इनोवेशन इन मेडिसिन: Human Skin इम्प्लांट से भारत में हुआ कंधे का सफल ऑपरेशन,जानिए कैसे
punjabkesari.in Sunday, Nov 02, 2025 - 01:26 PM (IST)
नारी डेस्क: भारत ने चिकित्सा जगत में एक और बड़ा कीर्तिमान रच दिया है। दिल्ली के डॉक्टरों ने पहली बार मानव त्वचा (Human Skin) से बनी जैविक इम्प्लांट का इस्तेमाल कर कंधे की सफल सर्जरी की है। यह सर्जरी उन मरीजों के लिए एक नई उम्मीद साबित हुई है, जिनके कंधे में गंभीर चोट या रोटेटर कफ टियर की समस्या होती है।
गंभीर चोट से जूझ रहा था मरीज
दिल्ली के 37 वर्षीय एक व्यक्ति को कुछ महीने पहले गिरने के कारण कंधे में गहरी चोट लग गई थी। चोट इतनी गंभीर थी कि उसके कंधे का दर्द और कमजोरी लगातार बढ़ती जा रही थी। स्थिति यह हो गई थी कि वह अपने रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पा रहा था। ऐसे में डॉक्टरों ने जांच की तो पाया कि उसका रोटेटर कफ पूरी तरह फट चुका है यानी वह हिस्सा जो कंधे को स्थिर रखता है और हाथ की गतिशीलता में मदद करता है, वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था।
मानव त्वचा से बनी जैविक इम्प्लांट से हुई सर्जरी
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इस मरीज के इलाज के लिए एक नई तकनीक अपनाई। उन्होंने ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट (ArthroFlex) नामक जैविक इम्प्लांट की मदद से आर्थ्रोस्कोपिक सुपीरियर कैप्सुलर रिकंस्ट्रक्शन (SCR) सर्जरी की। यह सर्जरी भारत में पहली बार की गई और पूरी तरह सफल रही। यह तकनीक बेहद उन्नत और सूक्ष्म है। इसे ‘की-होल सर्जरी’ कहा जाता है क्योंकि इसमें बड़े चीरे की बजाय छोटे-छोटे छेद के जरिए ऑपरेशन किया जाता है। इससे मरीज को बहुत कम दर्द होता है, रिकवरी तेज होती है और शरीर पर कोई बड़ा निशान भी नहीं रहता।

रोटेटर कफ टियर क्या होता है?
डॉ. दीपक चौधरी, प्रिंसिपल डायरेक्टर और एचओडी, स्पोर्ट्स मेडिसिन, ने बताया कि रोटेटर कफ टियर तब होता है जब कंधे को सहारा देने वाली मांसपेशियां या टेंडन फट जाते हैं। यह चोट किसी दुर्घटना, गिरने या उम्र बढ़ने से भी हो सकती है। जब यह टेंडन पूरी तरह फट जाता है, तो हड्डियां अपनी जगह से खिसकने लगती हैं, जिससे कंधे में तेज दर्द और कमजोरी आ जाती है। पहले ऐसे मामलों में या तो डिब्राइडमेंट (Debridement) यानी क्षतिग्रस्त हिस्से की सफाई की जाती थी, या फिर शोल्डर रिप्लेसमेंट जैसे बड़े ऑपरेशन का सहारा लेना पड़ता था।
Arthroscopic SCR तकनीक कैसे काम करती है?
Arthroscopic SCR (Superior Capsular Reconstruction) तकनीक में मानव त्वचा से बनी एक पतली परत कंधे के ऊपर लगाई जाती है। यह परत एक “नई छत” की तरह काम करती है — जिससे कंधे की हड्डियां स्थिर रहती हैं और जोड़ का संतुलन बना रहता है। इससे हाथ की मूवमेंट फिर से सामान्य हो जाती है, दर्द कम होता है और मरीज को रिप्लेसमेंट जैसी बड़ी सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती।
भारत में इस तरह की पहली सफल सर्जरी
डॉ. शिव चौकसे, सीनियर कंसल्टेंट, स्पोर्ट्स मेडिसिन विभाग ने बताया कि भारत में यह पहली बार हुआ है कि किसी मरीज के कंधे की मरम्मत ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट से की गई हो। उन्होंने कहा, “यह उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है, जिनके कंधे में गंभीर चोटें हैं। इससे मरीज अपने नैचुरल जॉइंट को बचा सकता है और जल्दी ठीक हो सकता है।” डॉ. पी सुंदरराजन ने कहा कि उनका उद्देश्य दुनिया की सबसे नई और सुरक्षित तकनीक भारत में समय पर लाना है, ताकि भारतीय मरीजों को उन्नत इलाज मिल सके।
मरीज की तेज रिकवरी — मिला नया जीवन
इस सर्जरी के बाद सबसे खास बात यह रही कि मरीज को ऑपरेशन के अगले ही दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह बिना दर्द के पूरी तरह सामान्य जीवन जी रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि आने वाले समय में यह तकनीक कंधे के रोगियों के लिए एक नई दिशा खोलेगी।
क्या है ArthroFlex और Human Dermal Allograft?
यह एक जैविक इम्प्लांट होता है जो मानव त्वचा की बाहरी परत से बनाया जाता है। इसे पूरी तरह से संक्रमण-मुक्त (sterile) किया जाता है ताकि यह शरीर में सुरक्षित रूप से काम कर सके। यह इम्प्लांट शरीर के क्षतिग्रस्त टिश्यू को सपोर्ट देता है, धीरे-धीरे शरीर का हिस्सा बन जाता है और किसी कृत्रिम सामग्री की तरह असुविधा नहीं देता।
मरीजों के लिए नई उम्मीद
भारत में हुई यह पहली Human Skin Implant Shoulder Surgery चिकित्सा जगत में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह न केवल कंधे की गंभीर चोटों के मरीजों के लिए राहत लाएगी, बल्कि इससे भविष्य में कई अन्य जॉइंट सर्जरी में भी नई राह खुलेगी।

