iPhone बनाने वाली कंपनी में शादीशुदा महिलाएं हैं बैन ! इस भेदभाव को लेकर उठे सवाल
punjabkesari.in Thursday, Jun 27, 2024 - 03:25 PM (IST)
एप्पल आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने इस समय विवादों में चल रही है। आरोप है कि कंपनी शादीशुदा महिलाओं को जॉब नहीं दे रही है। ऐसे में श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु के श्रम विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी, जिसके जवाब में सरकार को सूचित किया गया कि उसके नए कर्मचारियों में से 25 प्रतिशत विवाहित महिलाएं हैं और उसका सुरक्षा नियमन भेदभावपूर्ण नहीं है।
फॉक्सकॉन के विवाहित महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखने की खबरों के बीच सरकार को यह जानकारी दी गई। सूत्रों ने बताया कि फॉक्सकॉन ने सरकार के साथ साझा की अनौपचारिक जानकारी में कहा कि इस तरह की शर्तें उसकी नीति का हिस्सा नहीं हैं। ये दावे उन लोगों द्वारा किए गए हो सकते हैं जिन्हें नौकरी पर नहीं रखा गया। कंपनी ने कहा कि ऐसी खबरें तेजी से बढ़ते भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को बदनाम करती हैं।
मीडिया में इस संबंध में खबरें आने के बाद श्रम विभाग ने कड़ा कदम उठाया था। एक सूत्र ने बताया कि- ‘‘ फॉक्सकॉन ने स्पष्ट किया है कि हाल ही में नियुक्त की गई महिलाओं में से 25 प्रतिशत विवाहित हैं। इसका मतलब यह है कि कुल महिलाओं में से करीब एक तिहाई विवाहित हैं। यह अनुपात भारत में वर्तमान में क्षेत्र के किसी भी कारखाने की तुलना में बेहतर है।'' उन्होंने बताया कि फॉक्सकॉन कारखाने में वर्तमान में करीब 70 प्रतिशत महिलाएं और 30 प्रतिशत पुरुष कार्यरत हैं।
तमिलनाडु संयंत्र देश में महिलाओं को रोजगार देने वाला सबसे बड़ा कारखाना है, जहां व्यस्ततम अवधि के दौरान कुल रोजगार 45,000 श्रमिक काम करते हैं। कंपनी ने साथ ही बताया कि हिंदू विवाहित महिलाओं के साथ धातु (आभूषण आदि) पहनने के कारण भेदभाव किए जाने की बात ‘‘ पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण '' है। ऐसे कारखानों में धातु पहनना सुरक्षा का एक मुद्दा है, जिसे उद्योग तथा सरकार दोनों अच्छी तरह से पहचानते हैं। कंपनी के अनौपचारिक ‘नोट' का हवाला देते हुए सूत्र ने कहा, ‘‘ ऐसी धातु पहनने वाले किसी भी व्यक्ति...पुरुष या महिला, अविवाहित हो विवाहित..उनका धर्म (हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख आदि) कोई भी हो उनके लिए कारखाने में काम करते समय उसे उतारना आवश्यक है।''
सुरक्षा कारणों से धातु पहने किसी भी व्यक्ति को कार्यस्थल पर काम करने की अनुमति नहीं है और यह कई उद्योगों में प्रचलित प्रथा है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी ने कहा कि मीडिया की खबरें पांच से 10 लोगों या संभावित नौकरी चाहने वालों की टिप्पणियों पर आधारित हैं। ये टिप्पणियां संभवतः उन लोगों की ओर से की गईं जिन्हें नौकरी नहीं मिली या जो अब फॉक्सकॉन में काम नहीं करते। इस मामले पर फॉक्सकॉन को भेजे गए ईमेल का तत्काल कोई जवाब नहीं मिला है।
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