महाकुंभ से गायब हुए IIT बाबा, घर में लड़ाई और 4 साल का रिलेशन, पढ़ाई में टॉपर Abhay Singh क्यों बने संन्यासी?

punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2025 - 08:44 PM (IST)

नारी डेस्कः इस समय पूरी दुनिया से लाखों-करोड़ों साधु संत महाकुंभ में पहुंच रहे हैं। बहुत से साधु-संत लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। आईआईटी बाबा अभय सिंह की भी इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर लगातार उनकी वीडियोज वायरल हो रही है। मीडिया से बात कर वह अपनी जिंदगी के बारे में बहुत सी बातें बता रहे हैं। आईआईटी बाबा किसी मुद्दे पर बात करते हुए हिचकते नहीं है, इसी के चलते तो लोग उन्हें दूर-दूर से मिलने पहुंच रहे हैं। उनकी गर्लफ्रैंड, नौकरी और परिवार के बारे में भी बहुत सी जानकारी सामने आ रही है लेकिन इसी बीच बाबा कही गायब हो गए हैं और वो कहां चले गए हैं किसी को कुछ पता नहीं। बाबा जूना अखाड़े के सोलह मणि आश्रम में रहते थे। इस बारे में उनके गुरू सोमेश्वर पुरी जी महाराज ने खुलासा किया है कि वो कहां गए इसकी कोई जानकारी नहीं है।

वहीं आज तक से बात करते हुए एक अन्य साधू ने बताया कि उनको अभिमान आ गया था कि लोग हमको बहुत पूछ रहे हैं, मिलने आ रहे हैं। उनको लगने लगा था कि मैं कुछ भी कर सकता हूं। एक साधु ने कहा, “अभय सिंह से कहा गया कि आप एक कंट्रोलर रखिए अपने साथ। आपके अंदर शक्ति तो है लेकिन उसे संभाल नहीं पा रहे हैं। वो किसी को गुरु मानने को तैयार नहीं थे।”

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बता दें कि कहा जा रहा है कि आध्यात्मिक स्तर पर बाबा अभय सिंह की स्थिति बहुत ऊपर है लेकिन उनके मुंह से कुछ ऐसी बातें भी निकली है जिससे जूना अखाड़े आश्रम पर भी इसका असर पड़ सकता था इसलिए उन्हें सबसे बड़े धर्माचार्य के पास भेज दिया गया है। इसके बाद वो कहां गए, इसकी कोई जानकारी नहीं है। अभय के पेरेंट्स भी उन्हें मिलने आश्रम गए थे लेकिन वो वहां से निकल चुके थे। बेटे से  मुलाकात नहीं हुई तो माता-पिता भी हारकर रोते हुए वहां से चले गए।

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उनके गुरू सोमेश्वर पुरी जी महाराज भी जूना अखाड़े के संत हैं और वहीं आईआईटी बाबा अभय सिंह को महाकुंभ में लेकर आए थे। उन्होंने ही बताया कि उन्हें बाबा अभय, वाराणसी में किस हाल मिले थे।सोमेश्वर पुरी मूल रूप से हैदराबाद के हैं। वह भारतीय वायुसेना से रिटायर्ड रह चुके हैं और उन्होंने बैंक में भी नौकरी की कर चुके हैं लेकिन अब वो संत जीवन बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभय सिंह उन्हें काशी में हुई थी। उनकी हालत फक्कड़ों वाली थी। जब वह मुक्त रूप में होते थे तो जोर-जोर से चिल्लाने लगते थे। वह खुद को कभी शिव-कभी कृष्ण कहते हैं। कपड़े आदि का भी ख्याल नहीं रहता था। कुछ लोग उन्हें पागल समझकर उनका सामान उठा लेते थे। फिर एक दिन अभय सिंह काशी स्थित जूना अखाड़ा उनके पास पहुंच गए। उन्होंने पहले अभय सिंह संत को समझाया तमाम संतों से मिलवाया जिसमें अघोरी भी शामिल थे। अभय सिंह के भविष्य को लेकर गुरू सोमेश्वर पूरी संत ने कहा कि जिस स्तर पर वह है उस स्थिति में खुद पर नियंत्रण रखना संंभव नहीं है लेकिन दीक्षा के बाद गुरु आशीर्वाद से उन्हें मार्गदर्शन मिलेगा। यहीं सोचकर वह उन्हें महाकुंभ लेकर आए हैं। वह काफी विद्वान हैं और निश्चित तौर पर वह आने वाले समय में एक बड़े संत बनेंगे। 

IIT अभय सिंह ग्रेवाल कैसे बन गए संन्यासी 

बहुत से लोग IIT बाबा उर्फ अभय सिंह ग्रेवाल के जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं कि लाखों की नौकरी करने वाला टॉपर साधु संन्यासी कैसे बन गया? चलिए आपको इस बारे में बताते हैं। अभय सिंह ग्रेवाल, हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित गांव सासरौली के रहने वाले हैं। यहां उन्होंने डीएच लारेंस स्कूल से टॉप किया था। अभय ने 12वीं के बाद एक साल का ड्रॉप लिया था ताकि वह आगे आईआईटी की तैयारी कर सकें। साल 2008 में उन्होंने एग्जाम क्लीयर किया और साल 2013 में वह डिजाइनिंग में मास्टर करते हैं। मुंबई IIT से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री ली। IIT में अभय ने 731वीं रैंक हासिल की थी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करने के बाद बाबा अभय सिंह ने 2021 में कनाडा का रुख किया, जहां वह अपनी बहन के साथ रहते थे। कनाडा में दो साल तक लाखों के पैकेज पर जॉब करने के बाद, कोरोना महामारी के दौरान वह भारत लौट आए क्योंकि लाखों की नौकरी करने के बाद भी उन्हें मन की शांति नहीं थी इसलिए वह साल 2021 में भारत वापिस आए लेकिन नौकरी के लिए मन की शांति के लिए..यहां आकर उन्होंने आध्याम से जुड़ी बहुत सी किताबें पढ़ी। 

