बौद्ध पूर्णिमा: इन कारणों से हिंदू और बौद्ध धर्म में है इस दिन का विशेष महत्व
punjabkesari.in Tuesday, May 25, 2021 - 06:20 PM (IST)
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि बेहद ही खास मानी जाती है। वहीं वैशाख शुक्ल में आने वाली पूर्णिमा का हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों में विशेष महत्व है। असल में, बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, इसी शुभ तिथि (वैशाख पूर्णिमा) पर महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। ऐसे में यह बुद्ध पूर्णिमा भी कहलाती है। इसलिए इस दिन को हिंदू व बौद्ध धर्म के लोग बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। वहीं इसे मनाने के मुख्य 6 कारण माने गए है।
तो चलिए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा मनाने के उन 6 कारणों के बारे में...
1. महात्मा बुद्ध का जन्म
बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए यह दिन बेहद और खास है।
2. महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति
माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया था। तब उन्होेंने बिहार के गया स्थान पर एक पीपल वृक्ष के नीचे 6 वर्ष तक कठिन तपस्या की। इसी पेड़ के नीचे इस शुभ दिन पर भगवान बुद्ध को सत्य के ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान का प्रकाश पूरी दुनिया में फैलाकर लोगों में एक नई रोशनी जागृत की।
3. महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण
इसी के साथ माना जाता है कि महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। माना जाता है कि गौमत बुद्ध् ने कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में शरीर का त्याग किया था। ऐसे में महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण एक ही दिन यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन होने से यह दिन बौद्ध अनुयायियों द्वारा बेहद पूजनीय है।
4. भगवान विष्णु का 9वां अवतार
वहीं हिंदू ग्रंथों के अनुसार महात्मा बुद्ध भगवान विष्णु के 9वें अवतार थे। इसलिए इस शुभ दिन पर लगो श्रीहरि की पूजा व व्रत रखते हैं। साथ ही इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ शुभ माना जाता है।
5. सत्यव्रत पूर्णिमा से सुदामा हुए धनवान
बता दें, बुद्ध पूर्णिमा को हिंदू धर्म में वैशाख व सत्यव्रत पूर्णिमा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा से पूर्णिमा का व्रत रखने को कहा था। फिर इस व्रत के प्रभाव से सुदामा की दरिद्रता दूर हो गई थी। ऐसे में माना जाता है कि यह व्रत व विधि-विधान से श्रीहरि की पूजा करने से धन संबंधी समस्या दूर होती है।
6. धर्मराज की पूजा से अकाल मृत्यु से मुक्ति
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सत्यव्रत पूर्णिमा यानी बुध पूर्णिमा का व्रत रखने के साथ धर्मराज की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
भारत के साथ-साथ इन देशों में भी मनाई जाती है बुद्ध जयंती
गौतम बुद्ध के अनुयायी भारत के साथ विदेशोें में भी है। ऐसे में बुद्ध जयंती के दिन भारत के साथ-साथ चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया आदि के लोग भी बुद्ध पूर्णिमा को खासतौर पर बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। भारत के बिहार में स्थित बोद्ध गया बुद्ध के अनुयायियों के साथ हिंदुओं द्वारा भी पूजनीय स्थल है। इसके साथ ही कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगभग एक महीने तक मेला भी आयोजित होता है। मगर इस साल कोरोना के कारण लॉकडाउन के कारण हो सकता है कि मेला ना हो। श्रीलंका जैसे कई देशों में इस दिन को वैशाख उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन अपने-अपने घरों को खासतौर पर सजाकर दीपक जलाकर रोशनी करते हैं। साथ ही इस शुभ दिन पर बौद्ध धर्म के ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है।