क्यों बॉलीवुड और साउथ इंडस्ट्री में कासवु साड़ी बनी फैशन का नया ट्रेंड?
punjabkesari.in Monday, Jun 23, 2025 - 12:44 PM (IST)

नारी डेस्क: हर राज्य की अपनी एक खास साड़ी होती है, जो वहां की संस्कृति और परंपरा को दर्शाती है। केरल की प्रसिद्ध कासवु साड़ी भी ऐसी ही एक खूबसूरत और पारंपरिक साड़ी है, जो पूरे भारत में पहचानी जाती है। खासतौर पर केरल के त्योहारों और खास मौकों पर महिलाएं इसे पहनती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सफेद रंग की इस साड़ी में गोल्ड बॉर्डर का क्या मतलब है और इसकी खासियत क्या है?
कासवु साड़ी का मतलब और इतिहास
कासवु साड़ी का नाम ‘कासवु’ शब्द से आया है, जिसका अर्थ होता है ‘जरी’ यानी कि साड़ी के किनारों पर सोने के धागे से बनी सजावट। इसलिए इस साड़ी का गोल्ड बॉर्डर उसे खास बनाता है। केरल में पुरुष धोती पहनते हैं, जिसे ‘कासवु मुंडू’ कहा जाता है, जिसका मतलब होता है जरी वाला धोती।
कासवु साड़ी की शुरुआत महाराजा बलराम वर्मा और उनके मंत्री उम्मिनी थम्पी के ज़माने में हुई थी। उन्होंने तमिलनाडु के बुनकरों को केरल बुलाकर बलरामपुरम में इस साड़ी को बनवाना शुरू किया। आज भी बलरामपुरम इस साड़ी के लिए बहुत मशहूर है और इसे बनाना एक पारंपरिक विरासत माना जाता है।
कासवु साड़ी इतनी कीमती क्यों होती है?
इस साड़ी के गोल्ड बॉर्डर को बनाने में महीन सोने के धागों का इस्तेमाल होता है, जिन्हें बारीकी से साड़ी के किनारों पर बुना जाता है। इसलिए इसकी कीमत लाखों तक हो सकती है। हालांकि अब समय के साथ इसे सस्ते धागों से भी बनाया जाता है, जिससे इसकी कीमत कम हो जाती है।
ये भी पढ़ें: ब्लाउज से पहले क्या था फैशन? जानिए क्यों बदला महिलाओं का पहनावा
सफेद रंग और गोल्ड बॉर्डर की खासियत
कासवु साड़ी का सफेद रंग शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है, जबकि गोल्ड बॉर्डर धन और समृद्धि का संकेत देता है। इसीलिए केरल की महिलाएं इसे खासतौर पर शादी, त्योहार और धार्मिक अवसरों पर पहनती हैं। यह साड़ी सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी मानी जाती है।
बनाने में कितना समय लगता है?
कासवु साड़ी बनाने में लगने वाला समय इसके डिज़ाइन पर निर्भर करता है। साधारण साड़ी को बनाने में 3 से 5 दिन लग जाते हैं, जबकि जो साड़ी ज्यादा जटिल और डिज़ाइन वाली होती है, उसे पूरा करने में महीनों लग सकते हैं। बड़े कारीगरों की मेहनत से ही ये साड़ियां खास बनती हैं।
फैशन और स्टाइल में कासवु साड़ी
बॉलीवुड और साउथ इंडस्ट्री की कई अभिनेत्रियां भी इस साड़ी को खास मौके पर पहनती हैं, क्योंकि यह साड़ी बिना ज्यादा सजावट के भी बहुत खूबसूरत और शाही लगती है। सफेद और गोल्ड का कॉम्बिनेशन बेहद क्लासी और स्टाइलिश होता है। पहले कासवु साड़ी प्लेन और सिंपल होती थी, लेकिन अब इसके डिज़ाइन में कई नए पैटर्न और ट्विस्ट भी देखने को मिलते हैं।
केरल की कासवु साड़ी सिर्फ एक साड़ी नहीं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा की मिसाल है। सफेद रंग की शुद्धता और गोल्ड बॉर्डर की चमक इसे खास अवसरों के लिए परफेक्ट बनाती है। यह साड़ी महिलाओं के लिए सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक भी है, इसलिए यह हर महिला की पहली पसंद होती है।