती है, उन्हें नॉर्मल डिलीवरी में दिक्कत आ सकती है। दवाइयों के सेवन से भी प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की समस्याएं हो सकती है। वहीं अगर लेबर पेन के समय ही गर्भवती को मिर्गी का दौरा आए तो यह भी परेशानी का कारण हो सकता है क्योंकि दौरे की वजह से बच्चे तक ऑक्सीजन की सप्लाई रूक सकती है इसीलिए, डॉक्टर के सम्पर्क में लगातार बने रहना बहुत जरूरी है। समय पर सोनोग्राफी कराएं और रिपोर्ट्स के आधार पर सावधानियां बरतें।
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मिर्गी रोगी महिला के बच्चे को जन्म के बाद कोई दिक्कत

यह स्थिति इस बात पर निर्भर करती हैं कि मरीज महिला कों किस तरह की औऱ कितनी मात्रा में दवाइयां दी जा रही हैं। अगर मरीज महिला को बहुत अधिक दवाइयां दी जा रही है तो इसका असल बच्चे पर देखने को मिल सकता है। बच्चे का वजन कम हो सकता है। इसलिए शिशु के स्वास्थ का ख्याल रखने के लिए जरूरी है कि आप किसी एक्सपीरियंस पीडियाट्रिशियन की देखरेख में बच्चे की परवरिश करें।

मिर्गी और प्रैगनेंसी से जुड़ी और कई अहम बातें | Mirgi aur Pregnancy Se Judhe Myths 

मिर्गी से पीड़ित महिलाओं को अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक फोलिक एसिड लेने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं (एईडी) शरीर में फोलिक एसिड के स्तर को कम कर सकती हैं। मिर्गी पीड़ित महिलाएं ज़्यादातर मामलों में स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं हालांकि, गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के दौरे बढ़ सकते हैं। कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखकर गर्भावस्था में मिर्गी से पीड़ित महिलाएं सुरक्षित रह सकती हैं:

प्रैग्नेंसी कंसीव करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें।
अपने न्यूरोलॉजिस्ट और प्राथमिक देखभाल करने वाले प्रदाता से विचार-विमर्श करें।
गर्भावस्था से कम से कम 6 महीने पहले दौरे पर नियंत्रण पाने की कोशिश करें। 
गर्भावस्था के दौरान, किसी भी तरह के संक्रमण से बचें।
पौष्टिक आहार खाएं और हैल्दी जूस पिएं। लंबे समय तक भूखे-प्यासे ना रहें।
तनाव, देर रात जागने, ज़्यादा टीवी देखने और तेज रोशनी से बचें।
शराब, सिगरेट से बचें।
डॉक्टरी सलाह से दवाइयों का सेवन करते रहे। 

नोटः मिर्गी की समस्या को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन सहीं ट्रीटमेंट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है जिसके लिए जरूरी है कि आप अपना चेकअप अनुभवी डॉक्टर से करवाएं। 
 


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Content Writer

Vandana

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