गालियां दी, बेल्ट से पीटा, जख्म पर नमक छिड़के... साध्वी पर हुए जुल्मों की कहानी सुन आंखों में आंसू आ जाएंगे
punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 12:24 PM (IST)

नारी डेस्क: महाराष्ट्र के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव शहर में हुए विस्फोट मामले के लगभग 17 साल बाद फैसला आ गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत सातों आरोपी बरी कर दिए हैं। विशेष एनआईए अदालत ने कहा है कि ब्लास्ट में इस्तेमाल बाइक के साध्वी प्रज्ञा के होने के सबूत नहीं है। मालेगांव में 2008 में हुए इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक व्यक्ति घायल हो गए थे।

क्या था मामला
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर तथा लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया था। मामले की जांच करने वाले राष्ट्रीय अन्वेष्ण अभिकरण (एनआईए) ने आरोपियों के लिए “उचित सजा” की मांग की था। मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर एक कस्बे में 29 सितंबर 2008 को मस्जिद के पास खड़ी एक मोटरसाइकिल से बंधा विस्फोटक उपकरण फट गया, जिसमें छह लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए थे। एनआईए ने इस मामले में दी अपनी अंतिम दलील में कहा था कि षड्यंत्रकारियों ने मालेगांव विस्फोट की साजिश मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों में डर फैलाने, आवश्यक सेवाओं को बाधित करने, साम्प्रदायिक तनाव फैलाने और राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए रची थी।
प्रज्ञा ठाकुर की कहानी
मालेगांव बम धमाके में नाम आने के बाद सुर्खियों में आई साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने जेल के दिनों को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने बताया कि करीब 9 साल जेल में रहते हुए उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से यातनाएं दी गईं थी। एक टीवी इंटरव्यू में साध्वी प्रज्ञा ने दावा किया था कि एटीएस अधिकारियों ने उन्हें बेल्ट से पीटा, और वो भी पूरी-पूरी रात। इतना ही नहीं शाकाहारी होते हुए भी, उन्हें अंडा खाने के लिए मजबूर किया गया था। गुनाह कबूल करवाने के लिए हमें उल्टा लटका दिया जाता था, निर्वस्त्र करने की धमकी दी जाती थी। उन्होंने बताया- पुलिस तब तक पट्टे से पीटती थी जब तक शरीर से खून न निकलने लगे, इसके बाद इसी घाव पर नमक छिड़क दिया जाता था।

प्रज्ञा ठाकुर ने सुनाया था अपना दर्द
प्रज्ञा ठाकुर फिलहाल एक राजनीतिक पार्टी से सांसद हैं और उन्होंने अपने जेल अनुभव को कई बार सार्वजनिक मंचों पर साझा किया है। हालांकि, इन आरोपों को लेकर सरकारी एजेंसियों की ओर से अलग-अलग बयान सामने आते रहे हैं। साध्वी ने एक बार रोते हुए कहा था- , ‘‘जब मुझे गैर कानूनी तरीके से लेकर गये तब 13 दिन तक रखा। पहले ही दिन बिना कुछ पूछे हुए उन्होंने मुझे बुलाया। ढेर पुलिस थी और पीटना शुरू किया’’ । उन्होंने कहा- ‘‘पुलिस वाले जो बेल्ट मारते थे, पूरा ‘नर्वस सिस्टम’ (तंत्रिका तंत्र) ढ़ीला पड़ जाता था, सुन्न पड़ जाता था। ये दिन-रात चलता था। इतनी गंदी-गंदी गाली देते थे कि कोई स्त्री सुन न सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपके सामने अपनी पीड़ा नहीं बता रही हूं। लेकिन इतना बता रही हूं कि और कोई बहना कभी भी इसके बाद इस पीड़ा का सामना न कर सके।’’
इस तरह आया प्रज्ञा ठाकुर का नाम
मालेगांव में ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 में हुआ था। ब्लास्ट के लिए बम को मोटर साइकिल में लगाया गया था। प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी का आधार ब्लास्ट में उपयोग की गई मोटर साईकिल थी। यह मोटर साईकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम रजिस्टर्ड थी। वह लगभग नौ साल से जेल में रही थी। मध्यप्रदेश के ही देवास में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक सुनील जोशी की हत्या में भी प्रज्ञा ठाकुर का नाम जोड़ा गया। इस मामले में बयान देने के लिए जब वह मुंबई से देवास लाई गईं थीं, तब उनकी हालत बेहद खराब थी। जज को उनके बयान उसी एंबुलेंस के पास जाकर लेना पड़े, जिससे वे कोर्ट लाई गईं थीं।