महाकुंभ 2025: सिख धर्म के लोग क्यों पहुंच रहे हैं प्रयागराज, जानें निर्मल अखाड़े का महत्व

punjabkesari.in Sunday, Feb 02, 2025 - 05:34 PM (IST)

नारी डेस्क: प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ 2025 में न केवल हिंदू धर्म के अनुयायी बल्कि बड़ी संख्या में सिख धर्म के लोग भी शामिल हो रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि इतने अधिक सिख श्रद्धालु महाकुंभ में क्यों आ रहे हैं? इसके पीछे ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं इस विशेष कारण को।

महाकुंभ में सिख धर्म के 3 प्रमुख अखाड़े

महाकुंभ में कुल 13 प्रमुख अखाड़े होते हैं, जिनमें से 3 अखाड़े सिख परंपरा से जुड़े हुए हैं। ये अखाड़े निम्नलिखित हैं:

1. उदासीन बड़ा अखाड़ा

2. उदासीन नया अखाड़ा

3. निर्मल अखाड़ा

इनमें से उदासीन बड़ा अखाड़ा और उदासीन नया अखाड़ा की स्थापना गुरु नानक देव जी के बड़े पुत्र बाबा श्रीचंद जी ने की थी। ये अखाड़े उदासी संप्रदाय का पालन करते हैं और सिख धर्म का एक प्रमुख अंग माने जाते हैं। तीसरा अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा, गुरु गोबिंद सिंह जी के समय का है और वेदांतिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया था।

निर्मल अखाड़ा: हिंदू और सिख साधुओं का संगम

निर्मल पंचायती अखाड़ा उदासीन संप्रदाय से जुड़ा हुआ है और यह इकलौता अखाड़ा है, जहां हिंदू और सिख संतों का मिलन होता है। इसकी स्थापना 1862 में बाबा महताब सिंह जी द्वारा की गई थी। यह अखाड़ा गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं से प्रेरित है और यहां पर सभी भक्तों को समानता का अधिकार दिया जाता है। अखाड़े का मुख्य केंद्र हरिद्वार में स्थित है, लेकिन इसके अनुयायी पूरे भारत में फैले हुए हैं।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षाओं से प्रेरित अखाड़ा

निर्मल अखाड़े की स्थापना गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं पर आधारित थी। उन्होंने अपने अनुयायियों को आध्यात्मिकता के साथ-साथ समाज सेवा और धर्म रक्षा का भी निर्देश दिया था। यही कारण है कि निर्मल अखाड़े में धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया जाता है और सेवा भाव को प्राथमिकता दी जाती है।

निर्मल अखाड़े की खास विशेषताएं

धार्मिक अध्ययन

निर्मल अखाड़े के संत वेद, उपनिषद, पुराण और संस्कृत ग्रंथों के विद्वान होते हैं। यहां सुबह 4 बजे से गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है, जो इसे अन्य अखाड़ों से अलग बनाता है।

समानता और सेवा भाव

यह अखाड़ा सभी जाति, धर्म और वर्गों के लोगों को समान रूप से सम्मान देने में विश्वास करता है। समाज सेवा में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

युवाओं को नैतिक शिक्षा

निर्मल अखाड़ा नशा मुक्ति, नैतिकता और धार्मिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार में भी प्रमुख भूमिका निभाता है। यह युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देने के लिए विशेष प्रयास करता है।

निर्मल अखाड़ा: बिना शस्त्रों के रक्षा का संदेश

जहां अन्य अखाड़े पारंपरिक रूप से शस्त्र धारण करते हैं और युद्ध कौशल में निपुण होते हैं, वहीं निर्मल अखाड़ा शांति और आध्यात्मिक बल को अधिक महत्व देता है। इसके संत सरल और शांत जीवनशैली अपनाते हैं और गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं के अनुसार सेवा और परोपकार को प्राथमिकता देते हैं।

महाकुंभ में सिखों की भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण?

सिख धर्म के अनुयायियों की महाकुंभ में बढ़ती भागीदारी यह दर्शाती है कि धर्म और आस्था की कोई सीमा नहीं होती। यह हिंदू और सिख समुदाय के बीच धार्मिक एकता का प्रतीक भी है। निर्मल अखाड़े की उपस्थिति महाकुंभ को और भी खास बनाती है, क्योंकि यहां हिंदू और सिख संत एक साथ धर्म प्रचार और समाज सेवा के लिए कार्य करते हैं।

महाकुंभ 2025 न केवल हिंदू साधु-संतों के लिए बल्कि सिख समुदाय के लिए भी एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक आयोजन है। निर्मल अखाड़ा, उदासीन बड़ा अखाड़ा और उदासीन नया अखाड़ा सिख परंपरा से जुड़े होने के कारण, बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु प्रयागराज में इस महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। यह आयोजन भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं की समृद्धि और विविधता को दर्शाता है।
 
 

 

 
 


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Content Editor

Priya Yadav

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