क्या है ‘कुंभ’ शब्द का वैदिक महत्व? ऋग्वेद से लेकर अथर्ववेद तक का संदर्भ जानिए
punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2025 - 10:42 AM (IST)
नारी डेस्क: महाकुंभ 2025: आज 13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा के दिन से प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन शुरू हो गया है। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। महाकुंभ में हर 12 साल में लाखों श्रद्धालु, साधु-संत और विदेशी पर्यटक एकत्र होकर पवित्र त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती) में डुबकी लगाते हैं। इसे न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन कहा जाता है।
कुंभ मेले का महत्व और इतिहास
कुंभ मेले का संबंध भारत की पवित्र नदियों और समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। 2017 में यूनेस्को ने इसे "अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" की सूची में शामिल किया। कुंभ मेला हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में खगोलीय संयोग के आधार पर आयोजित होता है। इस दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुना, सरस्वती, शिप्रा और गोदावरी नदियों में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
#WATCH | Prayagraj | A Russian devotee at #MahaKumbh2025, says, "...'Mera Bharat Mahaan'... India is a great country. We are here at Kumbh Mela for the first time. Here we can see the real India - the true power lies in the people of India. I am shaking because of the vibe of the… pic.twitter.com/vyXj4m4BRs
— ANI (@ANI) January 13, 2025
‘कुंभ’ शब्द का वैदिक और पौराणिक संदर्भ
‘कुंभ’ शब्द का उल्लेख सबसे पहले वेदों में मिलता है। ऋग्वेद, जो चार वेदों में सबसे पुराना है, में ‘कुंभ’ का अर्थ घड़े या जल के प्रवाह से जोड़ा गया है। हालांकि, इसका कुंभ मेले या स्नान से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
ऋग्वेद में कुंभ का उल्लेख
ऋग्वेद के 10वें मंडल के 89वें सूक्त के 7वें मंत्र में इंद्र का वर्णन करते हुए ‘कुंभ’ शब्द का उपयोग हुआ है। यह मंत्र इस प्रकार है:
Did you know that the Kumbh Mela is not of just one type? 🧵#MahaKumbh2025 #Mahakumbh
— तहक्षी™ Tehxi (@yajnshri) January 7, 2025
The Kumbh Mela is of four types Kumbh, Ardh Kumbh, Purna Kumbh, and Maha Kumbh. The Kumbh Mela is celebrated based on the positions of celestial bodies. The timing of the year also plays a… pic.twitter.com/ZsDsrqkt8j
जघानं वृत्रं स्वधितिर्वनेव रुरोज पूरो अरदत्र सिन्धून्।
विभेद गिरं नवमित्र कुम्भमा गा इन्द्रो अकृणुतस्व युग्भि:।।
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इसमें ‘कुंभ’ का अर्थ कच्चे घड़े से है, और इंद्र को शत्रुओं का नाश करने वाला और जल प्रदान करने वाला बताया गया है।
अथर्ववेद में ‘पूर्ण कुंभ’
ऋग्वेद के 600 साल बाद लिखे गए अथर्ववेद में ‘पूर्ण कुंभ’ शब्द का उल्लेख मिलता है। चौथे मंडल के 34वें सूक्त में ‘पूर्ण कुंभ’ को समय का प्रतीक माना गया है।
संगम और प्रयाग का उल्लेख
ऋग्वेद के 10वें मंडल के 75वें सूक्त में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का वर्णन मिलता है। इसे त्रिवेणी संगम की ओर इंगित माना जाता है। महाभारत और पुराणों में प्रयागराज और वहां होने वाले तीर्थ स्नानों का उल्लेख है। हालांकि, वेद और पुराणों में कुंभ मेले का कोई स्पष्ट वर्णन नहीं है।
'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत करता महाकुंभ! #MahaKumbh2025 pic.twitter.com/hOTEjWs0Sz
— BJP (@BJP4India) January 13, 2025
वेदों में ‘कुंभ’ शब्द का सीधा संबंध कुंभ मेले से नहीं है। लेकिन यह जल, समय और घड़े का प्रतीक माना गया है। पौराणिक कथाओं और महाभारत में प्रयागराज का महत्व और संगम स्नान का वर्णन मिलता है। महाकुंभ जैसे आयोजन समय के साथ पौराणिक मान्यताओं से जुड़े और आज यह भारत की आस्था और संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतीक बन गया है।
(यह जानकारी विभिन्न स्रोतों पर आधारित है। कृपया किसी भी धार्मिक निर्णय से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।)