जानें, उर्दू लेखिका इस्मत चुगताई के बारे में कुछ दिलचस्प किस्से
punjabkesari.in Tuesday, Aug 21, 2018 - 12:55 PM (IST)

शायरी के लफ्जों की गहराई कोई महान लेखक ही समझ सकता है। लेखिकाओं के बारे में बात की जाए तो इस्मत जुगताई को याद न किया जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता। आज उर्दू की फेमस इस लेखिका का 107 वां जन्मदिन है। उन्होने अपनी जिंदगी में कई उपन्यास,कहानियां, कविताएं और किस्से लिखे और अपनी पहचान बनाई। गूगल ने उनका डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। जानें उनकी जिंदगी के बारे में कुछ बातें।
1. इस्मत जुगताई की कहानियों और लेखों में महिलाओं के किस्से,अधिकारों और उनके साथ हुई हिस्सा के बारे में बात होती थी। उनकी कलम से निकले शब्द महिलाओं के हक में बात करते थे।
2. लेखिका बनने का उनका सफर आसान नही था। छोटी उम्र में ही उन्हें शब्दों से प्यार हो गया और तानों को सुनने के बावजूद भी वह अपनी राह पर चलती रही, वहीं किया जो ठाना।
3. इस्मत चुगताई के दूसरे नंबर के भाई आजिम बेग चुगताई उनके शिक्षक थे। वे भी लघु कथाएं लिखती थे। उनसे सीखते हुई ही इस्मत ने कई फिल्मों स्क्रिप्ट भी लिखी थी।
4. उनकी पहले फिल्म 'छेड़-छाड़' और आखिरी फिल्म 'गर्म हवा' थी। फिल्मों में कामयाबी के लिए भी उन्हें कई अवॉर्ड्स भी मिले थे।
5. उन्हें महिला सशक्तिकरण के रूप में देखा जाना लगा। उनकी कहानियों में वास्तविकता की झलत देखने को मिलती थी। उनके लेखों की वजह से इस्मत को लेडी चंगेज़ खां तक कहा जाने लगा था। यह नाम उन्हें उर्दू की ही लेखिका कुर्रतुल ऐन हैदर ने दिया था।
6. जिस जमाने में महिलाएं पर्दे के पीछे रहती थीं, उस समय इस्मत के शॉर्ट स्टोरी 'लिहाफ' पर बहुत बवाल हुआ था। उनके इस लेख में लेस्बियन रिलेशनशिप को दिखाया गया था। इस वजह से उन्हें बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा था।
7. उस समय भी बहुत पुरुष लेखकों द्वारा लैंगिक संबंधों पर कविताएं और उपन्यास लिखे जाते थे लेकिन एक औरत का इस बारे में लिखना पुरुष प्रधान समाज को पसंद नहीं आ रहा था।
8. उर्दू साहित्य उन्हें इस्मत आपा के नाम से भी जाना जाता था। उन्होने कहानियों में छुई-मुई, चोटें, कलियां, एक बात, शैतान और उपन्यास में जिद्दी, जंगली कबूतर, अजीब आदमी, मासूमा और टेढ़ी लकीर जैसे कई लेख लिखे। इसके अलावा उनकी आत्मकथा 'कागजी है पैरहन' भी प्रकाशित हुई।
9. इस्मत चुगताई को साहित्य अकादमी अवार्ड,नेहरू अवॉर्ड के अलावा 1976 में भारत सरकार की तरफ से प्रतिष्ठित पद्म श्री अवॉर्ड से भी नवाजा गया। 24 अक्टूबर, 1991 को उनका निधन हुआ।