बोझ नहीं होती बेटियां... जहां खाने को रोटी नहीं थी वहीं अब मां-बाप के सपने साकार करेगी तेजल

punjabkesari.in Friday, Apr 09, 2021 - 04:50 PM (IST)

“अभी तो मैं उठकर बस बैठी हूं, उड़ान अभी बाकी है, बादलों तक ही सफर नहीं आसमान अभी बाकी है…”

ऐसा कहना है महाराष्ट्र, नासिक की रहने वाली तेजल आहेर (Tejal Aaher) का, जिन्होंने साबित कर दिया कि बेटी मां-बाप पर बोझ नहीं बल्कि उनका मान होती है। तेजल जब वर्दी पर मेडल लिए अपने घर पहुंची तो माता-पिता की आंखें भर आईं। एक समय ऐसा भी था जब उनके घर में खाने के लिए एक दाना तक नहीं होता था लेकिन अपनी मेहनत व हौंसले से तेजल ने अपने माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।

माता-पिता के सपनों को किया साकार

महाराष्ट्र के नासिक में रहने वाली तेजल के घर के हालात शुरू से ही ठीक नहीं थे। उनके माता-पिता कोचिंग का खर्च उठाने में भी सक्षम नहीं थे। मगर, तेजल ने अपने दम पर महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की तैयारी की। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस उपपनिरीक्षक पद के एग्जाम भी दिए, जिसमें उन्होंने अच्छे अंक प्राप्त किए।

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राहें कई रूठीं लेकिन नहीं टूटी उम्मीदें

परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने 15 महीने की ट्रेनिंग की। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब वह खाकी वर्दी पहन अपने गांव निफाड प्रखंड लौटी तो उनके माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। तेजल के घर के हालात इतने खराब है कि कभी-कभार उन्हें दो जून रोटी भी नहीं मिल पाती। उनकी मां का कहना था कि एक दिन उनकी बिटिया जरूर कोई कमाल कर दिखाएगी।

पढ़ाई के लिए एक कर दिए दिन-रात

जब स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह नासिक गई तो उनके पास कोचिंग के लिए भी पैसे नहीं थे। ऐसे में वह सेल्फ स्टडी करने लगी। होली, दीपावली क्या... तेजल ने हर फेस्टिवल को भुलाकर सिर्फ अपनी पढ़ाई पर जोर दिया।

उनका कहना है कि वह आत्मविश्वास से भरी हुई है और अपनी कामयाबी से बहुत खुश हैं। लेकिन उनका सफर अभी खत्म नहीं हुआ, अभी उनकी उड़ान बाकी है।

 


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Content Writer

Anjali Rajput

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