मुस्लिम परिवारों मनाई गई ईको फ्रेंडली बकरीद, केक पर बकरे की फोटो लगाकर दी कुर्बानी

punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 03:11 PM (IST)

नारी डेस्क: बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का त्योहार आमतौर पर कुर्बानी के साथ जुड़ा होता है। लेकिन इस बार गाजियाबाद के लोनी विधानसभा क्षेत्र में कुछ ऐसा हुआ जो पूरे देश के लिए एक नई मिसाल बन गया है। यहां कई मुस्लिम परिवारों ने परंपरागत तरीके से जानवर की कुर्बानी करने की बजाय केक पर बकरे की फोटो लगाकर सांकेतिक रूप में बकरीद मनाई।

विधायक नंदकिशोर गुर्जर की अपील से हुई यह खास पहल

इस अनोखी पहल के पीछे लोनी के विधायक नंदकिशोर गुर्जर की अपील थी। उन्होंने क्षेत्र के लोगों से कहा था कि इस बार बकरीद को पर्यावरण की सुरक्षा और स्वास्थ्य की चिंता करते हुए ईको-फ्रेंडली तरीके से मनाएं।

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उनकी इस अपील का असर साफ नजर आया, जब कई मुस्लिम परिवारों ने जानवरों की कुर्बानी न करने का फैसला किया और केक पर बकरे की तस्वीर लगाकर त्योहार मनाया।

परिवारों का बयान

लोनी के कई मुस्लिम परिवारों ने बताया कि इस बार उन्होंने बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी न करके विधायक नंदकिशोर गुर्जर की सलाह मानी। उन्होंने कहा कि वे विधायक को अपना आदर्श मानते हैं और उनका यह सुझाव समाज के लिए और पर्यावरण के लिए बहुत अच्छा है।

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विधायक नंदकिशोर गुर्जर का बयान

विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने इस मौके पर एक बड़ा बयान भी दिया। उन्होंने कहा, “मोहम्मद साहब शाकाहारी थे। उन्होंने मांस से बीमारियों के फैलने और दूध को शिफा बताया था। जो मुस्लिम इस बात को नहीं मानते और मांस की कुर्बानी करते हैं, वे इस्लाम और मोहम्मद साहब के दुश्मन हैं।” उनके इस बयान ने समाज में नए विमर्श को जन्म दिया है।

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उन्होंने बताया कि कई देशों में अब परंपरागत कुर्बानी पर रोक लगाई जा चुकी है। उदाहरण के तौर पर मोरक्को के प्रधानमंत्री ने भी इस बार कुर्बानी पर प्रतिबंध लगाया है। विधायक ने कहा कि “गाजियाबाद के मुसलमानों ने यह साबित कर दिया है कि धर्म और परंपरा को आधुनिक सोच और पर्यावरण की चिंता के साथ जोड़ा जा सकता है।”

बच्चों और महिलाओं की खुशी

लोनी के कई घरों में जब केक काटकर सांकेतिक कुर्बानी दी गई तो बच्चों में खास उत्साह देखा गया। बच्चों ने कहा कि इस तरीके से वे भी खुशी-खुशी त्योहार मना सके और किसी जानवर को नुकसान भी नहीं पहुंचा। महिलाओं ने भी इस नए तरीके को साफ-सुथरा, सुरक्षित और आपसी सौहार्द बढ़ाने वाला बताया।

ईको-फ्रेंडली बकरीद के फायदे

स्वास्थ्य: मांस से फैलने वाली बीमारियों से बचाव होता है।

पर्यावरण: जानवरों के कटने से होने वाले जैव प्रदूषण को रोका जा सकता है।

समाज: इससे सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश मिलता है।

विधायक का सुझाव

नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि अगर देश के बाकी जिलों में भी इसी तरह से बकरीद मनाई जाए, तो इससे बीमारियों और पर्यावरण संकट से काफी हद तक बचा जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे इस सोच को अपनाएं और त्योहारों को पर्यावरण के अनुकूल बनाएं।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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