5 तरह के कैंसर के घेरे में 50% भारतीय महिलाएं, लक्षणों की पहचान ही पहला बचाव
punjabkesari.in Tuesday, Dec 29, 2020 - 01:37 PM (IST)
कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो व्यक्ति को मौत के दरवाजे तक ले जाती है। खासकर भारतीय महिलाएं सबसे ज्यादा इसकी शिकार होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 7 लाख नए कैंसर के मामले आते हैं, जिनमें 50% संख्या महिलाओं की होती है। भारतीय महिलाएं आमतौर पर ब्रेस्ट, यूट्रस, कोलोरेक्टल, अंडाशय और मुंह का कैंसर की शिकार होती है। अगर समय रहते इनके लक्षण पहचान लिए जाए तो कैंसर का इलाज संभव है लेकिन लापरवाही के चलते महिलाएं छोटे-छोटे संकेतों को अनदेखा कर देती हैं।
महिलाओं में कैंसर के कारण
महिलाओं में 6-8% कैंसर के मामले आनुवंशिक होते हैं। वहीं, भारतीय महिलाओं में कैंसर का एक कारम गलत लाइफस्टाइल, मोटापा, धूम्रपान व शराब, लेट मेनोपॉज, मासिक धर्म जल्दी शुरू होना, वायु प्रदूषण और प्रदूषित जल है।
अब बाते करते हैं महिलाओं को होने वाले कैंसर और उनके लक्षणों की....
ब्रेस्ट कैंसर
भारत में प्रत्येक 8 महिलाओं में से एक महिला स्तन कैंसर की चपेट में है, जिसका कारण गलत जीवनशैली और जागरूकता का अभाव है। यह कैंसर ग्रामीण महिलाओं में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण...
. स्तन या बाजू के नीचे गांठ होना
. स्तन से रस जैसे कुछ पदार्थ का निकलना
. निपल्स का मुड़ जाना
. स्तन में सूजन
. स्तन के आकार में बदलाव
. स्तन को दबाने पर दर्द न होना
सर्वाइकल कैंसर
महिलाओं में मौत का दूसरा बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर हैं। रिसर्च के मुताबिक, भारत में सर्वाइकल कैंसर से हर 8 मिनट में एक महिला की मौत हो जाती है। ज्यादातर महिलाओं को इस कैंसर का पता आखिरी स्टेज पर चलता है, लेकिन तब तक बचने की संभावना शून्य हो जाती है। यह कैंसर गर्भाशय ग्रीवा से आस-पास के हिस्सों में फैलता है और भयानक रूप ले लेता है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
- पीरियड्स अनियमित
- असामान्य रक्तस्राव
- व्हाइट डिस्चार्ज
- बार-बार यूरिन आना
- पेट के निचले हिस्से व पेडू में दर्द या सूजन
- बुखार, थकावट
- भूख न लगना
- वैजाइना से लाइट पिंक जेलनुमा डिस्चार्ज
कोलोरेक्टल कैंसर
यह भारतीय महिलाओं में पाया जाने वाला तीसरा आम कैंसर है जो बड़ी आंत को नुकसान पहुंचाता है। कोशिकाओं के कुछ गुच्छे धीरे-धीरे कैंसर का रूप ले लेते हैं, जिससे जान जाने का खतरा भी रहता है। इसमें डायरिया, कब्ज,पेट संबंधी परेशानी, मल से खून आना, पेट दर्द, वजन घटना, कमजोरी और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
अंडाशय यानि ओवरी कैंसर
परिवार में पेट, अंडाशय, ब्रेस्ट या यूट्रस कैंसर का इतिहास हो तो ओवरी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह कैंसर महिलाओं किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 40 की उम्र के बाद इसका खतरा बढ़ जाता है। 60% महिलाओं को इसकी जानकारी एडवांस स्टेज में होती है, जिसकी कारण इलाज संभंव नहीं हो पाता। इस कैंसर के कारण पेल्विस या पेट के निचले हिस्से में दर्द, बार-बार पेशाब आना, अपच, भूख न लगना, पेट में सूजन और फूलना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
गर्भाशय कैंसर (यूट्रस कैंसर)
आंकड़ों के अनुसार, हर 70 महिलाओं में से एक को गर्भाशय कैंसर होता है, जिनमें हर 5 में से एक महिला में कैंसर का कारण आनुवांशिक होता है। पहले जहां 35 से 45 साल की उम्र के बीच की महिलाओं को यह समस्या होती थी वहीं आज टीनएज लड़कियां इसका शिकार हो रही हैं। माहवारी के समय इंफेक्शन, गर्भनिरोधक गोलियां, पीरियड्स जल्दी शुरू होना, लेट मेनोपॉज होना, मोटापा, हार्मोन्स असंतुलित होना यूट्रस कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
यूट्रस कैंसर के लक्षण
वजन बढ़ना, पेट दर्द, गैस, कब्ज, पीठ में दर्द, प्राइवेट पार्ट में खुजली या जलन, पीरियड्स में तेज दर्द, बार-बार पेशाब आना, लूज मोशन और उल्टी यूट्रस कैंसर के लक्षण है, जिन्हें समय पर पहचानना बहुत जरूरी है।