भारतीय मूल की डॉ. परविंदर कौर बनीं ऑस्ट्रेलिया की पहली सिख महिला सांसद, बनाया नया इतिहास
punjabkesari.in Sunday, May 25, 2025 - 11:48 AM (IST)

नारी डेस्क: भारतीय मूल की प्रसिद्ध बायोटेक्नोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक डॉ. परविंदर कौर ने इतिहास रच दिया है। वे किसी भी ऑस्ट्रेलियाई संसद में चुनी जाने वाली पहली सिख महिला बन गई हैं। उन्हें पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की विधान परिषद (MLC) का सदस्य चुना गया है। यह न सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि नेतृत्व, समानता और समावेशन की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
"यह मेरी नहीं, हम सबकी जीत है"-डॉ. कौर
डॉ. कौर ने अपनी इस ऐतिहासिक जीत पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी और कहा,"यह केवल मेरी जीत नहीं है, यह प्रतिनिधित्व और समावेश की दिशा में एक सामूहिक कदम है।"
उन्होंने इसे एक "अत्यंत अद्भुत अनुभव" बताया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के लोगों का विश्वास जीतने पर आभार व्यक्त किया।
भारत से ऑस्ट्रेलिया तक की सफरनामा
डॉ. परविंदर कौर का जन्म और शिक्षा भारत में हुई। वह एक PhD स्कॉलर के रूप में ऑस्ट्रेलिया आईं। यहां उन्होंने बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में गहरी पहचान बनाई। उन्होंने 15 साल से भी ज्यादा समय तक जीनोमिक्स (DNA आधारित शोध) में अहम भूमिका निभाई। खासकर, खतरे में पड़ी प्रजातियों के संरक्षण में उनका काम बेहद सराहनीय रहा है।
डॉ. कौर ने एक इनोवेटिव डीएनए लैब की अगुवाई की और डीएनए ज़ू ऑस्ट्रेलिया की सह-नेता बनीं। यह परियोजना जैव विविधता संरक्षण को विज्ञान और तकनीक के जरिए आगे बढ़ाने के लिए काम करती है। उनका मानना है कि विज्ञान को समाज की सेवा में लाना सबसे जरूरी कामों में से एक है।
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संसद में कदम रखना सिर्फ करियर नहीं, सेवा का अवसर
डॉ. कौर ने अपने राजनीति में आने को एक नया करियर नहीं, बल्कि एक "आह्वान" बताया। उन्होंने कहा,"यह कोई करियर परिवर्तन नहीं है - यह इस खूबसूरत देश की सेवा करने का अवसर है।" उन्होंने यह भी कहा कि वह संसद में विज्ञान, समुदाय और अनुभव की शक्ति को लेकर आ रही हैं।
कड़ी मेहनत से मिली यह ऐतिहासिक सीट
डॉ. कौर कुक लेबर सरकार के तीसरे कार्यकाल के दौरान संसद में पहुंचीं। वह लेबर पार्टी की टिकट पर 13वें स्थान पर थीं, और उन्हें 15-16 निर्वाचित सदस्यों के बीच जगह मिली। यह जीत बताती है कि प्रतिनिधित्व धीरे-धीरे पर मजबूत क़दमों से आगे बढ़ रहा है। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की 42वीं संसद के उद्घाटन के बाद डॉ. कौर ने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट लिखी। उन्होंने उस दिन के संविधान, परंपरा और उद्देश्य को याद करते हुए कहा कि यह केवल एक शुरुआत है। "यह यात्रा अब उन परियोजनाओं तक जाएगी जो जमीनी स्तर से लेकर पूरे राज्य को लाभ देंगी और एक स्थायी विरासत छोड़ेंगी।" उन्होंने अपने पोस्ट में महात्मा गांधी को भी उद्धृत किया,"खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है दूसरों की सेवा में खुद को खो देना।"
विज्ञान से लेकर स्टार्टअप तक का नेतृत्व
डॉ. कौर का योगदान सिर्फ शोध प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है। वह एक साइंस कम्युनिकेशन की पैरोकार हैं लैंगिक समानता (Gender Equality) की सलाहकार हैं। उन्होंने एक बायोटेक स्टार्टअप – एक्स प्लांटा प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की है, जो प्राकृतिक स्वास्थ्य समाधान विकसित करती है।
मिले कई सम्मान और पुरस्कार
उनकी उपलब्धियों में शामिल हैं ऑस्ट्रेलियन एकेडमी ऑफ साइंसेज – विज्ञान और नवाचार पुरस्कार (2013), माइक्रोसॉफ्ट का AI for Earth अवार्ड (2019-20), वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया महिला हॉल ऑफ फ़ेम (STEM श्रेणी, 2023), वह इस सम्मान को पाने वाली कुछ चुनिंदा दक्षिण एशियाई महिलाओं में से एक हैं।
डॉ. कौर की प्रेरणादायक कहानी भारतीय समुदाय के दिलों को छूती है। यह दिखाती है कि जब विविधता, विज्ञान और सेवा भावना एक साथ आती हैं, तो असंभव भी संभव हो सकता है।