प्रेग्नेंसी के दौरान इन बीमारियों का रहता है सबसे ज्यादा खतरा,जानें कारण और समाधान
punjabkesari.in Saturday, Dec 07, 2024 - 05:35 PM (IST)
नारी डेस्क: प्रेग्नेंसी के समय महिला का शरीर कई बदलावों से गुजरता है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। यह स्थिति महिलाओं को संक्रमण और अन्य बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। यदि सही देखभाल न की जाए, तो मां और बच्चे दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली आम बीमारियां और उनका प्रभाव
हेपेटाइटिस सी वायरस
हेपेटाइटिस सी वायरस गर्भावस्था में महिलाओं के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। यह वायरस लिवर को संक्रमित करता है, जिससे पीलिया, थकान और पेट में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह वायरस संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से फैलता है, जैसे कि संक्रमित सुइयों, रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) या व्यक्तिगत वस्तुओं के उपयोग से। गर्भावस्था के दौरान, यदि यह संक्रमण होता है, तो यह न केवल मां की सेहत को प्रभावित करता है बल्कि नवजात शिशु में भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। गर्भवती महिलाओं को नियमित जांच करवाकर संक्रमण की पहचान और उपचार सुनिश्चित करना चाहिए।
हर्पीस संक्रमण
हर्पीस एक संक्रामक वायरस है, जिसमें त्वचा पर छोटे-छोटे दाने और फफोले हो जाते हैं। यह संक्रमण गर्भावस्था के दौरान अधिक खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह मां से नवजात शिशु तक पहुंच सकता है। हर्पीस संक्रमण के कारण होने वाले दाने और फफोले अक्सर दर्दनाक होते हैं और महिलाओं के लिए असुविधाजनक हो सकते हैं। यदि प्रसव के दौरान यह संक्रमण सक्रिय हो, तो यह नवजात को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं या अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं। इस समस्या से बचने के लिए डॉक्टर से सही समय पर परामर्श लेना आवश्यक है।
थायरॉइड की समस्या
गर्भावस्था में थायरॉइड हार्मोन का संतुलन अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। थायरॉइड की समस्या, जैसे हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म, गर्भपात का खतरा बढ़ा सकती है। हाइपोथायरायडिज्म के कारण बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा आ सकती है, जबकि हाइपरथायरायडिज्म से समय से पहले डिलीवरी या लो बर्थ वेट का खतरा हो सकता है। थायरॉइड की समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए नियमित ब्लड टेस्ट और डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं का सेवन करना जरूरी है।
कैफीन और धूम्रपान का अधिक सेवन
गर्भावस्था के दौरान कैफीन का अत्यधिक सेवन भ्रूण के विकास को बाधित कर सकता है। कैफीन सीधे प्लेसेंटा में पहुंचकर भ्रूण की हृदय गति को बढ़ा सकता है। यह स्थिति कम वजन वाले बच्चे के जन्म का कारण बन सकती है। इसी तरह, धूम्रपान से गर्भपात, मृत शिशु का जन्म और प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से बच्चे में सांस संबंधी बीमारियां और अन्य जन्मजात दोष हो सकते हैं। इन जोखिमों से बचने के लिए महिलाओं को इन आदतों से पूरी तरह बचना चाहिए।
इन बीमारियों से बचने के आसान उपाय
1. स्वच्छता बनाए रखें
स्वच्छता गर्भावस्था में संक्रमण से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं, खासतौर पर सार्वजनिक स्थानों पर जाने के बाद। यदि साबुन और पानी उपलब्ध न हो, तो हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें। संक्रमित व्यक्तियों, विशेष रूप से सर्दी-खांसी या फ्लू से पीड़ित लोगों के संपर्क से बचें। इसके अलावा, बाहर का खाना खाने से बचें और सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धोकर खाएं।
2. संतुलित आहार लें
गर्भावस्था में स्वस्थ आहार लेना बेहद जरूरी है। फोलेट, आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ गर्भस्थ शिशु के विकास में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, पत्तेदार सब्जियां, डेयरी उत्पाद, नट्स, फल, और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त भोजन खाएं और शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए पर्याप्त पानी पिएं।
3. स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें
गर्भावस्था के दौरान नियमित प्रसवपूर्व जांच कराना आवश्यक है। इससे न केवल मां की स्वास्थ्य स्थिति पर निगरानी रखी जा सकती है, बल्कि शिशु के विकास में आ रही किसी भी समस्या का समय पर समाधान किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी चिंता के लिए डॉक्टर या काउंसलर से परामर्श लेने में झिझक न करें।
4. अच्छी जीवनशैली अपनाएं
धूम्रपान और शराब जैसी आदतों को तुरंत छोड़ देना चाहिए। यह न केवल गर्भवती महिला की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि गर्भस्थ शिशु पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। तनाव से बचने के लिए रोजाना योग, ध्यान और हल्की एक्सरसाइज करें। भरपूर नींद और आराम गर्भावस्था के दौरान शरीर को तरोताजा बनाए रखने में मदद करता है।
प्रेग्नेंसी में फिजिकल और मेंटल हेल्थ का महत्व
गर्भावस्था में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना जरूरी है। एक सकारात्मक माहौल, संतुलित जीवनशैली और समय पर सही उपचार गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं को काफी हद तक कम कर सकता है। अपनी दैनिक दिनचर्या में स्वस्थ आदतों को शामिल करके मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
गर्भावस्था से जुड़ी सही जानकारी और समय पर विशेषज्ञ की सलाह आपको एक स्वस्थ और खुशहाल मातृत्व का अनुभव देने में मदद करेगी। अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो, तो इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि वे भी सही जानकारी हासिल कर सकें।