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कहा जाता है कि उन्होंने 2000 किलोमीटर की पद यात्रा की और खुद को महादेव की शरण में पाया। बाबा ने तरक्की से लेकर डिप्रेशन तक सब देखा लेकिन आध्यम की राह पर जब वो पहुंचे तो उन्होंने कहा कि उन्हें ना तो आईटियन होना है और ना ही साधु-संत क्योंकि उनका मानना है कि कुछ ना होकर भी जो है वो ही शिव है।
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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आईआईटी बाबा ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान गर्लफ्रैंड और शादी के बारे में भी बात की। बाबा ने कहा कि उन्हें शुरू से शादी से डर लगता था और उन्हें शादी वादी नहीं करनी थी क्योंकि उन्होंने घर में पेरेंट्स को लड़ाई-झगड़ा करने वाला माहौल देखा था। तब वह सोचते थे कि उन्हें ये तो नहीं करना था क्योंकि रिश्ते कैसे निभाने हैं वो उन्होंने सीखा ही नहीं ना उन्हें घर में ऐसी कोई उदाहरण मिली। उनकी गर्लफ्रैंड भी थी जिसके साथ वह 4 साल तक रिलेशन में भी रहे लेकिन वह अटक गए कि उन्हें आगे क्या करना है। उन्हें सही मार्ग दर्शक ही नहीं मिला वो सोचते थे कि इसके बाद क्या  ...


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आईआईटी बाबा अभय सिंह ने परिवार का जिक्र करते हुए कहा कि उनके घर में काफी झगड़े होते थे। उनके माता-पिता आपस में लड़ा करते थे। इसके कारण उन्हें पढ़ाई में भी दिक्कत होती थी। उन्होंने बाद में इस विषय पर एक फिल्म भी बनाई। अभय सिंह बताते हैं कि वह चार वर्षों तक रिलेशनशिप में भी रहे हैं। अभय सिंह कहते हैं, 'फिल्म बनाने के बाद मैं ट्रामा में चला गया। इसके बाद मुझे कुछ भी महसूस ही नहीं होता था। मुझे शादी और परिवार का मन नहीं कर रहा था। मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को इसके बारे में बताया और हम दोनों अलग हो गए।' अभय सिंह ने कहा कि अब उसकी शादी हो चुकी है।

इंजीनियर बाबा ने एएनआई से कहा, "मैं हरियाणा से आता हूं। मैंने आईआईटी में दाखिला लिया। फिर इंजीनियरिंग से आर्ट्स में दाखिला लिया लेकिन वह भी काम नहीं आया। इसलिए मैं लगातार बदलाव करता रहा और बाद में मैं अंतिम सत्य पर पहुंचा।" उन्होंने कहा, "फिर मैंने खोजबीन शुरू की। संस्कृत कैसे लिखी और रची गई और संस्कृत को इतना खास क्या बनाता है। मेरे मन में ज्ञान की खोज थी। फिर यह बदल गया। फिर सवाल यह था कि दिमाग कैसे काम करता है और आप अवांछित विचारों से कैसे छुटकारा पाते हैं।"

'बेटे ने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया...'

हालांकि बहुत से इंटरव्यू बाबा के पिता के भी वायरल हो रहे हैं। अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह पेशे से वकील हैं और अभय उनका इकलौता बेटा है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी बाबा अभय से संपर्क करने के लिए कहती थी। उनकी मां उन्हें घर-गृहस्थी में वापिस आने को कहती है लेकिन बाबा अभय सिंह का कहना है कि साधु-संन्यासी बनने के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा। उनके पिता का कहना है कि वह भी चाहते हैं कि वो वापिस आ जाए लेकिन साथ में उन्होंने ये भी कहा कि उनकी वो स्टेज निकल गई है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा बहुत होशियार था हालांकि पिछले छह महीने से अभय ने अपने परिवार के सभी सदस्यों के मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिए हैं। 

बाबा ने बातचीत में यह भी बताया कि लोग उन्हें कई नामों से पुकारते हैं, लेकिन नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि मुझे भगवान शिव से 'कल्कि' नाम मिला है। यह नाम महादेव ने मुझे ऋषिकेश में बताया था।" बाबा के अनुसार, 'अगर कर्म ठीक हैं तो नाम अपने आप बन जाता है। लोग नाम देते हैं, अगर कर्म सही होते हैं, तो नाम खुद ही सामने आता है।' बाबा ने कहा कि कल्कि नाम के अलावा भी उन्हें कई नाम दिए गए थे। जब वह ऋषिकेश में थे, तो उन्हें राघव नाम भी दिया गया, जिसे उन्होंने राम का स्वरूप बताया। साथ ही, लोगों ने उन्हें माधव नाम भी दिया और वाराणसी में एक तांत्रिक ने उन्हें बटुक भैरव कहा था।


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Content Writer

Vandana

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