"खुद को स्वीकारो"... मीलिए पंजाब की गिद्दा क्वीन से, जो लड़का होकर लड़कियों के कपड़े पहनकर करता है डांस
punjabkesari.in Wednesday, Jun 07, 2023 - 11:30 AM (IST)
"खुद को प्यार करो और स्वीकार करो"... यह कहना है पंजाब की गिद्दा क्वीन का जो है तो पुरुष लेकिन उसे महिलाओं की तरह सजने-संवरने का बेहद शौक है। नूर जोरा की यह प्रेरक कहानी आपको आत्मविश्वास और आत्म-प्रेम से भर देगी। जो लोग समाज से डरकर अपनी कला को कहीं दबा देते हैं उन्हें नूर जोरा की कहानी एक बार जरूर सुननी चाहिए।
फेमस फैशन डिजाइनर अबू जानी संदीप खोसला ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर लिखा- " जोरावर जिन्हें नूर ज़ोरा के नाम से भी जाना जाता है, गर्व के साथ अपने शोक का इजहार करते हैं, वह एक ऐसे समुदाय में पहला पुरुष गिद्दा नर्तक बनने की अपनी यात्रा के बारे में बात करते हैं, जिसने पहले केवल महिलाओं को कला-रूप का प्रदर्शन करते देखा है। चमकीले रंगों से सराबोर, उनके शब्द, उनके नृत्य की तरह कभी नहीं भुलाए जा सकते।
पंजाब में जन्मे जोरावर सिंह ढोल की थाप सुनते ही खुद को बदल देते हैं, वह पंजाब के सबसे प्रसिद्ध गिद्दा नर्तकियों में से एक है।गिद्दा परंपरागत रूप से महिलाओं और लड़कियों द्वारा किया जाता है, लेकिन नूर ज़ोरा ने इस धारना को बदल दिया और उन्होंने साबित कर दिया है कि किया है कि संस्कृति और परंपरा कभी स्थिर नहीं होती और हमेशा नए आविष्कार और बदलाव के लिए खुली रहती है। उनका कहना है कि कला का उद्देश्य सीमाओं को तोड़ना और मन, शरीर और आत्माओं को मुक्त करना है।
फैशन डिजाइनर द्वारा शेयर की गई वीडियो में जोरावर अपनी कहानी बताते हुए कहते हैं कि 7 बहनों और 2 भाइयों के बाद घर के सबसे छोटे बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि "मेरी बहनें मुझे एक डाॅल समझती थी और मुझे बचपन में लड़कियों की तरह तैयार किया जाता था, मुझे भी रंग-बिरंगे कपड़े, चूड़ियां पहनना अच्छा लगता था। मैं बेशक लड़का हूं, लेकिन मेरे अंदर लड़कियों वाले शौक है और इसे मैंने मरने नहीं दिया। मैंने पहली बार अपने दोस्त की शादी में लड़कियों की तरह तैयार होकर गिद्दा पाया और वहीं से मुझे समझ आ गया कि मेरे लिए क्या सही है"।
जोरावर सिंह बताते हैं इस दौरान उन्हें भी लोगों की कई बातें सुननी पड़ी, लेकिन उन्होंने इस सब बतों की परवाह नहीं की। वह बताते हैं कि आज उनके ग्रुप में वह लोग भी हैं जिन्हें उनके परिवार वालों ने आज तक स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने कहा- मेरा मानना है कि हम कलाकार हैं और हमारे परिवारों को कलाकार के तौर पर स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि कला को कोई Gender नहीं होता। जोरावर सिंह ने बताया कि जो लोग उनके बारे में गलत बातें करते थे आज वही उन्हें इज्जत देते हैं, यही उनके लिए बड़ी बात है।
यह गिद्दा डांसर पंजाब के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में शिक्षक भी है। उन्होंने गणित और पंजाबी में बी.एड. भी की है। इतना ही नहीं उन्होंने लोककथाओं में एमफिल भी पूरा किया है और अब वह पीएचडी धारक बनने के इच्छुक हैं। अब लोग उनकी मंडली के साहस की सराहना करते हैं। वह अपनी कहानी से हजारों लोगों को अपनी सच्चाई और जुनून को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं।