बच्चे को सबके सामने लगाते हैं डांट तो संभल जाइए, जानिए कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं आप

punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2024 - 05:58 PM (IST)

नारी डेस्क: कई बार बच्चे कुछ ऐसी शरारत कर देते हैं कि माता- पिता ना चाहते हुए भी उन्हें डांट लगा देते हैं। गलती के लिए बच्चों को डांटना गलत नहीं है, लेकिन सबके सामने चिल्लाने से उसकी मानसिक और भावनात्मक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चे के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में कमी आती है, साथ ही उसका व्यवहार और सोचने का तरीका भी प्रभावित हो सकता है। यहां बताया गया है कि क्यों बच्चे को सबके सामने डांटना हानिकारक हो सकता है


आत्मसम्मान में कमी

जब बच्चे को सबके सामने डांटा जाता है, तो उसका आत्मसम्मान आहत होता है। उसे ऐसा महसूस हो सकता है कि वह दूसरों के सामने शर्मिंदा हो गया है। यह लंबे समय में उसकी आत्मछवि को प्रभावित करता है और वह खुद को कमतर आंकने लगता है।

 

डर और चिंता

सबके सामने डांटे जाने से बच्चे में डर और चिंता पैदा हो सकती है। वह भविष्य में गलती करने से डरने लगता है और हमेशा तनावग्रस्त रहता है कि कहीं उसे फिर से सबके सामने डांटा न जाए।

 

सामाजिक विकास पर असर

बच्चे का सामाजिक विकास प्रभावित हो सकता है। वह दूसरों के साथ बातचीत करने में झिझक महसूस करने लगता है और सार्वजनिक रूप से खुद को व्यक्त करने में कठिनाई हो सकती है। इससे उसके दोस्त बनाने और सामाजिक कौशल विकसित करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

 

नकारात्मक व्यवहार

 बच्चे को बार-बार सबके सामने डांटने से उसमें विद्रोह और नकारात्मक व्यवहार पैदा हो सकता है। वह अपना गुस्सा या नाराजगी दूसरों पर निकालने लगता है या फिर और ज्यादा गलतियां करने लगता है ताकि वह ध्यान आकर्षित कर सके।

 

भावनात्मक दूरी

अगर माता-पिता बार-बार बच्चे को दूसरों के सामने डांटते हैं, तो बच्चा उनसे भावनात्मक दूरी बना सकता है। उसे लग सकता है कि उसके माता-पिता उसे समझने के बजाय उसे शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे माता-पिता और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग कमजोर हो सकती है।

 

सिखने की क्षमता पर असर

बच्चे का दिमाग तब बेहतर सीखता है जब उसे प्यार और सम्मान के माहौल में गाइड किया जाता है। लेकिन जब उसे सार्वजनिक रूप से डांटा जाता है, तो वह डर और शर्मिंदगी की भावना से घिरा होता है, जिससे उसकी सीखने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

 

क्या करें

प्राइवेट में बात करें: अगर बच्चा कोई गलती करता है तो उसे अकेले में, प्यार और धैर्य के साथ समझाएं।
संवेदनशील बनें: बच्चे के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाए बिना, उसकी गलतियों को सुधारने का तरीका अपनाएं।
प्रोत्साहन और प्रशंसा: बच्चों को प्रोत्साहन और प्रशंसा दें ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़ सके और वे अपनी गलतियों से सीख सकें।
बातचीत को प्राथमिकता दें: बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करें और उनकी भावनाओं को समझें। उन्हें यह महसूस कराएं कि उनके माता-पिता उनकी गलती को सुधारने में मदद करने के लिए हैं, न कि उन्हें शर्मिंदा करने के लिए।


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Content Writer

vasudha

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