अब तेजी से क्यों आ रहा है गॉल ब्लैडर का अटैक, जानिए बचाव
punjabkesari.in Thursday, Sep 24, 2020 - 02:31 PM (IST)
गलत जीवनशैली और खान-पान के चलते आजकल हर 8 में से 3 व्यक्ति किसी ना किसी समस्या का सामना कर रहा है। इसी के चलते बहुत से लोगों को पित्ताशय में पथरी के अलावा कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं पित्ताशय में पथरी के कारण तेज दर्द, तिल्ली में सूजन, इंफैक्शन, यहां तक की कैंसर का खतरा भी रहता है। रिपोर्ट के अनुसार, बुजुर्गों और महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है।
क्या होता है पित्ताशय का काम?
लीवर के नीचे स्थित पित्ताशय की थैली जरूरी बाइल एंजाइम को स्टोर करती है, जिसका उत्पादन लिवर द्वारा होता है। इसके बाद पित्ताशय फैट को तोड़ने का काम करता है और फिर उसे छोटी आंत तक पहुंचाता है, ताकि खाया-पिया पच सके।
क्या होता है पित्ताशय अटैक?
जब पित्ताश्य में से बाइल बाहर निकाल पाता तो वह वहीं धीरे-धीरे जमा होने लगता है, जिससे अटैक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके कारण सूजन और जलन होने लगती है।
पित्ताशय अटैक के कुछ लक्षण
. पेट के उपरी व दाहिने हिस्से में तेज दर्द
. आंखो में पीलापन
. गहरे पीले रंग का यूरिन आना
. सामान्य बुखार
पित्ताशय अटैक के कारण
गालस्टोन यानि पथरी की समस्या
ज्यादा पित्ताशय में अटैक कारण पथरी बनती है। कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने की वजह से बाइल में क्रिस्टल जैसे छोटे-छोटे पदार्थ बनने लगते हैं, जो इकट्ठे होकर पथरी बन जाते हैं। यह मटर के दाने जितना छोटा और एक गोल्फ बॉल जितना बड़ा भी हो सकता है, जिसे गालस्टोन कहा जाता है।
किन महिलाओं को अधिक खतरा
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी या बर्थ कंट्रोल पिल्स का अधिक सेवन करने वाली महिलाओं को इसका अधिक खतरा है। दरअसल, इससे शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे पित्ताशय अटैक हो सकता है। इसके अलावा प्रेगनेंसी में भी एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने से इसकी संभावना अधिक रहती है।
ये भी हैं कारण
. आनुवांशिक
. इसके अलावा सूजन, जलन व ट्यूमर के कारण भी पित्ताशय अटैक का संभावना बढ़ जाती है।
. गलत खान-पान, अधिक कैलोरी या तला हुआ भोजन लेने से भी इसका खतरा रहता है।
. ओवरवेट के कारण भी पित्ताशय में समस्याएं हो सकती हैं।
. 40 की उम्र के बाद भी इसकी संभावना अधिक रहती है क्योंकि इस उम्र में हार्मोन्स का स्तर उपर-नीचे होता रहता है।
. कोलेलिस्टाइटिस संक्रमण होने के कारण
कैसे लें डाइट
. अधिक से अधिक गुनगुना पानी पीएं। साथ ही नारियल पानी, जूस आदि लेते रहें।
. बेक्ड, जंक, प्रोस्सेड फूड्स, कॉफी , हाई कैलोरी, हाई फैट डेयरी उत्पाद, मीठी चीजों का कम से कम सेवन करें।
. मौसमी फल, सब्जियां अधिक खाएं। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल बनाने वाली चीजों का कम सेवन करें।
. कैल्शियम फूड्स भी लिमिट में ही लें।
इस समस्या से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें और एक्सरसाइज व योग को अपनी रूटीन का हिस्सा बनाएं। इसके साथ ही वजन को कंट्रोल में रखें।