अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस पर जानिए, ल्यूकीमिया का इलाज हो सकता है आसान

punjabkesari.in Monday, Feb 10, 2025 - 01:44 PM (IST)

नारी डेस्क: ल्यूकीमिया एक प्रकार का कैंसर है, जो बच्चों में मुख्य रूप से खून की कोशिकाओं से संबंधित होता है। इसमें खून की कोशिकाओं की बढ़ोतरी या विकास में बदलाव हो जाता है। ल्यूकीमिया के कारण कई होते हैं, जिनमें जेनेटिक बदलाव, टॉक्सिक पदार्थ, और एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी) शामिल हैं। इस बीमारी में खून से जुड़ी समस्याएं होती हैं, और समय रहते इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है।

ल्यूकीमिया के लक्षण और संकेत

ल्यूकीमिया के शुरुआती स्टेज में बच्चों में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते। लेकिन जैसे-जैसे यह कैंसर बढ़ता है, बच्चों के शरीर में हड्डियों में दर्द, बुखार, और संक्रमण जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके अलावा, बच्चे के लिवर या तिल्ली का बढ़ना और लिंफ नोड का बढ़ना भी इसके संकेत हो सकते हैं। कई बार बच्चों में खून की कमी भी हो सकती है, जो सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) जांच से पता चलता है।

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जांच और उपचार

ल्यूकीमिया का सही समय पर इलाज संभव है। इसके लिए सीबीसी और पीबीएफ जैसी सामान्य जांचें की जाती हैं। इसके अलावा, एडवांस टेस्ट जैसे जेनेटिक मार्कर टेस्ट और बोन मेरो जांच भी कराई जाती है। समय पर उपचार से ल्यूकीमिया को ठीक किया जा सकता है, हालांकि कुछ प्रकार के ल्यूकीमिया का इलाज मुश्किल हो सकता है।

सही देखभाल और खानपान

ल्यूकीमिया का इलाज बच्चों के शरीर की स्थिति पर निर्भर करता है। बच्चों में खून की कमी और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है, जिससे रक्तस्राव का खतरा रहता है। ऐसे में, प्लेटलेट्स चढ़ाने या खून चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। इस दौरान बच्चों की साफ-सफाई का खास ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

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बच्चों की डाइट

ल्यूकीमिया में बच्चों की डाइट भी अहम होती है। उन्हें संतुलित आहार देना चाहिए, जिसमें मौसमी फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों। इससे उनके शरीर को ताकत मिलती है और बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है।

ल्यूकीमिया के लक्षण और संकेत

ल्यूकीमिया का प्रारंभिक चरण कई बार बिना लक्षणों के होता है, और बच्चों में किसी भी प्रकार के बड़े बदलाव नहीं दिखते। हालांकि, जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, बच्चे में कुछ सामान्य लक्षण दिखने लगते हैं, जो माता-पिता के लिए सतर्क करने वाले हो सकते हैं।

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इनमें से कुछ प्रमुख लक्षण हैं 

1. हड्डियों और जोड़ों में दर्द

2. बार-बार बुखार और संक्रमण होना

3. थकान और कमजोरी महसूस होना

4. वजन का घट जाना और भूख में कमी

5. त्वचा पर आसानी से नीले निशान पड़ना

6. लिवर और तिल्ली का बढ़ना

7. लिंफ नोड्स का बढ़ना

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कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC) और अन्य टेस्ट

ल्यूकीमिया का सही समय पर निदान (diagnosis) बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए सीबीसी (Complete Blood Count) जांच की जाती है, जिससे खून में कोशिकाओं की संख्या का पता चलता है। इसके अलावा, पीबीएफ (Peripheral Blood Film) और जेनेटिक मार्कर टेस्ट भी किए जाते हैं। इन परीक्षणों के माध्यम से डॉक्टर यह जान सकते हैं कि खून में कौन सी असामान्यता है और ल्यूकीमिया के किस प्रकार का कैंसर है। कई बार बोन मेरो (हड्डी के मज्जा) की जांच भी की जाती है ताकि यह पुष्टि हो सके कि ल्यूकीमिया है या नहीं।

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ल्यूकीमिया का उपचार

ल्यूकीमिया का इलाज पूरी तरह संभव है, लेकिन यह इलाज किस प्रकार का ल्यूकीमिया है, इस पर निर्भर करता है। उपचार में मुख्य रूप से कीमोथेरेपी (Chemotherapy) का प्रयोग किया जाता है, जो कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करती है। इसके अलावा, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) और रेडियेशन थैरेपी (Radiation Therapy) का भी इस्तेमाल हो सकता है। कुछ मामलों में, जब कीमोथेरेपी से काम नहीं बनता, तो बोन मेरो ट्रांसप्लांट भी किया जाता है। समय पर इलाज और देखभाल से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है, लेकिन अगर इलाज में देर हो जाए तो कुछ प्रकार के ल्यूकीमिया से जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

सही देखभाल और चिकित्सा सहारा

ल्यूकीमिया से पीड़ित बच्चों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इसमें उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं, और उनका इलाज व देखभाल विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा किया जाता है। इस दौरान बच्चों को शारीरिक रूप से कमजोर किया जा सकता है, और उनका इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है। इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए बच्चों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

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रक्तस्राव और प्लेटलेट्स की कमी: ल्यूकीमिया में बच्चों के रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या घट सकती है, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चों को खून या प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।

संतुलित आहार और पोषण: बच्चों की डाइट बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस समय, बच्चों को सही पोषण देने से उनका शरीर उपचार के लिए तैयार होता है और उनका इम्यून सिस्टम भी मजबूत रहता है। उन्हें संतुलित आहार जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा हो, प्रदान किया जाना चाहिए।

मनोबल बनाए रखना: बच्चों में मानसिक स्थिति भी काफी प्रभावित हो सकती है, खासकर जब वे लंबे समय तक अस्पताल में इलाज करा रहे होते हैं। ऐसे में परिवार और चिकित्सक का यह कर्तव्य बनता है कि वे बच्चों का मनोबल बनाए रखें। उनके लिए खुश रहने वाले वातावरण और मानसिक रूप से सहायक गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है।
 
ल्यूकीमिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर समय पर सही इलाज और देखभाल की जाए तो बच्चों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। बच्चों की जांच और खानपान का ख्याल रखना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि वे जल्द स्वस्थ हो सकें।
 
 

 

 


 
 


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Content Editor

Priya Yadav

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