बेटियां ही नहीं बेटों से भी करें पीरियड्स के बारे में बात, समझाने के लिए ये है सही उम्र

punjabkesari.in Saturday, Jul 12, 2025 - 06:20 PM (IST)

नारी डेस्क:  लड़कियों को पीरियड्स (मासिक धर्म) के बारे में जानकारी 8 से 10 साल की उम्र के बीच देना सबसे उपयुक्त माना जाता है। हालांकि, यह उम्र हर बच्चे की समझ और विकास पर निर्भर करती है। बेटों को भी पीरियड्स (Periods) की जानकारी देना उतना ही ज़रूरी है जितना बेटियों को। इससे समाज में जागरूकता, समानता और सम्मान की भावना बढ़ती है।
 

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बेटों को पीरियड्स की जानकारी क्यों दें?

अगर बेटों को सही जानकारी नहीं दी जाएगी, तो वे इसे अजीब या गंदा मान सकते हैं और मज़ाक बना सकते हैं। जब लड़के समझते हैं कि पीरियड्स एक प्राकृतिक और ज़रूरी प्रक्रिया है, तो वे बहनों, दोस्तों, मम्मी या पत्नी के प्रति सहानुभूति और सम्मान दिखाते हैं। एक संवेदनशील पुरुष वही होता है जो महिलाओं की ज़रूरतों को समझता है , जैसे पीरियड्स में दर्द, थकान या मूड स्विंग। 9 से 11 साल की उम्र सही होती है बच्चों को इसकी शुरुआती जानकारी के लिए।


कैसे समझाएं?

सरल और स्पष्ट भाषा का इस्तेमाल करें, उदाहरण के लिए, आप कह सकते हैं – "जब लड़कियां बड़ी होती हैं, तो उनके शरीर में कुछ बदलाव होते हैं। उनमें से एक है पीरियड्स, जिसमें हर महीने उनके शरीर से थोड़ा खून निकलता है। यह बिल्कुल सामान्य और सेहतमंद प्रक्रिया है।" बच्चों को समझाएं कि पीरियड्स कोई गंदगी नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। बच्चा अगर कुछ पूछे तो उसे खुलकर जवाब दें। अगर वह चुप है, तो उसे यह भरोसा दिलाएं कि वह जब भी चाहे आपसे बात कर सकता है। आजकल बच्चों के लिए पीरियड्स को समझाने वाली बहुत सी किताबें और वीडियो उपलब्ध हैं।
 

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क्यों जरूरी है इस उम्र में जानकारी देना?

पहला पीरियड 9 से 13 साल के बीच कभी भी आ सकता है , इसलिए बेहतर है कि लड़की को पहले से पता हो कि क्या होने वाला है, ताकि वो डर या घबराहट महसूस न करे। इस उम्र में ब्रेस्ट डेवेलपमेंट, प्यूबिक हेयर आदि आने लगते हैं, तो ये सही समय होता है इन सबकी वजह समझाने का। अगर मां-बाप या शिक्षक सही समय पर सही जानकारी नहीं देंगे, तो बच्चा दोस्तों या इंटरनेट से आधी-अधूरी या गलत जानकारी ले सकता है।


बच्चों का सिखाएं क्या नहीं करना चाहिए

-पीरियड्स को लेकर मज़ाक उड़ाना ग़लत है।

-सैनिटरी पैड या ब्लड को देखकर शर्माना नहीं चाहिए।

-घर में मम्मी या बहन को जरूरत हो तो मदद करना एक जिम्मेदारी है।
 


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vasudha

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