पेट में अल्सर होने पर दिखते हैं ये लक्षण, समय रहते पहचानना है जरूरी
punjabkesari.in Friday, Jun 20, 2025 - 12:10 PM (IST)

नारी डेस्क: आजकल की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी और गलत खान-पान की आदतों की वजह से पेट से जुड़ी समस्याएं आम हो गई हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है पेट में अल्सर। अगर समय रहते इस बीमारी को पहचाना और समझा न जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। आइए जानते हैं कि पेट का अल्सर क्या होता है, इसके कारण क्या हैं, लक्षण क्या होते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
पेट में अल्सर क्या होता है?
एक्सपर्ट बताते हैं कि गैस्ट्रिक अल्सर या पेट का अल्सर वह स्थिति है जब पेट की अंदरूनी परत पर घाव या जख्म बन जाते हैं। ये घाव पेट में बनने वाले तेज़ एसिड और एंजाइम्स की वजह से होते हैं जो आमतौर पर खाना पचाने में मदद करते हैं। लेकिन जब पेट की परत कमज़ोर हो जाती है तो ये एसिड उस पर असर करने लगते हैं और अल्सर बना देते हैं। इन घावों की वजह से पेट में जलन, दर्द और पाचन से जुड़ी कई परेशानियाँ हो सकती हैं।
पेट में अल्सर होने के मुख्य कारण
हेलीकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया: एक्सपर्ट के अनुसार, यह एक ऐसा बैक्टीरिया है जो पेट की म्यूकस यानी सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचाता है। इससे पेट का तेज़ एसिड सीधे दीवार तक पहुंचता है और अल्सर बनने लगता है।
पेन किलर दवाओं का ज़्यादा इस्तेमाल: एस्पिरिन, इबुप्रोफेन जैसी दर्द निवारक दवाओं का लंबे समय तक सेवन करने से पेट की परत कमजोर हो जाती है, जिससे अल्सर का खतरा बढ़ जाता है।
बहुत ज़्यादा मिर्च-मसाले वाला खाना: तेज मिर्च और मसाले, खासकर जंक फूड, पेट की सतह को नुकसान पहुंचाते हैं और अल्सर का कारण बन सकते हैं।
तनाव और चिंता: लगातार तनाव में रहने से शरीर में एसिड का उत्पादन बढ़ जाता है। इससे पेट पर असर पड़ता है और अल्सर की संभावना बढ़ती है।
शराब और धूम्रपान: धूम्रपान और शराब पीने से भी पेट की अंदरूनी परत को काफी नुकसान पहुंचता है, जिससे अल्सर बन सकता है।
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पेट में अल्सर के लक्षण
पेट में जलन या दर्द
बार-बार खट्टी डकारें और एसिडिटी
उल्टी या मतली
भूख कम लगना और वजन घटना
काले रंग का मल या खून आना
पेट के अल्सर से बचाव के उपाय
सही खानपान अपनाएं: हल्का, सुपाच्य और कम मिर्च-मसाले वाला खाना खाएं। जंक फूड और बहुत ज़्यादा तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें।
तनाव कम करें: तनाव से बचने के लिए योग, ध्यान या कोई पसंदीदा हॉबी अपनाएं। इससे मानसिक शांति मिलेगी और पेट पर भी असर कम होगा।
दवाइयों का सेवन सोच-समझकर करें: पेन किलर्स या अन्य दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। खासकर लंबे समय तक इनका सेवन करने से बचें।
शराब और धूम्रपान से दूरी बनाएं: ये दोनों ही आदतें पेट की सेहत को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। इन्हें छोड़ने की कोशिश करें।
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कब डॉक्टर से मिलें?
अगर ऊपर बताए गए लक्षण लगातार बने रहें, जैसे कि पेट में तेज़ जलन या दर्द, बार-बार उल्टी आना, मल में खून दिखना या अचानक बहुत तेज़ कमजोरी महसूस होना, तो डॉक्टर से तुरंत मिलना ज़रूरी है। समय पर इलाज न मिलने पर यह अल्सर और भी गंभीर हो सकता है और जानलेवा भी साबित हो सकता है।
पेट का अल्सर एक गंभीर लेकिन काबू में लाया जा सकने वाला रोग है। सही जीवनशैली, अच्छा खानपान और मानसिक शांति इसे रोकने में मदद कर सकते हैं। शरीर के संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।