श्री कृष्ण से जानिए, हर घर में क्यों पैदा नहीं होतीं बेटियां? कैसे होता है ‘लक्ष्मी’ का जन्म?
punjabkesari.in Sunday, Oct 13, 2024 - 03:05 PM (IST)
नारी डेस्क: आज के समय में देखा जा रहा है कि महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है। घर से लेकर बाहर तक महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस करती हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो जन्म से पहले ही बेटियों को मां के गर्भ में ही मार देते हैं। महाभारत में श्री कृष्ण ने भ्रूण हत्या को सबसे बड़ा पाप बताया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्री कृष्ण के अनुसार, हर घर में बेटियां क्यों पैदा नहीं होतीं? आइए श्री कृष्ण इसके बारे में क्या कहते हैं, विस्तार से जानते हैं।
हिन्दू धर्म में बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना गया है। आज भी हिन्दू लोग नवरात्रि में कन्या का पूजन करते हैं, लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोग आज भी बेटियों को बोझ समझते हैं। हिन्दू धर्म में पौराणिक काल से ही बेटियों को समान अधिकार दिया गया है। परन्तु ज्ञान के आभाव में कुछ लोग बेटियों को भार के रूप में देखते हैं। जबकि वह ये नहीं जानते हैं कि भगवान ने आपको इस लायक समझा, तभी आपको पुत्री धन की प्राप्ति हुई। क्योंकि हर किसी को भगवान बेटी के माता-पिता होने का सौभाग्य नहीं प्रदान करते। चलिए जानते हैं भगवान कैसे घरों को बेटियों के जन्म के लिए चुनते हैं?
गरुड़ पुराण की कथा
गरुड़ पुराण के में एक कथा का वर्णन मिलता है। इस कथा में श्री कृष्ण बताते हैं कि बेटियां किन घरों में पैदा होती हैं। कथा के अनुसार एक दिन अर्जुन और श्री कृष्ण बैठे हुए थे। दोनों जन्म-मरण के बारे में बातें कर रहे थे। उसी दौरान अर्जुन ने श्री कृष्ण से सवाल किया कि माधव किन कर्मों के कारण, किसी भी माता-पिता को कन्या रत्न की प्राप्ति होती है? यानि कैसे घरों को भगवान बेटियों के जन्म के लिए चुनते हैं? तब श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं, पार्थ अचानक आज ये प्रश्न तुम्हारे मन में कैसे आया? अर्जुन कहते हैं नारायण!, मैं सोच रहा था कि आखिर बेटियां लक्ष्मी होती हैं और माता लक्ष्मी तो हर किसी के घर आती नहीं। इसलिए मैंने आपसे यह प्रश्न किया।
किन घरों में होता है बेटियों का जन्म?
फिर श्री कृष्ण बोले, अर्जुन! अगर किसी के घर पुत्र का जन्म होता है तो वह उसका भाग्य है, लेकिन अगर किसी के घर पुत्री का जन्म होता है तो वह उसके लिए सौभाग्य की बात है। बेटे अगर भाग्य से मिलते हैं तो बेटियां सौभाग्य वालों को ही मिलती हैं। जो स्त्री-पुरुष अपने पूर्वजन्म में अच्छे कर्म करते है उन्हें ही बेटी के माता-पिता होने का सौभाग्य मिलता है। आगे श्री कृष्ण कहते हैं, बेटियों के जन्म के लिए ऐसे घरों को ही ईश्वर चुनते हैं, जो बेटियों का भार सहन कर सकें।
परमात्मा जानते हैं कि धन होते हुए भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बेटियों का भार सह नहीं सकते। जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो गरीब होते हुए भी बेटियों को बड़े ही प्रेम से पाल सकते हैं। सृष्टि के रचियता पहले से ही जानते रहते हैं कि कौन बेटियों के लिए अच्छे माता-पिता हो सकते हैं।
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बेटियों के बिना अधूरी है सृष्टि!
श्री कृष्ण अर्जुन से आगे कहते हैं, पार्थ वह बेटियां ही है जो इस सृष्टि को चलाती हैं। जिस दिन इस सृष्टि में बेटियों का जन्म लेना बंद हो जाएगा, उस दिन ये सृष्टि रुक जाएगी। फिर कुछ ही दिनों में इस सृष्टि का विनाश हो जाएगा। वह बेटियां ही हैं जो पुत्री के रूप में माता-पिता को सबसे ज्यादा प्यार देती हैं। फिर जब वह शादी के बाद ससुराल जाती है तो, वहां बहु और पत्नी के रूप में अपना प्रेम बांटती हैं। उसके बाद जब वह मां बनती हैं तो, अपने बच्चे पर सर्वश्व लुटा देती हैं। बेटा तो एक कुल चलाता है, लेकिन बेटियां दो कुलों का नाम रोशन करती हैं।
स्त्री योनि में जन्म क्यों मिलता है?
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को उसके कर्मों के हिसाब से दूसरा जन्म मिलता है। जो लोग मृत्यु के समय भी महिलाओं के बारे में ही सोचते रहते हैं, उनका अगला जन्म स्त्री योनि में होता है। इतना ही नहीं यदि कोई पुरुष, मनुष्य जीवन में स्त्रियों को सताता है या परेशान करता है तो वो भी अगले जन्म में स्त्री बनता है।