जया बच्चन ने शोले में क्यों बाेले थे सबसे कम डायलॉग? 50 साल बाद पता पता चली सच्चाई
punjabkesari.in Friday, Aug 15, 2025 - 07:27 PM (IST)

नारी डेस्क: फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी ने बताया कि उनकी प्रतिष्ठित फिल्म "शोले" में जया बच्चन के ज़्यादा संवाद क्यों नहीं थे। निर्देशक ने खुलासा किया कि चूंकि वह फिल्म में एक विधवा की भूमिका निभा रही थीं, इसलिए उन्हें कम बोलने वाली और केवल तभी बोलने वाली महिला के रूप में दिखाना उचित था जब उनसे बात की जाती थी। एक विशेष बातचीत के दौरान सिप्पी ने इस फिल्म से जुड़ी कई बातें की।
सिप्पी से जब पूछा गया कि- "फिल्म में जया बच्चन के ज़्यादा संवाद नहीं थे। क्या आपको लगता है कि महिला किरदार को कमतर आंका गया है?" इस पर फिल्म निर्माता ने जवाब दिया- "बिल्कुल नहीं"। अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा- " जया जी फिल्म में विधवा की भूमिका निभाते हुए चुप थीं, लेकिन वह इतनी अद्भुत कलाकार हैं कि अपनी आंखों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाती थीं। अमित जी (अमिताभ बच्चन) के साथ भी यही स्थिति थी; अपने एक्शन दृश्यों के अलावा, उन्हें इस तथ्य का भी सम्मान करना था कि वह एक विधवा और घर की बहू थीं।" उन्होंने यह भी बताया कि "शोले" की पूरी कहानी संजीव कुमार के उस बदले के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गब्बर द्वारा अपने पूरे परिवार की हत्या के बाद लेता है। इसलिए, यह उचित ही था कि फिल्म में जया बच्चन के कुछ ही संवाद हों।
इसके अलावा, सिप्पी ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार "शोले" में गब्बर के रूप में अमजद खान को कास्ट किया था, तो कई लोगों ने उनके चयन पर संदेह किया था, उन्हें लगा था कि दिवंगत अभिनेता अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र जैसे अन्य कलाकारों की तुलना में "चूहे" जैसे हैं। हालांकि, अमजद के दमदार अभिनय ने सभी को गलत साबित कर दिया। सिप्पी ने कहा- "और उन्हें पता ही नहीं चला और उनके मुँह पर तमाचा पड़ गया कि वो इतने बड़े स्टार बन गए हैं (और उनको क्या पता था कि ऐसा थप्पड़ वापस मिलेगा, वही सबसे बड़ा स्टार बन गया)।" महान पटकथा लेखक जोड़ी सलीम-जावेद द्वारा लिखित, "शोले" भारतीय सिनेमा की सबसे लंबे समय तक चलने वाली फिल्मों में से एक बन गई।