बुलंद इरादे: पिता की हुई मौत और मां रहती हैं बीमार, पढ़ाई ना छूटे इसलिए टी स्टॉल लगाती है खुशी
punjabkesari.in Thursday, Mar 25, 2021 - 02:30 PM (IST)
आज कल हर किसी को कोई न कोई समस्या है। कईं लोग इससे लड़ जाते हैं तो कईं निराश होकर अपनी पूरी जिंदगी गुजार देते हैं। इस बात में तो कोई शक नहीं है कि आज हर किसी को पैसे की कोई न कोई समस्या जरूर है। किसी के पास काम नहीं है तो कईं छोटा समझ कर काम करना नहीं चाहता ताकि उनकी सेल्फ रिस्पेक्ट पर कोई बात न आए लेकिन इस बात को हमेशा याद रखिए कि खुद के लिए और अपने परिवार के लिए आपको कईं बार वो बलिदान भी देने पड़ते हैं जिनके बारे में शायद आपने सोचा भी नहीं होता है। आज हम आपको जिस लड़की की कहानी के बारे में बता रहे हैं वह युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
इलाहाबाद की खुशी की कहानी
दरअसल हम जिस लड़की की बात कर रहे हैं वह इलाहाबाद की रहने वाली हैं। खुशी के पिता नहीं हैं और पिता के बाद उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए टी स्टॉल लगाना पड़ा। खुशी की जगह कोई और होता तो वह इस मुश्किल समय में रोता, अपनी किस्मत को कोसता लेकिन खुशी ने रोने की बजाए इन हालातों से लड़ने का मन बनाया।
मां की भी तबीयत नहीं रहती ठीक
बता दें कि खुशी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा हैं। उनकी जिंदगी में सब कुछ काफी चल रहा था लेकिन फिर एक दिन उनके पिता इस दुनिया को अलविदा कह गए। इसका असर उनकी जिंदगी पर काफी पड़ा। पिता के जाने के बाद मां की भी तबीयत खराब रहने लगी। एक तरफ पिता को खोने का गम तो वहीं दूसरी तरफ मां की सेहत की चिंता लेकिन फिर भी खुशी ने अपना साहस बरकरार रखा।
पढ़ाई न पड़ जाए पीछे इसलिए खोला टी स्टॉल
खुशी हमेशा से पढ़ाई में अच्छी और आगे रहीं। पिता की मौत के बाद पढ़ाई बंद हो जाने का डर खुशी को था। इसलिए उन्होंने टी स्टॉल खोल लिया। खुशी ने यह काम इसलिए किया ताकि उनकी पढ़ाई जारी रहे। वह इससे जो भी पैसे कमाती हैं उससे परिवार का खर्च भी उठाती हैं।
शाम के वक्त लगाती हैं स्टॉल
खुशी की इस दुकान का नाम स्टूडेंट टी पॉइंट है। वह दिन में सारा काम खत्म कर टी स्टॉल लगाती हैं और शाम को तकरीबन 3 से 4 घंटे तक काम करती हैं और चाय बेचती हैं। खुशी का सफर तो काफी मुश्किल हैं लेकिन इस सफर में उनके दोस्त उनका हमेशा साथ देते हैं। ताकि वह ऐसे समय में अकेली महसूस करें।
IAS ज्वॉइन करने का है सपना
खुशी का आने वाले समय के लिए एक ही सपना है कि वह IAS या फिर PCS ज्वॉइन करें। खुशी का अपनी जिंदगी में एक ही उद्देश्य है कि वह आगे बढ़े। वाकई खुशी आज सभी के लिए एक मिसाल है। खासकर उन लोगों के लिए जो जिंदगी में जल्द ही हार मान जाते हैं और हालातों से लड़ने की बजाए खुद को कमजोर बना लेते हैं।