गंगा दशहरा 2025: गंगा घाट न जा सकें तो घर पर ऐसे करें ‘मानसी स्नान’, मिलेगा गंगा स्नान जैसा पुण्य
punjabkesari.in Thursday, Jun 05, 2025 - 11:18 AM (IST)

नारी डेस्क: गंगा दशहरा 2025 का पर्व 5 जून, गुरुवार को पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है और इसे गंगा मैया के धरती पर अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के 10 प्रकार के पापों का नाश होता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
गंगा घाट पर नहीं जा सकते? चिंता न करें
गंगा दशहरा के दिन लाखों लोग सुबह ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए घाटों पर पहुँचते हैं। लेकिन अगर आप किसी कारणवश गंगा घाट नहीं जा पा रहे हैं — जैसे स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, दूरी, व्यस्तता आदि — तो आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं है। घर पर ही कुछ आसान विधियों से आप गंगा स्नान जैसा पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
क्या है 'मानसी स्नान'?
जो लोग गंगा घाट तक नहीं जा सकते, वे मानसी स्नान कर सकते हैं। यह एक प्रकार का मानसिक और आध्यात्मिक स्नान होता है। इसमें व्यक्ति मन से गंगा माता का स्मरण करते हुए स्नान करता है। यह प्रक्रिया आत्मा, मन और विचारों की शुद्धि के लिए की जाती है। वृद्ध, बीमार, अशक्त या यात्रा में असमर्थ व्यक्ति इसे आसानी से कर सकते हैं।
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ – इस कहावत का भाव पुरानी कहावत है – ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’। इसका मतलब है कि अगर आपका मन और भावना शुद्ध है, तो आप घर पर भी गंगा माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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घर पर गंगा स्नान जैसा पुण्य पाने के लिए
नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं। इस जल को गंगा जल मानकर श्रद्धा से स्नान करें। स्नान करते समय मन में यह भावना रखें कि आप वास्तव में गंगा नदी में स्नान कर रहे हैं।
स्नान की विधि
गंगाजल मिलाकर जल तैयार करें। ‘आचमन’ करें और मां गंगा से गंगा घाट न जा पाने के लिए क्षमा मांगें। स्नान के दौरान गंगा स्तोत्र या गंगा जल महामंत्र का जाप करें। मन में गंगा तट का ध्यान करें और आभार प्रकट करें।
स्नान के बाद करें ये काम
सूर्य देव को अर्घ्य दें। मां गंगा की पूजा करें, गंगा आरती गाएं। जरूरतमंदों को दान-पुण्य करें – जैसे अन्न, वस्त्र, जलपात्र, फल आदि। संध्या काल में घर पर ही दीप जलाकर मां गंगा की आरती करें।
गंगा दशहरा केवल बाहरी स्नान का पर्व नहीं है, बल्कि यह आंतरिक शुद्धता और भक्ति का भी प्रतीक है। यदि आप सच्चे मन से मां गंगा का स्मरण करते हुए घर पर मानसी स्नान या गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करते हैं, तो आपको वैसा ही पुण्य प्राप्त हो सकता है जैसा गंगा में डुबकी लगाने से मिलता है।