महाशिवरात्रि विशेष: भोलेनाथ को बेहद प्रिय हैं ये दो चीजें, इनके बिना अधूरी है शिव आराधना
punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2025 - 11:57 AM (IST)
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भोलेनाथ को देवों के देव महादेव कहा जाता है, जिनका स्वरूप सभी देवताओं में सबसे निराला है। हिंदू धर्म में शिवरात्रि को बहुत ही खास माना गया है क्योंकि यह मान्यता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन को सनातन धर्म में बड़े ही उत्साह और श्रद्धा भाव से साथ मनाया जाता है। शंकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर भांग और धतूरा चढ़ाने की परपंरा है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे का धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक कारण क्या है।
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पौराणिक कथा
बताया जाता है कि जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथ किया, तो अमृत के साथ-साथ कालकूट नामक विष भी निकला।यह विष इतना भयंकर था कि इससे पूरी सृष्टि का विनाश हो सकता था। भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण कर लिया और अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका गला नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। इस विष की गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने उन्हें भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित किए, जिससे उनकी पीड़ा कम हुई। तभी से यह परंपरा बन गई कि भगवान शिव को भांग और धतूरा चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं।
भांग और धतूरा शिव को क्यों प्रिय हैं?
धतूरा एक विषैला पौधा है जिसे आमतौर पर जहरीला माना जाता है, लेकिन भगवान शिव को यह प्रिय है क्योंकि यह उनकी विष-धारण करने की शक्ति का प्रतीक है।भांग को शांतिदायक माना जाता हैऔर यह मन को स्थिर करने में मदद करता है, इसलिए इसे शिव को चढ़ाया जाता है। शिवजी को प्रकृति और जड़ी-बूटियों के देवता भी माना जाता है, इसलिए इन्हें प्राकृतिक रूप से उगने वाली यह चीजें अर्पित की जाती हैं।
भांग और धतूरा चढ़ाने से क्या लाभ होते हैं?
भांग को ध्यान और योग में सहायक माना जाता है, जिससे व्यक्ति का चित्त शांत रहता है। धतूरा को चढ़ाने से जीवन में आने वाली नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। आयुर्वेद में धतूरे का उपयोग विभिन्न औषधियों में किया जाता है, जो दर्द निवारक और विषहर गुणों से भरपूर होता है। वास्तु के अनुसार शिवजी को भांग अर्पित करने से व्यक्ति के विचारों में स्थिरता आती है और मानसिक तनाव कम होता है।
क्या हर कोई धतूरा और भांग का सेवन कर सकता है?
भांग और धतूरा दोनों ही अधिक मात्रा में सेवन करने पर हानिकारक हो सकते हैं। आयुर्वेद में इन्हें औषधीय रूप में ही प्रयोग करने की सलाह दी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन्हें भगवान शिव को अर्पित करने के लिए रखा गया है, न कि स्वयं सेवन करने के लिए।बस आप ॐ नमः शिवाय" का जाप करें और महादेव की कृपा प्राप्त करें।