शत्रुओं पर विजय दिलाती है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, लंका जाने से पहले भगवान राम ने की थी स्थापना
punjabkesari.in Monday, Jun 12, 2023 - 11:52 AM (IST)
लंका पर विजय हासिल करने से लिए भगवान राम ने समुद्र का पास एक शिवलिंग बनाकर वहां पर भगवान शिव की पूजा की थी। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान राम ने उन्हें आशीर्वाद दिया था और आशीर्वाद देने के साथ ही श्रीराम जी से अनुरोध किया था कि जनकल्याण के लिए वह हमेशा यहां पर ज्योर्तिलिंग के रुप में निवास करें। इस प्रार्थना को भोलेनाथ ने स्वीकार करते हुए रामेश्वरम शिवलिंग में वास किया। ऐसे ही त्रेतायुग में रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना की थी।
शिवलिंग की स्थापना के पीछे है एक और कहानी
इस शिवलिंग की स्थापित करने के पीछे एक और कहानी भी काफी प्रचलित है। माना जाता है कि जब भगवान राम लंका पर विजय हासिल करके वापिस आ रहे थे तो उस समय उन्होंने गंधमादन नाम के पर्वत पर विश्राम किया था इस पर्वत पर ऋषि मुनियों ने श्रीराम को बताया था कि रावण एक ब्राह्मण है। उसका वध करने के कारण उन पर ब्रह्महत्या का दोष लगा है। ऐसे में इस शिवलिंग की स्थापना के साथ ही वह दोष दूर हो सकता है।
हनुमान जी ने किया शिवलिंग स्थापित
भगवान राम जी ने शिवलिंग की स्थापना के लिए हनुमान जी को शिवलिंग लाने के लिए कहा। मगर कैलाश पर्वत पर पहुंचकर हनुमानजी को भगवान शिव नजर ही नहीं आए ऐसे में वह भोलेबाबा को प्रकट करने के लिए वहां पर खड़े होकर तपस्या करने लगे। वहीं दूसरी ओर रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना का शुभ मुहूर्त भी निकला जा रहा था। हनुमान जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शिवलिंग प्रदान किया। परंतु तब तक माता सीता मुहूर्त निकल जाने के डर के कारण मिट्टी का शिवलिंग स्थापित कर चुकी थी।
शिवलिंग उखाड़ते हुए हनुमान जी हुए बेहोश
जब हनुमान जी शिवलिंग लेकर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि शिवलिंग वहां पर पहले से स्थापित है इसे देखकर हनुमान जी बहुत ही आहत हुए। भगवान राम ने उन्हें बहुत समझाने का प्रयास किया परंतु वह संतुष्ट नहीं हुए। इस पर श्रीराम ने हनुमान जी को कहा कि आप इस शिवलिंग को उखाड़ दें मैं आपके द्वारा लाया गया शिवलिंग यहां पर स्थापित कर दूंगा परंतु हनुमान जी इतने बलशाली होते हुए भी शिवलिंग नहीं उखाड़ पाए और बेहोश होकर गंधमादन नामक पर्वत पर गिर गए। बाद में जैसे हनुमान जी होश में आए तो उन्होंन देखा कि भगवान राम ने उनके द्वारा स्थापित किए गए शिवलिंग को उसके पास ही स्थापित कर दिया है और इस शिवलिंग का नाम हनुमदीश्वर रखा गया।
ये है मंदिर की मान्यता
सावन के महीने में रामेश्वरम मंदिर में जलाभिषेक करने का बहुत ही महत्व बताया गया है। माना जाता है कि सावन के महीने में इस शिवलिंग की विधि-विधान के साथ पूजा करने से ब्रह्महत्या जैसा दोष दूर होता है। इसके अलावा रामेश्वर शिवलिंग को दक्षिण भारत का काशी भी कहते हैं। यहां की धरती को भी भोलेनाथ और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कृपा से मोक्ष देने का आशीर्वाद मिला हुआ है।