Ganesh जी का एक दांत कैसे टूटा? जानिए इसके पीछे की कथा
punjabkesari.in Wednesday, Sep 18, 2024 - 08:49 PM (IST)
नारी डेस्कः गणेश जी को सुखकर्ता और दुखहर्ता कहते हैं। गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) की एक दांत टूटी हुई है लेकिन ये दांत कैसे टूटी इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। चलिए गणेश जी से एक दंताय बनने की कहानी आपको सुनाते हैं।
गणेश जी का एक दांत कैसे टूटा? /Ganesh Ji ka Ek dant Kaise Tuta
जब महर्षि वेदव्यास जी को महाभारत लिखने का विचार आया तो उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति की तलाश की जो उनके मुख से निकली महाभारत की कहानी को लिख सके,इस कार्य के लिए उन्होंने गणेश जी को चुना गणेश जी भी इस के लिए मान गए लेकिन एक शर्त पर .. कि अगर वह एक बार भी रुकेंगे तो वह लिखना बंद कर देंगे। महर्षि जी ने गणेश जी की बात मान ली लेकिन साथ में उन्होंने भी एक शर्त रखी और कहा गणेश आप जो भी लिखोगे वह समझकर लिखोगे।
यह भी पढ़ेंः मणिकर्ण और शिव से जुड़ी कथा, जहां महादेव ने क्रोध में खोला था तीसरा नेत्र
गणेश जी को क्यो कहते हैं एकदंताय?
गणेश जी भी शर्त को मान गए और दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने बैठ गए। ऋषि जी काव्य को बोलने लगे और गणेश जी समझकर जल्दी जल्दी लिखने लगे। कुछ देर लिखने के बाद गणेश जी का कलम टूट गया गणेश जी समझ गए कि उन्हें थोड़ा सा गर्व हो गया था और उन्होंने महार्षि के शक्ति और ज्ञान को ना समझा। उसके बाद उन्होंने धीरे से अपने एक दांत को तोड़ दिया और दोबारा महाभारत की कथा लिखने लगे। तब से गणेश जी को एकदंताय के नाम से भी पूजा जाता है। गणपति जी का टूटा हुआ दांत कड़ी मेहनत और त्याग का प्रतीक है। वैसे गणेश जी के टूटे दांत के पीछे कुछ और भी कथाएं जुड़ी हुई हैं।
कार्तिकेय ने तोड़ा गणेश के दांत
एक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी के बड़े भाई कार्तिकेय स्त्री पुरुषों के श्रेष्ठ लक्षणों पर ग्रंथ लिख रहे थे जिसमें गणेश जी ने इतना विघ्न उत्पन्न किया कि कार्तिकेय ने क्रोधित होकर उनका एक दांत तोड़ दिया। भगवान शिव जी तक जब यह बात पहुंची तो उन्होंने कार्तिकेय को समझाकर गणेश जी को उनका टूटा दांत वापस दिलवा दिया लेकिन एक शाप भी दे दिया। इस पर कार्तिकेय ने कहा कि गणेश जी को अपना टूटा दांत हमेशा अपने हाथ में रखना होगा अगर दांत को अपने से अलग करेंगे तो यही टूटा दांत इन्हें भष्म कर देगा। गणेश जी ने इस शाप को स्वीकार करते हुए कार्तिकेय से अपना टूटा दांत ले लिया। ऐसी मान्यता है कि गणेश जी ने अपने इसी टूटे दांत से महाभारत महाकाव्य को लिखा है।