क्या पक्षियों को पिंजरे में रखना हराम है? कुरान और हदीस में छिपा बड़ा सवाल!
punjabkesari.in Thursday, Nov 20, 2025 - 01:35 PM (IST)
नारी डेस्क : आज के मॉडर्न दौर में लोग शौक, सुकून और सजावट के लिए घरों में पक्षी पालना पसंद करते हैं। लेकिन मुस्लिम समाज में लंबे समय से यह सवाल उठता रहा है—क्या इस्लाम में पक्षियों को पिंजरे में रखना जायज़ है या हराम? इस मुद्दे पर कुरान और हदीस दोनों में स्पष्ट दिशा-निर्देश मिलते हैं।
इस्लाम का मूल सिद्धांत: ज़ुल्म न करो, दया करो
इस्लाम में किसी भी जीवित प्राणी के साथ क्रूरता करना हराम है। लेकिन यदि पक्षियों की पूरी देखभाल, अच्छा खाना–पीना, सुरक्षित जगह और पर्याप्त जगह वाला पिंजरा दिया जाए, तो उन्हें पालना जायज़ माना गया है।

कुरान का दृष्टिकोण — हराम नहीं, लेकिन सख्त शर्तों के साथ
कुरान में जानवरों के प्रति दया को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। कुरान के अनुसार।
पक्षियों को पिंजरे में रखना हराम नहीं है।
शर्त यह है कि उनके साथ किसी भी प्रकार की क्रूरता न हो।
उन्हें पर्याप्त भोजन, पानी और हवा वाला बड़ा पिंजरा दिया जाए।
उनके स्वास्थ्य की नियमित देखभाल हो।
इस्लाम कहता है जो जीव इंसानों की तरह ही अल्लाह की मख़लूक़ हैं, उन्हें तकलीफ़ देना गुनाह है।
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स्वतंत्रता की शिक्षा भी मौजूद
कुछ इस्लामिक विद्वानों का मत है कि पक्षियों की आजादी छीनना ठीक नहीं है, क्योंकि उड़ना उनकी फितरत है।
उनका तर्क है कि अगर पक्षी की देखभाल अच्छी हो भी रही है, फिर भी उसकी स्वतंत्रता छीनी जा रही है, जो उचित नहीं।
हालांकि बहुमत का मत यही है कि देखभाल सही हो तो पिंजरे में रखना जायज़ है।

हदीस क्या कहती है?
हदीस में कई स्थानों पर पशु–पक्षियों के हक़ और उनकी भलाई का ज़िक्र है।
हदीस के अनुसार मुख्य नियम: पिंजरे में पक्षी पालना हराम नहीं है, बशर्ते उसकी ठीक देखभाल की जाए, केवल मनोरंजन, शौक या शो–ऑफ के लिए पक्षियों को कैद करना नापसंद किया गया है और पक्षी को भूखा–प्यासा रखना या उसे तकलीफ़ देना गुनाह है।
एक हदीस में बताया गया है: जो व्यक्ति किसी जानवर को भूखा–प्यासा रखकर मार देता है, वह क़यामत के दिन सख्त जवाबदेही में होगा। पैगंबर मुहम्मद ने स्पष्ट कहा है कि यदि कोई जानवर बिना कारण कैद किया जाता है या उसकी आज़ादी छीनी जाती है, तो इसका हिसाब देना होगा।
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क्या यह हराम है?
नहीं। इस्लाम में पक्षियों को पिंजरे में रखना हराम नहीं है। लेकिन यह तभी जायज़ है जब उनकी पूरी देखभाल की जाए, उन्हें पर्याप्त खाना–पानी दिया जाए,
पिंजरा बड़ा और खुला हो,और उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ़ न दी जाए। अन्यथा, यह सीधे-सीधे गुनाह और हराम के दायरे में आ जाता है।

