नए वर्ल्ड चैम्पियन बने D Gukesh  , बेटे को शतरंज का बादशाह बनाने के लिए पिता ने अपना करियर लगाया दांव पर

punjabkesari.in Friday, Dec 13, 2024 - 11:40 AM (IST)

नारी डेस्क: भारत के डी गुकेश पर आज पूरे देश को गर्व है। भारत का इस बेटे ने 14 बाजियों के मैच में चीन के डिंग लिरेन को हराकर शतरंज में सबसे युवा विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया।चैंपियन बनने का गौरव हासिल करने वाले डी गुकेश को ऐसे माता-पिता ने पाला पोसा है जिन्होंने उनके लिए अपने करियर को ब्रेक दिया और उनके सपनों के लिए ‘क्राउड-फंडिंग' से मदद लेने में संकोच नहीं किया। 

 

बेटे की जीत पर पिता का ऐसा था रिएक्शन


इसी बीच चैंपियन के पिता की भावुक कर देने वाली वीडियो भी सामने आई है। जब गुकेश की जीत पक्की हुई तो हॉल के बाहर खड़े डॉ. राजिनीकांत को समझ ही नहीं आया कि वह अपनी खुशी कैसे जाहिर करें। वह दौड़ते हुए हॉल की ओर बढ़े और जैसे ही गुकेश बाहर निकले तो पिता और बेटे के बीच बेहद ही भावुक तरीके से गले मिलते देखा गया। यह पल वाकई अविस्मरणीय था, जिसमें गुकेश ने अपनी ऐतिहासिक उपलब्धि को अपने पिता के साथ साझा किया, जो उनके संघर्ष और समर्पण का हिस्सा रहे हैं।
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माता-पिता ने किया बेटे के लिए तैयार

गुकेश  ने सात साल की उम्र में अपनी नियति का सपना देखा और एक दशक से भी कम समय में इसे हकीकत में बदल दिया। यह 18 वर्षीय खिलाड़ी लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र का विश्व शतरंज चैंपियन बना। हालांकि शीर्ष पर पहुंचने का उनका सफर आसान नहीं रहा और इसमें न केवल उन्हें बल्कि उनके माता-पिता (ईएनटी सर्जन डॉ. रजनीकांत और माइक्रोबायोलॉजिस्ट पद्मा) को भी त्याग करना पड़ा। रजनीकांत को 2017-18 में अपनी ‘प्रैक्टिस' रोकनी पड़ी और पिता-पुत्र की जोड़ी ने सीमित बजट में दुनिया भर की यात्रा की। जब गुकेश अंतिम जीएम नॉर्म हासिल करने की केाशिश में जुटे थे तो उनकी मां घर के खर्चों का ख्याल रखते हुए कमाने वाली सदस्य बन गईं।
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गुकेश ने 12 साल की कड़ी मेहनत

गुकेश शतरंज के इतिहास में तीसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए। उन्होंने 12 साल सात महीने और 17 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की। ​​चेन्नई का यह लड़का एलीट 2700 ईएलओ रेटिंग क्लब में प्रवेश करने वाला तीसरा सबसे कम उम्र का खिलाड़ी है और 2750 रेटिंग को छूने वाला सबसे कम उम्र का खिलाड़ी है। उनकी शतरंज यात्रा 2013 में एक घंटे और सप्ताह में तीन बार के सबक से शुरू हुई, जिस वर्ष विश्वनाथन आनंद ने अपना विश्व खिताब नॉर्वे के दिग्गज मैग्नस कार्लसन से गंवा दिया था। कई दफा आयु वर्ग की चैंपियनशिप जीतने वाले गुकेश 2017 में फ्रांस में एक टूर्नामेंट के बाद अंतरराष्ट्रीय मास्टर बन गए। 
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ऐसा रहा सफर

 2022 में गुकेश ने भारतीय टीम के लिए शीर्ष बोर्ड पर खेलते हुए व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता और बुडापेस्ट में फिर से दोहराया। सितंबर 2022 में वह पहली बार 2700 से अधिक की रेटिंग पर पहुंचे और एक महीने बाद वह उस समय के विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी भी बन गए।  हालांकि पिछले साल दिसंबर में गुकेश को एक और मौका मिला क्योंकि तमिलनाडु सरकार ने एक बंद टूर्नामेंट आयोजित किया जिसमें गुकेश को एक और मौका मिला जिसमें जीत का मतलब था कैंडिडेट्स के लिए टोरंटो का टिकट। इस जीत ने उन्हें बॉबी फिशर और मैग्नस कार्लसन के बाद कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाला तीसरा सबसे कम उम्र के खिलाड़ी भी बना दिया। 
 


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Content Writer

vasudha

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