अब Diamonds नहीं है महिलाओं की पहुंच से परे! लैब डायमंड हैं इको फ्रेंडली और बजट में भी

punjabkesari.in Monday, Jun 05, 2023 - 11:32 AM (IST)

किसी ने सही कहा है कि 'ए डायमंड इज वूमन बेस्ट फ्रेंड'! उनकी विशलिस्ट में डायमंड रिंग, सेट या ईयररिंग न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। लेकिन फिर हीरे की जितनी डिमांड है, उससे भी कहीं ज्यादा है उनकी कीमत। मिडिल क्लास फैमिली तो इसके बारे में सोच भी नहीं सकती।  पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं लैब में बने एकदम रियल हीरों के बारे में, जी हां, आपको शायद पता न हो लेकिन अब हीरे को लैब में बनाया जा सकता है। उन्हें 'लैब ग्रोन डायमंड्स' भी कहा जाता है। लैब ग्रोन डायमंड्स या LGDs, दिखने में  असली डायमंड्स की तरह ही होते हैं। 

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100% असली होते हैं लैब ग्रोन डायमंड

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये प्रक्रिया भी टेस्ट ट्यूब बेबी और नेचुरल बोर्न बेबी के समान है, जहां विकसित करने की प्रक्रिया अलग होती है लेकिन एन्ड रिजल्ट एकदम समान है। लैब ग्रोन डायमंड्स 100%  असली हैं और इन्हें कटिंग-एज तकनीक से लैब में बनाया जाता है। लेकिन केमिकली और फिजिकली ये नेचुरल डायमंड के समान है।  खनन किए गए हीरे कई सालों तक प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की सतह के नीचे बनते हैं, जबकि LGD को दो प्रक्रियाओं के माध्यम से केवल कुछ हफ्तों की अवधि में प्रयोगशाला में बनाया जा सकता है, हाई प्रेशर- हाई टेम्प्रेचर (HPHT) या केमिकल वेपर डिपोजिशन (CVD)।

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सबसे अच्छी बात है कि लोगों के बीच LGDs के बारे में जागरुकता बढ़ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में भी हर साल लगभग 30 लाख लैब ग्रोम डायमंड्स बनाए जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये भी है कि ये मैन-मेज डायमंड, प्राकृतिक डायमंड्स की तुलना इको-फ्रेंडली भी हैं। वहीं एक्सपर्ट्स भी लैब डायमंड को Future बता रहे हैं। इसके पीछे 3 वजहें हैं। आइए आपको भी बताते हैं इसके बारे में....

1. जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं कि लैब डायमंड भी प्राकृतिक डायमंड जैसे ही असली होते हैं। दरअसल लैब डायमंड को प्राकृतिक डायमंड के सीड से बनाया जाता है। तो दोनों की Properties सेम ही होती हैं।

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2. क्योंकि इनमें प्राकृतिक डायमंड की तरह ही   physical और optical Properties   होती हैं तो वो चमकते भी प्राकृतिक डायमंड की तरह ही हैं।
3.वहीं कई बाड़ी कंपनियां भी अब लैब ग्रोन डायमंड में इन्वेस्ट कर रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि ये इको-फ्रेंडली और सस्ते होते हैं। लेकिन सस्ता होने का मतलब ये नहीं है कि इन हीरों की क्वालिटी कम है। ब्लकि ये सस्ते इसलिए हैं क्योंकि इन्हें बनाने की प्रक्रिया, प्राकृतिक हीरों की प्रक्रिया में बहुत कम समय लेती है और इसमें कम लोगों की मेहनत लगती है।

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वहीं प्राकृतिक हीरों को पहले खनन करके निकाला जाता है, फिर तराश कर साफ करके इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन लैब में ये प्रक्रिया थोड़ी छोटी हो जाती है। इसलिए लैब वाले हीरों की कीमत नेचुरल हीरों से 60-70%  तक कम होती है।


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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