वैदिक मंत्रोच्चार, भस्म का श्रृंगार'' , महिलाओं की एंट्री बैन...  महाकाल की भस्म आरती के 10 मिनट की पूरी कहानी जाने यहां

punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 12:47 PM (IST)

नारी डेस्क: "राख है देह का अंतिम सत्य"  यह वाक्य महाकाल की भस्म आरती की गहराई को दर्शाता है। उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती दुनिया की सबसे अनोखी आरती मानी जाती है। आज 'सावन' महीने के पहले दिन यहां पवित्र भस्म आरती की गई। सुबह-सुबह होने वाले इस अनुष्ठान को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए, जिसे बहुत दिव्य माना जाता है। इस आरती में 10 मिनट तक महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। 


शंख, घंटियों और भजनों की ध्वनि से गूंज उठा  महाकालेश्वर मंदिर 

सुबह-सुबह मंदिर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शंख, घंटियों और भजनों की ध्वनि से गूंज उठा। 'सावन' हिंदू चंद्र कैलेंडर का पांचवां महीना है और इसे सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। आज भगवान महाकालेश्वर मंदिर के कपाट आज सुबह 3:00 बजे खोल दिए गए...परंपरागत रूप से पूजा का समय 4 से 6 बजे तक होता है...लेकिन पिछले कई वर्षों से मंदिर के कपाट एक घंटा पहले, सुबह 3:00 बजे खोले जा रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक शिवभक्त भगवान महाकाल के दर्शन कर सकें...आज भगवान को 'विजय श्रृंगार' से सजाया गया और भगवान शिव ने आज अपने भक्तों को 'चंद्रमौलिश्वर' के रूप में दर्शन दिए। चंद्रमौलिश्वर भगवान शिव से जुड़ा एक नाम है, जिसका अर्थ है "वह भगवान जो चंद्रमा को मुकुट के रूप में धारण करते हैं।"

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भस्म आरती देखने दूर- दूर से पहुंचे भक्त

 सभी अनुष्ठानों और पंचामृत पूजा के बाद, भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई और बाद में मंगला आरती की गई। इस भस्म आरती के दौरान, पुजारी सभी शिव भक्तों के अच्छे स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं... कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं और देश भर के सभी पवित्र शिवलिंगों में, विशेष रूप से ज्योतिर्लिंगों में विराजमान होते हैं। यह नजारा विशेष रूप से अवंतिका (उज्जैन), महाकाल में दिखाई देता है, जहां भगवान महालक्ष्मी दक्षिणमुखी हैं। 


 क्या चिता की ताजी राख से होती है भस्म आरती?

पुरानी मान्यता के अनुसार पहले महाकाल को ताजी चिता की भस्म यानी अंत्येष्टि की राख से आरती की जाती थी। यह दर्शाता है कि मृत्यु के बाद शरीर भस्म हो जाता है और केवल आत्मा शाश्वत है। यह वैराग्य और मोक्ष का प्रतीक है।अब गोबर से बनी धूप की भस्म या औषधीय जड़ी-बूटियों की भस्म से यह आरती की जाती है। प्रशासन और परंपरा की मर्यादा को देखते हुए चिता की भस्म का उपयोग अब प्रतीकात्मक है।

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 महिलाओं को क्यों नहीं मिलती एंट्री?

यह माना जाता है कि भस्म आरती के दौरान भगवान शिव नग्न रूप में विराजमान होते हैं। अतः परंपरा के अनुसार केवल पुरुषों को ही इस आरती में भाग लेने की अनुमति है। यह आरती शिव के रौद्र और त्यागमयी स्वरूप की आराधना है, जिसमें सांसारिक मोह माया का त्याग दिखाया जाता है। हालांकि महिलाएं मंदिर के गर्भगृह से बाहर रहकर अन्य स्थानों से दर्शन कर सकती हैं, पर आरती स्थल में सीधी भागीदारी वर्जित है।


 भस्म आरती होती कब है?

 यह आरती रोज़ाना तड़के ब्रह्म मुहूर्त में लगभग 4 बजे की जाती है। आरती के पहले भगवान को जल, दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से स्नान कराकर भस्म से श्रृंगार किया जाता है। आरती में भाग लेने के लिए   रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है जो मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या काउंटर से पास लिया जा सकता है। इस दौरान  मोबाइल, कैमरा और चमड़े के वस्त्र निषिद्ध हैं। यह आरती मृत्यु का स्मरण कराती है और व्यक्ति को अहंकार से मुक्त करती है। साथ ही यह शिव भक्तों के लिए अद्वितीय ऊर्जा और भक्ति का स्रोत मानी जाती है।


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vasudha

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