आंखों पर पट्टी, दिल दहला देने वाला टॉर्चर: BSF जवान ने पाकिस्तान में मिली जुल्मों की बयां की सच्चाई
punjabkesari.in Thursday, May 15, 2025 - 03:43 PM (IST)

नारी डेस्क: बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो पाकिस्तान से हाल ही में वापस लौटे हैं, ने पाकिस्तान में अपनी गिरफ्तारी और बर्बरता की कहानी साझा की। 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद, 23 अप्रैल को उन्हें पाकिस्तान ने हिरासत में ले लिया था और 14 मई, 2025 को रिहा किया गया। इस दौरान पाकिस्तान ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से अत्यधिक प्रताड़ित किया।
आंखों पर पट्टी और मानसिक टॉर्चर
पूर्णम शॉ ने बताया कि पाकिस्तान में उनकी आंखों पर हमेशा पट्टी बांधकर रखा जाता था, जिससे वह न तो कुछ देख सकते थे और न ही अपने आसपास का कुछ महसूस कर सकते थे। उन्होंने बताया कि शारीरिक रूप से तो उन्हें चोटें नहीं पहुंचाई गईं, लेकिन मानसिक टॉर्चर बहुत था। पाकिस्तानियों ने उन्हें गालियाँ दीं और उन्हें सोने तक नहीं दिया। उन्हें अपना मुंह भी नहीं धोने दिया गया।
Indian soldier return India who captured by Pakistan few days ago pic.twitter.com/6zZLLIGS1q
— All About India🇮🇳 (@Shubham201219) May 14, 2025
तीन अलग-अलग जगहों पर रखा गया
पूर्णम शॉ को पाकिस्तान में अपनी हिरासत के दौरान तीन अलग-अलग अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया। एक स्थान एयरबेस के पास था, जहां से उन्हें विमानों की आवाजें सुनाई देती थीं। एक अन्य स्थान जेल की कोठरी जैसा था, जहां उन्हें बंद किया गया था। इस दौरान उनका चेहरा हमेशा ढका हुआ रहता था और उन्हें किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं दी जाती थी।
सिविल ड्रेस में थे पूछताछ करने वाले अधिकारी
पूर्णम शॉ ने बताया कि जिन पाकिस्तानियों ने उनसे पूछताछ की, वे सेना की वर्दी में नहीं थे, बल्कि सिविल ड्रेस में थे। उनसे सीमा पर बीएसएफ की तैनाती, वरिष्ठ अधिकारियों के बारे में जानकारी और अन्य सुरक्षा संबंधी जानकारी ली गई। उन्हें अपने संपर्क विवरण देने के लिए भी दबाव डाला गया, लेकिन बीएसएफ प्रोटोकॉल के तहत, उन्हें गिरफ्तारी के समय अपना मोबाइल फोन नहीं रखने दिया गया था, इसलिए वे यह जानकारी नहीं दे सके।
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भारत आने के बाद हुई जांच
भारत लौटने के बाद, शॉ से औपचारिक पूछताछ की गई और उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति की जांच की गई। मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि उनकी स्थिति अब स्थिर है। साथ ही, उनके कपड़ों की भी जांच की गई जो उन्होंने पाकिस्तान की हिरासत में पहने थे।
बीएसएफ में उनकी भूमिका
पूर्णम शॉ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले हैं और वे बीएसएफ की 24वीं बटालियन का हिस्सा थे। वे भारतीय किसानों की सुरक्षा के लिए तैनात थे, विशेषकर अटारी-वाघा सीमा के पास।
पूर्णम कुमार शॉ की यह कहानी यह दर्शाती है कि पाकिस्तान में भारतीय सैनिकों के साथ कैसी क्रूरता और बर्बरता होती है, जो अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों का उल्लंघन है।